Solution:कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 को दिल्ली पहुंचा और भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों से लंबी बातचीत हुई। चूंकि भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस के मध्य भारत की एकता तथा बंटवारे के विषय में समझौता नहीं हो सका; इसलिए शिष्टमंडल ने अपनी ओर से समस्या का हल प्रस्तुत किया। ये प्रस्ताव वायसराय लॉर्ड वेवेल तथा शिष्टमंडल ने एक संयुक्त वक्तव्य में 16 मई, 1946 को प्रकाशित किए। लंबे समय के योजना के रूप में कैबिनेट मिशन (शिष्टमंडल) ने पाकिस्तान की मांग को अस्वीकार कर दिया। कैबिनेट मिशन के अन्य सुझाव निम्नलिखित थे-1. भारत में ब्रिटिश भारत तथा रियासतों का एक मिला-जुला संघ होना चाहिए जो विदेशी मामले, रक्षा तथा संचार साधनों की देखभाल करे और उनके लिए कर लगा सके।
2. संघ की कार्यकारिणी और विधानमंडल में ब्रिटिश भारत और रियासतों के प्रतिनिधि होने चाहिए।
3. प्रांतों को केंद्रीय विषयों को छोड़कर शेष सभी मामलों में पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हो और शेष शक्तियां उन्हीं के पास हों।
4. प्रांतों को छोटे अथवा बड़े गुट बनाने का अधिकार हो इन गुटों के क्या अधिकार होंगे इसका निर्णय वे स्वयं करेंगे।
5. इसमें प्रांतों को तीन वर्ग अ, ब तथा स में बांटने की बात कही गई। हिंदू बहुसंख्यक प्रांत मद्रास, बंबई, मध्य प्रांत, एवं बरार, संयुक्त प्रांत, बिहार, उड़ीसा 'वर्ग अ' में होंगे। मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांत पंजाब, उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत तथा सिंध 'वर्ग ब' में होंगे तथा 'वर्ग स' में बंगाल तथा असम होंगे।
6. मुख्य आयुक्त के प्रांत, दिल्ली, अजमेर-मारवाड़ तथा कुर्ग वर्ग (अ) में तथा ब्लूचिस्तान वर्ग (ब) में सम्मिलित होंगे।
इस प्रस्ताव में न्यायालय की शक्तियों तथा आई.सी.एस. में भारतीयों की संख्या बढ़ाने संबंधी प्रावधान नहीं किए गए थे।