1. गुप्त सम्राट स्वयं के लिए दैवीय अधिकारों का दावा करते थे।
2. उनका प्रशासन नितांत केंद्रीकृत था।
3. उन्होंने भूमिदान की परंपरा को विस्तारित किया।
उत्तर निम्न कूटों के आधार पर दीजिए-
Correct Answer: (c) 1 एवं 3 सही हैं।
Solution:गुप्त साम्राज्य की शासन व्यवस्था राजतंत्रात्मक थी। मौर्य शासकों के विपरीत गुप्तवंशी शासक अपनी दैवीय उत्पत्ति में विश्वास करते थे। गुप्त शासकों ने भूमिदान की परंपरा को विस्तारित किया। गुप्त प्रशासन का स्वरूप केंद्रीकृत न होकर संघात्मक था, गुप्त राजा अनेक 'छोटे राजाओं का राजा' होता था। सामंत तथा प्रांतीय शासक अपने-अपने क्षेत्रों में नितांत स्वतंत्रता का अनुभव करते थे। इस प्रकार कथन 1 एवं 3 सही हैं, जबकि कथन 2 गलत है।