आनुवंशिक इंजीनियरिंग तथा बायोटेक्नोलॉजी (Part – I)

Total Questions: 50

31. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: [I.A.S. (Pre) 2020]

1. मावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किए जा सकते हैं।

2. व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंमिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।

3. मानव प्रेरित बहुशक्त स्टेम (pluriopotent stem) कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्देशित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?

Correct Answer: (d) 1,2 और 3
Solution:जेनेटिक इंजीनियरिंग के अंतर्गत 'जीन एडिटिंग' के तहत भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किए जा सकते हैं। व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है। मानव प्रेरित बहुशक्त स्टेम (Pluripotent stem) कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्देशित (Injected) कर वांछित अंग का निर्माण किया जा सकता है। अतः कथन 1.2 तथा 3 तीनों सही है।

32. कायिक कोशिका न्यूक्लीय अंतरण प्रौद्योगिकी (सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर टेक्नोलॉजी) का अनुप्रयोग क्या है? [I.A.S. (Pre) 2017]

Correct Answer: (c) जंतुओं की जननीय क्लोनिंग
Solution:कायिक कोशिका नाभिकीय अंतरण प्रौद्योगिकी का प्रयोग जंतुओं की प्रजननीय प्रतिरूपण या जननीय क्लोनिंग (Reproductive Cloning) द्वारा आनुवंशिक तौर पर अभिन्न पशुओं के निर्माण के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक दाता वयस्क कोशिका (कायिक कोशिका) से किसी नामिक-विहीन अंडे में नामिक (Nucleus) का स्थानांतरण करना शामिल होता है।

33. हाइब्रिडोमा प्रौद्योगिकी (Hybridoma Technology) एक नया जीव-प्रौद्योगिकीय उपागम (Biotechnological approach) है- [I.A.S. (Pre) 2000]

Correct Answer: (a) एकक्लोनी प्रतिरक्षियों के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए
Solution:

एक बी. लिम्फोसाइट तथा एक मायलोमा कोशिका के संलयन (Fusion) से प्राप्त संकर कोशिका हाइब्रिडोमा (Hybridoma) कहलाती है। हाइब्रिडोमा क्लोनों को पात्रे कल्चर (In vitro) करके एक-क्लोनीय (Monoclonal) प्रतिरक्षियों का उत्पादन करते हैं। इसे हाइब्रिडोमा प्रौद्योगिकी (Hybridoma technology) कहते हैं तथा इसके विकास हेतु जी. कोहलर तथा सी. मिलस्टाइन को वर्ष 1984 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।

34. बन्थरा में प्लांट फील्ड जीन बैंक- [U.P.P.C.S. (Pre) 2001, 2003]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त सभी पर ध्यान देगा।
Solution:

बन्थरा में प्लांट फील्ड जीन बैंक संकटापन्न वर्ग के पौधों को सुरक्षित रखेगा, जैविक विभिन्नता (Biodiversity) की दस्युता को रोकेगा तथा आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पौधों की पहचान करेगा।

35. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2019]

1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया को भारत में पेटेंट कराया जा सकता है।

2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड नहीं है।

3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने के पात्र नहीं हैं।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

Correct Answer: (c) केवल 3
Solution:पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(J) के तहत किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया को आविष्कार (invention) की श्रेणी से बाहर रखा गया है, अतः इसका भारत में पेटेंट नहीं कराया जा सकता है। भारत में सितंबर, 1958 में बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (IPAB) गठित किया गया था, जो कि एक अर्ध-न्यायिक निकाय है। पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(3) के तहत ही पादप और पादप प्रजातियों को आविष्कार नहीं माना जा सकता और तदनुसार भारत में पादप और पादप प्रजातियां पेटेंट कराए जाने के पात्र नहीं हैं। इस प्रकार प्रश्नगत कथनों में केवल कथन 3 सही है।

36. कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक इंजीनियरी द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किए गए हैं, जो लिया गया है- [I.A.S. (Pre) 2000]

