Correct Answer: (a) इसे राज्य के लिए आय का एक स्रोत, जनता द्वारा दिया जाने वाला एक प्रकार का कर, माना जाता था।
Solution:चंद्रगुप्त द्वितीय के उदयगिरि गुहालेख, प्रभावती गुप्ता के रिद्धपुर अभिलेख समेत अनेक गुप्तकालीन अभिलेखों में विष्टि (बेगार, बलात् श्रम) को अन्य करों के साथ रखा गया है। यद्यपि बेगार प्रथा का प्रमाण मौर्य युग से ही मिलता है; किंतु गुप्त काल में वह विभिन्न अवसरों पर राजा द्वारा प्राप्त किए जाने वाले कर का एक रूप बन गया था। इसके तहत मजदूरों, शिल्पियों एवं कृषकों को अनिवार्य रूप से राजा या राज्य के लिए श्रम करना ही होता था, जिसके बदले उन्हें कोई भुगतान नहीं दिया जाता था। यह प्रथा मध्य प्रदेश और काठियावाड़ में सबसे ज्यादा प्रचलित थी। बेगार की यह प्रथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती थी; किंतु इसमें ज्येष्ठ उत्तराधिकार जैसा नियम नहीं था, यह सभी श्रमिकों पर लागू होती थी।