किसान आंदोलन और किसान सभा (UPPCS)

Total Questions: 36

31. बंगाल के तेभागा किसान आंदोलन की क्या मांग थी? [I.A.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (a) जमींदारों की हिस्सेदारी को फसल के आधे भाग से कम करके एक-तिहाई करना
Solution:सितंबर, 1946 में बंगाल की 'प्रांतीय किसान सभा' द्वारा तिभागा आंदोलन प्रारंभ किया गया। इस आंदोलन में बर्गादारों (बंटाईदारों) की मांग थी कि जमींदारों का फसल में हिस्सा आधे भाग से कम करके एक-तिहाई किया जाए तथा शेष दो-तिहाई हिस्सा बर्गादारों का हो। इस आंदोलन से उत्तरी बंगाल के जिले विशेष रूप से प्रभावित हुए।

32. तेभागा आंदोलन' वर्ष 1946 में बंगाल में आरंभ हुआ- [66th B.P.S.C. Re-Exam (Pre) 2020]

Correct Answer: (b) किसान सभा के नेतृत्व में
Solution:सितंबर, 1946 में बंगाल की 'प्रांतीय किसान सभा' द्वारा तिभागा आंदोलन प्रारंभ किया गया। इस आंदोलन में बर्गादारों (बंटाईदारों) की मांग थी कि जमींदारों का फसल में हिस्सा आधे भाग से कम करके एक-तिहाई किया जाए तथा शेष दो-तिहाई हिस्सा बर्गादारों का हो। इस आंदोलन से उत्तरी बंगाल के जिले विशेष रूप से प्रभावित हुए।

33. भूदान आंदोलन का सर्वप्रथम प्रारंभ किस राज्य में हुआ था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2013 U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]

Correct Answer: (a) आंध्र प्रदेश में
Solution:आचार्य विनोबा भावे द्वारा भूदान आंदोलन का प्रारंभ 18 अप्रैल, 1951 को तत्कालीन आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में पोचमपल्ली ग्राम से किया।  गया। भूदान आंदोलन भूमि सुधार करने; कृषि में संस्थागत परिवर्तन लाने की एक कोशिश थी। प्रसिद्ध गांधीवादी, रचनात्मक कार्यकर्ता आचार्य विनोबा भावे 1950 के दशक के आरंभ में इस आंदोलन के लिए गांधीवादी तकनीकों एवं रचनात्मक कार्यों तथा ट्रस्टीशिप जैसे विचारों को प्रयोग में लाए। जयप्रकाश नारायण भी सक्रिय राजनीति छोड़कर वर्ष 1953 के सर्वोदय कान्फ्रेंस में भूदान आंदोलन में जुड़ने का निश्चय किया और वर्ष 1954 में वे इस आंदोलन से जुड़ गए। इसके उपरांत भूदान आंदोलन ने नया रूप धारण किया वह था ग्रामदान। जनवरी, 1953 में पहला ग्रामदान ओडीशा के कटक जिले के मानपुर के रूप में प्राप्त हुआ।

34. आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के प्रारंभ में निम्नलिखित स्थानों में से कौन-सा एक उससे संबद्ध था? [I.A.S. (Pre) 2007]

Correct Answer: (c) पोचमपल्ली
Solution:आचार्य विनोबा भावे द्वारा भूदान आंदोलन का प्रारंभ 18 अप्रैल, 1951 को तत्कालीन आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में पोचमपल्ली ग्राम से किया।  गया। भूदान आंदोलन भूमि सुधार करने; कृषि में संस्थागत परिवर्तन लाने की एक कोशिश थी। प्रसिद्ध गांधीवादी, रचनात्मक कार्यकर्ता आचार्य विनोबा भावे 1950 के दशक के आरंभ में इस आंदोलन के लिए गांधीवादी तकनीकों एवं रचनात्मक कार्यों तथा ट्रस्टीशिप जैसे विचारों को प्रयोग में लाए। जयप्रकाश नारायण भी सक्रिय राजनीति छोड़कर वर्ष 1953 के सर्वोदय कान्फ्रेंस में भूदान आंदोलन में जुड़ने का निश्चय किया और वर्ष 1954 में वे इस आंदोलन से जुड़ गए। इसके उपरांत भूदान आंदोलन ने नया रूप धारण किया वह था ग्रामदान। जनवरी, 1953 में पहला ग्रामदान ओडीशा के कटक जिले के मानपुर के रूप में प्राप्त हुआ।

35. भूदान आंदोलन' की शुरुआत हुई थी- [Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]

Correct Answer: (c) आंध्र प्रदेश राज्य में
Solution:आचार्य विनोबा भावे द्वारा भूदान आंदोलन का प्रारंभ 18 अप्रैल, 1951 को तत्कालीन आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में पोचमपल्ली ग्राम से किया।  गया। भूदान आंदोलन भूमि सुधार करने; कृषि में संस्थागत परिवर्तन लाने की एक कोशिश थी। प्रसिद्ध गांधीवादी, रचनात्मक कार्यकर्ता आचार्य विनोबा भावे 1950 के दशक के आरंभ में इस आंदोलन के लिए गांधीवादी तकनीकों एवं रचनात्मक कार्यों तथा ट्रस्टीशिप जैसे विचारों को प्रयोग में लाए। जयप्रकाश नारायण भी सक्रिय राजनीति छोड़कर वर्ष 1953 के सर्वोदय कान्फ्रेंस में भूदान आंदोलन में जुड़ने का निश्चय किया और वर्ष 1954 में वे इस आंदोलन से जुड़ गए। इसके उपरांत भूदान आंदोलन ने नया रूप धारण किया वह था ग्रामदान। जनवरी, 1953 में पहला ग्रामदान ओडीशा के कटक जिले के मानपुर के रूप में प्राप्त हुआ।

36. भूदान आंदोलन किसने प्रारंभ किया? [M.P. P.C.S. (Pre) 1998]

Correct Answer: (c) विनोबा भावे
Solution:आचार्य विनोबा भावे द्वारा भूदान आंदोलन का प्रारंभ 18 अप्रैल, 1951 को तत्कालीन आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में पोचमपल्ली ग्राम से किया।  गया। भूदान आंदोलन भूमि सुधार करने; कृषि में संस्थागत परिवर्तन लाने की एक कोशिश थी। प्रसिद्ध गांधीवादी, रचनात्मक कार्यकर्ता आचार्य विनोबा भावे 1950 के दशक के आरंभ में इस आंदोलन के लिए गांधीवादी तकनीकों एवं रचनात्मक कार्यों तथा ट्रस्टीशिप जैसे विचारों को प्रयोग में लाए। जयप्रकाश नारायण भी सक्रिय राजनीति छोड़कर वर्ष 1953 के सर्वोदय कान्फ्रेंस में भूदान आंदोलन में जुड़ने का निश्चय किया और वर्ष 1954 में वे इस आंदोलन से जुड़ गए। इसके उपरांत भूदान आंदोलन ने नया रूप धारण किया वह था ग्रामदान। जनवरी, 1953 में पहला ग्रामदान ओडीशा के कटक जिले के मानपुर के रूप में प्राप्त हुआ।