Correct Answer: (b) जीवाणु से
Solution:कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किया गया है। जिसे जीवाणु बैसिलस यूरीनजिएसिस द्वारा तैयार किया गया है। इस जीव विष का नाम बीटी (BT) है। बीटी जीव विष जीन जीवाणु से क्लोनीकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों की प्रतिरोधकता को उत्पन्न करता है, जिससे इसमें कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह से जैव पीड़कनाशियों का निर्माण होता है, जैसे-बीटी कपास, बीटी मक्का इत्यादि।

37. अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसांटो ने एक कीट-प्रतिरोधी कपास की किस्म बनाई है, जिसका भारत में क्षेत्र परीक्षण किया जा रहा है। निम्नलिखित जीवाणुओं से किस एक के आविष जीन (Toxin gene) का इस पारजीनी कपास (Transgenic Cotton) में अंतरण हुआ है? [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (b) बैसिलस थूरीनजिएंसिस
Solution:कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किया गया है। जिसे जीवाणु बैसिलस यूरीनजिएसिस द्वारा तैयार किया गया है। इस जीव विष का नाम बीटी (BT) है। बीटी जीव विष जीन जीवाणु से क्लोनीकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों की प्रतिरोधकता को उत्पन्न करता है, जिससे इसमें कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह से जैव पीड़कनाशियों का निर्माण होता है, जैसे-बीटी कपास, बीटी मक्का इत्यादि।

38. सूक्ष्मजीव, जो बीटी कपास के उत्पादन से संबंधित है, वह है, एक [U.P.P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) जीवाणु
Solution:कपास के कीट-रोधी पौधे आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) द्वारा एक जीन को निविष्ट कर निर्मित किया गया है। जिसे जीवाणु बैसिलस यूरीनजिएसिस द्वारा तैयार किया गया है। इस जीव विष का नाम बीटी (BT) है। बीटी जीव विष जीन जीवाणु से क्लोनीकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों की प्रतिरोधकता को उत्पन्न करता है, जिससे इसमें कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह से जैव पीड़कनाशियों का निर्माण होता है, जैसे-बीटी कपास, बीटी मक्का इत्यादि।

39. कथन (A): कीट प्रतिरोधी पारजीनी कपास, (Bt) जीन के निवेशन से निर्मित किया गया है। [I.A.S. (Pre) 1999]

कारण (R): (Bt) जीन एक जीवाणु से प्राप्त किया जाता है।

इस प्रश्न का उत्तर नीचे दिए हुए कूट की सहायता से चुनिए :

Correct Answer: (a) (A) और (R) दोनों सही है, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
Solution:कीट प्रतिरोधी पारजीनी कपास (Transgenic cotton), जीन के निवेशन से निर्मित किया गया है। B: जीन एक विशेष जीवाणु 'बैसिलस यूरिनजिएसिस' (संक्षेप में बीटी कहते है) से प्राप्त किया जाता है। इसकी कुछ नस्लें ऐसे प्रोटीन का निर्माण करती है, जो विशिष्ट कीटों जैस लेपिडोप्टेरॉन (तंबाकू की कलिका की सैनिक कीट), डीप्टेरॉन, (मक्खी) इत्यादि को मारने में सहायक हैं। विशिष्ट बीटी जीव विष इस विशेष जीवाणु से पृथक कर कई फसलों जैसे कपास (Cotton) में समाविष्ट किया जा चुका है।

40. बोलगार्ड-I और बोलगार्ड-II प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? [I.A.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित फसली पादपों का विकास
Solution:बोलगार्ड-1 और बोलगार्ड-2 प्रौद्योगिकी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसली पौधों को विकसित करने में मदद करती है। बोलगार्ड प्रौद्योगिकी विनाशकारी बोलवर्म संक्रमण के खिलाफ कपास की फसल को सुरक्षा प्रदान करती है। बोलगार्ड । बीटी कॉटन (सिंगल जीन टेक्नोलॉजी) भारत की पहली बायोटेक फसल तकनीक है, जिसे वर्ष 2002 में भारत में व्यावसायीकरण हेतु मंजूरी प्रदान की गई थी। बोलगार्ड-2 तकनीक एक बेहतर डबल-जीन तकनीक है।