आनुवंशिक इंजीनियरिंग तथा बायोटेक्नोलॉजी (Part – II)

Total Questions: 42

21. जेनिको प्रौद्योगिकी है- [U.P.P.C.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (c) आनुवंशिक रोगों की पूर्व-सूचना प्राप्त करने की तकनीक
Solution:जेनिको प्रौद्योगिकी (Genico Engineering) आनुवंशिक रोगों की पूर्व सूचना प्राप्त करने की तकनीक है। इस तकनीक के माध्यम से मां के गर्भ में स्थित शिशु में होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों की जानकारी भी प्राप्त हो सकेगी।

22. निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य जैव प्रौद्योगिकी की श्रेणी में आता है [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (a) औद्योगिक प्रक्रमों में जीवधारियों अथवा उनसे प्राप्त पदार्थों का उपयोग
Solution:संपूर्ण जीवों (मुख्यतः सूक्ष्म जीवों) या जीवों द्वारा उत्पन्न पदार्थों या जैव प्रक्रियाओं (biological processes) के औद्योगिक स्तर पर उपयोग को जैव-प्रौद्योगिकी (Biotechnology) कहते हैं। उदाहरणार्थ, मदिरा उत्पादन के लिए यीस्ट कोशाओं (yeast cells) का उपयोग जैव प्रौद्योगिकी के अंतर्गत आता है।

23. जीन अभियंत्रण में नवीनतम तकनीकी विकसित हुई है: [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (b) जीन प्रतिचित्रण
Solution:जीन अभियंत्रण (Genetic engineering) में नवीनतम विकसित तकनीक जीन प्रतिचित्रण (Gene mapping) है। DNA अणुओं में न्यूक्लियोटाइड एकलकों के अनुक्रमों (Sequences) का तथा इन अनुक्रमों में जीनों का पता लगाकर DNA अणुओं के मानचित्र को तैयार किया जाता है, उसे Genomics या Gene Mapping कहते हैं।

24. जेनेटिक इंजीनियरिंग में निम्न में से किसका प्रयोग होता है? [U.P.P.C.S. (Pre) (Re. Exam) 2015]

Correct Answer: (b) प्लाज्मिड
Solution:जेनेटिक इंजीनियरिंग में प्लाज्मिड का प्रयोग किया जाता है। एक जीवाणु की सभी सामान्य गतिविधियों का नियंत्रण इसके एकल गुणसूत्र और जीन के छोटे छल्ले (Small Rings) पर निर्भर करता है, जिसे प्लाज्मिड कहते हैं, जेनेटिक इंजीनियरिंग में एक अलग जीव के गुणसूत्र को प्लाज्मिड में डाला जा सकता है। यह जीवाणु को एक नया पदार्थ बनाने की अनुमति देता है।

25. आनुवंशिक अभियांत्रिकी प्रयोगों में अत्यंत उपयोगी दो जीवाणु हैं- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) एशरिकिआ कोली व एग्रोबैक्टीरियम
Solution:प्रश्नगत विकल्पों में एशरिकिआ कोली (Escherichia coli) व एग्रोबैक्टीरियम (Agrobacterium) जीवाणु आनुवंशिक अभियांत्रिकी प्रयोगों में अत्यंत उपयोगी है। उल्लेखनीय है कि बीटी जीन मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणु बैसिलस यूरिनजिएसिस द्वारा तैयार किया गया है. जिसका उपयोग कपास, बैगन, मक्का आदि की कीटरोधी नई किस्में उत्पन्न करने में होता है।

26. जीवाणु मौजियों के संबंध में कौन-सा कथन सही है/हैं? [R.O./A.R.O. (Pre) Exam. 2017]

1. जीवाणुमोजी, विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं।

2. जीवाणुमोजी आनुवंशिक अभियांत्रिकी में प्रयुक्त होते हैं।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-

कूट :

Correct Answer: (c) 1 तथा 2 दोनों
Solution:

वे विषाणु जो जीवाणुओं को संक्रमित करते है, जीवाणुभोजी कहलाते है। आनुवंशिक अभियांत्रिकी में जीवाणुभोजी का उपयोग किया जाता है। अतः कथन । और 2 दोनों सही हैं।

