कारण (R) : वॉरेन हेस्टिंग्स स्वयं एक उद्भट विद्वान तथा प्राच्य विद्या का प्रखर समर्थक था जो संस्कृत, फारसी व अरबी के अध्ययन को प्रोत्साहित करता था।
नीचे दिए कूटों में से सही उत्तर चुनिए -
कूट :
Correct Answer: (a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
Solution:वॉरेन हेस्टिंग्स 1774-85 ई. के दौरान बंगाल का गवर्नर जनरल था। वह स्वयं एक उद्भट विद्वान तथा प्राच्य विद्या का प्रखर समर्थक था, जो संस्कृत, फारसी और अरबी के अध्ययन को प्रोत्साहित करता था। उसके सहयोग और समर्थन से ही 1784 ई. में बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना हुई थी, तथापि उसने सर विलियम जोंस के पक्ष में इस संस्था की अध्यक्षता का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था। चार्ल्स विल्किंस, नथानियल हैल्हेड, जोनाथन डंकन आदि ने वॉरेन हेस्टिंग्स के प्रश्रय और समर्थन के तहत ही प्राच्य विद्या के अध्ययन में योगदान दिया था। चार्ल्स विल्किंस द्वारा किए गए 'भगवद्गीता' के अंग्रेजी अनुवाद की प्रस्तावना वॉरेन हेस्टिंग्स ने ही लिखी थी। प्रश्नानुसार कथन में दो बातों का जिक्र है- (1) एशियाटिक सोसायटी की स्थापना और (2) वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा विलियम जोंस के पक्ष में इसकी अध्यक्षता स्वीकार न करना। वहीं कारण में उसका स्वयं विद्वान होना तथा प्राच्य विद्या के अध्ययन को प्रोत्साहित करना वर्णित है। यहां प्राच्य विद्या के अध्ययन को प्रोत्साहन कथन की दोनों बातों का कारण होना पुष्ट करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रश्नगत कथन और कारण दोनों सही हैं तथा कारण, कथन की सही व्याख्या है। आयोग ने इस प्रश्न का उत्तर (b) दिया है, जो उचित नहीं है। इसका सही उत्तर (a) होना चाहिए।