किसान आंदोलन और किसान सभा (UPPCS)

Total Questions: 36

1. भारत वर्ष का सर्वप्रथम किसान आंदोलन था- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (d) बिजौलिया
Solution:प्रश्नगत विकल्पों में भारतवर्ष का सर्वप्रथम किसान आंदोलन बिजौलिया आंदोलन था। बिजौलिया आंदोलन का नेतृत्व वर्ष 1913 में साधु सीताराम दास ने किया तथा वर्ष 1915 में विजय सिंह पथिक इस आंदोलन से जुड़े।

2. निम्न में से कौन फरवरी, 1918 में स्थापित यू.पी. किसान सभा की स्थापना से संबद्ध नहीं था? [I.A.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (c) जवाहरलाल नेहरू
Solution:अवध में होमरूल लीग आंदोलन के कार्यकर्ता काफी सक्रिय थे। इन्होंने किसानों को संगठित करना शुरू किया। संगठन को नाम दिया गया 'किसान सभा'। फरवरी, 1918 में इंद्र नारायण द्विवेदी, गौरीशंकर मिश्र और मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 'यू.पी. किसान सभा' (संयुक्त प्रांत किसान सभा) की स्थापना हुई।

3. वर्ष 1918 के संयुक्त प्रांत किसान सभा का गठन निम्न में से किस नेता ने किया था? [U.P. P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) इंद्र नारायण द्विवेदी ने
Solution:अवध में होमरूल लीग आंदोलन के कार्यकर्ता काफी सक्रिय थे। इन्होंने किसानों को संगठित करना शुरू किया। संगठन को नाम दिया गया 'किसान सभा'। फरवरी, 1918 में इंद्र नारायण द्विवेदी, गौरीशंकर मिश्र और मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 'यू.पी. किसान सभा' (संयुक्त प्रांत किसान सभा) की स्थापना हुई।

4. 'नाई-धोबी बंद' सामाजिक बायकाट का एक स्वरूप था, जो 1919 में- [39th B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (a) किसानों द्वारा प्रतापगढ़ जिले में चलाया गया था।
Solution:वर्ष 1919 के अंतिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। अवध के प्रतापगढ़ जिले की एक जागीर में 'नाई-धोवी बंद' सामाजिक बहिष्कार एवं संगठित कार्रवाई की पहली घटना थी। झिंगुरी सिंह और दुर्गापाल सिंह ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन जल्दी ही आंदोलन में एक नया चेहरा उभरा-बाबा रामचंद्र जिन्होंने आंदोलन की बागडोर ही नहीं संभाली, अपितु उसे और मजबूत एवं जुझारू बनाया। बाबा रामचंद्र (मूल नाम-श्रीधर बलवंत जोधपुरकर) का जन्म ग्वालियर के एक छोटे से गांव के ब्रह्मण परिवार में हुआ (कुछ स्रोतों के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था)। वर्ष 1920 के मध्य में वे एक किसान नेता के रूप में उभरे तथा उन्होंने अवध के किसानों को संगठित करना शुरू किया। उनमें संगठन की अद्भुत क्षमता थी। वर्ष 1920 में इनके प्रयासों से प्रतापगढ़ में 'अवध किसान सभा' का गठन हुआ।

5. वह प्रदेश कौन था, जहां बाबा रामचंद्र ने किसानों को संगठित किया? [U.P. P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008 U.P. U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]

Correct Answer: (a) अवध
Solution:वर्ष 1919 के अंतिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। अवध के प्रतापगढ़ जिले की एक जागीर में 'नाई-धोवी बंद' सामाजिक बहिष्कार एवं संगठित कार्रवाई की पहली घटना थी। झिंगुरी सिंह और दुर्गापाल सिंह ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन जल्दी ही आंदोलन में एक नया चेहरा उभरा-बाबा रामचंद्र जिन्होंने आंदोलन की बागडोर ही नहीं संभाली, अपितु उसे और मजबूत एवं जुझारू बनाया। बाबा रामचंद्र (मूल नाम-श्रीधर बलवंत जोधपुरकर) का जन्म ग्वालियर के एक छोटे से गांव के ब्रह्मण परिवार में हुआ (कुछ स्रोतों के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था)। वर्ष 1920 के मध्य में वे एक किसान नेता के रूप में उभरे तथा उन्होंने अवध के किसानों को संगठित करना शुरू किया। उनमें संगठन की अद्भुत क्षमता थी। वर्ष 1920 में इनके प्रयासों से प्रतापगढ़ में 'अवध किसान सभा' का गठन हुआ।

6. "एक संन्यासी जो फिजी में एक गिरमिटिया मजदूर के रूप में काम करने के बाद उस जिले में अपनी पीठ पर तुलसीदास रामायण की एक प्रति लेकर आया था, जिससे वह ग्रामीण श्रोताओं को छंद सुनाता था।" यहां जिस किसान नेता का जिक्र है, वह हैं- [68th B.P.S.C. (Pre) 2022]