27. यदि मानव वृद्धि हॉर्मोन जीन का प्रयोग करके ऐसा चूहा पैदा किया जाए, जो चूहे के सामान्य आकार से आठ गुना बड़ा हो, तो इस तकनीक को कहेंगे- [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (b) आनुवंशिक इंजीनियरी
Solution:

प्रश्नानुसार, मानव वृद्धि हॉर्मोन (Human growth hormone) जीन का प्रयोग करके सामान्य आकार से आठ गुना बड़ा चूहा पैदा करने की तकनीक को आनुवंशिक इंजीनियरी (Genetic Engineering) कहेंगे। इस प्रकार इस तकनीक द्वारा न केवल जीनों के स्वरूप में संशोधन करके जीवों के आकार एवं गुणों को परिवर्तित किया जा सकता है, बल्कि इससे पूर्णतः एक नए जीवों का भी निर्माण किया जा सकता है।

28. दिया गया है: [U.P.P.C.S. (Pre) 2008]

1. रुधिर कोशिकाएं

2. अस्थि कोशिकाएं

3. बाल रज्जु

4. लार (सलाइवा)

अपराध की जांच में डी.एन.ए. परीक्षण हेतु जो नमूने लिए जाते हैं, वे हो सकते हैं-

कूट :

Correct Answer: (d) 1,2,3 और 4
Solution:अपराध की जांच में DNA परीक्षण हेतु निम्न का नमूना लिया जाता है-1. रुधिर कोशिकाएं, 2. अस्थि कोशिकाए, 3. बाल रज्जु, 4. लार इत्यादि।

29. कथन (A): बलात्कार एवं हमले के मामलों में अपराधियों की पैतृकता एवं पहचान (Paternity and Identity) स्थापित करने में (DNA) फिगर प्रिंट एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है। [I.A.S. (Pre) 2000 R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]

कारण (R) : (DNA) विश्लेषण के लिए बाल, लार एवं शुष्क वीर्य जैसे लेश साक्ष्य पर्याप्त हैं।

Correct Answer: (a) दोनों (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) का सही कारण है।
Solution:बलात्कार, हत्या के मामले में अपराधियों की पहचान करना तथा पैतृकता को स्थापित करने, आनुवंशिक रोगों की पहचान करने इत्यादि में डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग का प्रयोग किया जाता है। इसके विश्लेषण हेतु अपराधी के बाल, लार तथा शुष्क वीर्य (Dry Semen) जैसे लेश साक्ष्य पर्याप्त है। यह जांच तकनीक इस तथ्य पर आधारित है कि किसी भी वंश एवं व्यक्ति के गुणसूत्रों (Chromosomes) को विशिष्ट सानुवंशिक गुण प्रदान करने वाले आधार DNA का एक निश्चित स्वरूप होता है, जो कि उस व्यक्ति एवं वंश के संबंधियों के अनुरूप ही होगा तथा किसी भी दो व्यक्तियों के DNA प्रतिरूप कभी भी एक समान नहीं हो सकते हैं।

30. DNA फिगर-प्रिंटिंग का आधार है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (d) DNA बहुरूपता
Solution:DNA फ़िंगर प्रिंटिंग का आधार DNA बहुरूपता (DNA Polymorphism) है। मनुष्य के डीएनए में चार प्रकार के नाइट्रोजनी क्षार होते हैं, जिनका अनुक्रम भिन्न-भिन्न होता है। परंतु एक मनुष्य की सभी कोशिकाओं में इनका अनुक्रम समान होता है, जो उस मनुष्य एवं उसके वंश के संबंधियों के समान ही होता है, इस कारण एक व्यक्ति विशेष को अन्य व्यक्तियों से अलग किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि नाइट्रोजनी क्षारों के अनुक्रम के आधार पर किसी व्यक्ति विशेष के पहचान की विधि को DNA फिगर-प्रिटिंग कहते हैं। इस तकनीक का विकास वर्ष 1985 में सर एलेक जेफ्रेज (Sir Alec Jeffreys) ने किया था।