Solution:जहाँ समानार्थक विशेषणों से प्रस्तुत के वर्णन द्वारा अप्रस्तुत का बोध कराया जाए, वहाँ 'समासोक्ति अलंकार' होता है अर्थात् जहाँ प्रस्तुत के माध्यम से अप्रस्तुत का वर्णन हो रहा हो। जैसे-"पीली पड़, निर्बल, कोमल, कृश देह लता कुम्हलाई, विवसना, लाज में लिपटी, साँसो में शून्य समाई।"
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
व्यतिरेक अलंकार में जहाँ उपमान की अपेक्षा उपमेय का उत्कर्ष वर्णन होता है। जैसे- "रघुवर जस प्रताप के आगे, चन्द, मन्द, रवि तापहिं त्यागे।"
विनोक्ति अलंकार में 'बिना' वाचक शब्द द्वारा एक के बिना दूसरे पदार्थ को शोभित या अशोभित कहा जाता हो; जैसे बिना दुःख के सुख निस्सार है।
सहोक्ति अलंकार में सह अर्थबोधक शब्दों की मदद से अनेक पदार्थों के साथ सम्बन्ध का वर्णन होता है।