Correct Answer: (a) बाबा रामचंद्र
Solution:17 अक्टूबर, 1920 को बाबा रामचंद्र द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में अवध किसान सभा का औपचारिक रूप से गठन किया गया। प्रश्न में दिया गया कथन बाबा रामचंद्र के संदर्भ में है। जो फिजी में एक गिरमिटिया मजदूर के रूप में काम करने के बाद भारत आए और एक संन्यासी के रूप में जीवनयापन करने लगे।

7. 1930 के दशक में देश के विभिन्न भागों के भिन्न-भिन्न नेताओं द्वारा किसान आंदोलन चलाए गए थे। उनके प्रभाव क्षेत्रों से सुमेलित कीजिए- [U.P. P.C.S. (Pre) 1998]

(A) सहजानंद सरस्वती                        1. हैदराबाद

(B) खुदाई खिदमतगार                       2. दक्षिणी असम

(C) स्वामी रामानंद                             3. बिहार

(D) अब्दुल हमीद खां                        4. एन.डब्ल्यू. एफ.पी.

      A

        B

        C

        D

(a)

1

2

3

4

(b)

3

4

1

2

(c)

4

3

2

1

(d)

2

4

1

3

Correct Answer: (b)
Solution:सहजानंद सरस्वती बिहार प्रांतीय किसान सभा के संस्थापक थे। वर्ष 1936 में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसका नाम बाद में बदलकर 'अखिल भारतीय किसान सभा' कर दिया गया, इसका अध्यक्ष भी स्वामी सहजानंद को ही बनाया गया। पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत (NWFP) में खान अब्दुल गफ्फार खां के नेतृत्त्व में गठित खुदाई खिदमतगार या लालकुर्ती संगठन ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वामी रामानंद हैदराबाद एवं अब्दुल हमीद खां दक्षिणी असम से संबद्ध थे।

8. इनमें से कौन 1930 के दशक में किसान सभा आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े थे? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) स्वामी सहजानंद
Solution:1930 के दशक में किसान सभा आंदोलन से स्वामी सहजानंद सरस्वती सक्रिय रूप से जुड़े थे। 'बिहार प्रांतीय किसान सभा' का गठन इन्होंने ही किया तथा अप्रैल, 1936 में लखनऊ में संपन्न प्रथम अखिल भारतीय किसान सम्मेलन का अध्यक्ष इन्हीं को चुना गया।

9. अवध के एका आंदोलन का उद्देश्य क्या था? [39th B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (d) लगान का नकद में परिवर्तन
Solution:एका आंदोलन (1921-22) का नेतृत्व पिछड़ी जाति के मदारी पासी ने किया था। इस आंदोलन में, जिसकी गतिविधि के मुख्य केंद्र हरदोई, बाराबंकी, बहराइच तथा सीतापुर थे, किसानों की मुख्य शिकायतें जमीदारों द्वारा लगान में बढ़ोत्तरी और उपज के रूप में लगान वसूल करने की प्रथा को लेकर थीं। किसानों से 50 प्रतिशत से अधिक लगान | वसूल किया जा रहा था। जमींदारों के गुर्गे ठेकेदार किसानों को प्रताड़ित करते थे। एका आंदोलन का राष्ट्रवादियों द्वारा निर्धारित अहिंसक नीतियों में विश्वास कम था। फलस्वरूप राष्ट्रवादी नेता आंदोलन से अलग-थलग पड़ गए और आंदोलन ने दूसरी राह पकड़ ली। इस आंदोलन में सरकार को लगान देना बंद नहीं किया गया, बल्कि आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग थी-" बढ़ती महंगाई के कारण लगान का नकद में रूपांतरण किया जाए।"

10. एका आंदोलन का प्रारंभ किया गया था- [U.P.P.S.C. (GIC) 2017]

Correct Answer: (d) उत्तर प्रदेश के हरदोई, बाराबंकी एवं अन्य स्थानों के किसानों द्वारा
Solution:एका आंदोलन (1921-22) का नेतृत्व पिछड़ी जाति के मदारी पासी ने किया था। इस आंदोलन में, जिसकी गतिविधि के मुख्य केंद्र हरदोई, बाराबंकी, बहराइच तथा सीतापुर थे, किसानों की मुख्य शिकायतें जमीदारों द्वारा लगान में बढ़ोत्तरी और उपज के रूप में लगान वसूल करने की प्रथा को लेकर थीं। किसानों से 50 प्रतिशत से अधिक लगान | वसूल किया जा रहा था। जमींदारों के गुर्गे ठेकेदार किसानों को प्रताड़ित करते थे। एका आंदोलन का राष्ट्रवादियों द्वारा निर्धारित अहिंसक नीतियों में विश्वास कम था। फलस्वरूप राष्ट्रवादी नेता आंदोलन से अलग-थलग पड़ गए और आंदोलन ने दूसरी राह पकड़ ली। इस आंदोलन में सरकार को लगान देना बंद नहीं किया गया, बल्कि आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग थी-" बढ़ती महंगाई के कारण लगान का नकद में रूपांतरण किया जाए।"