जल प्रदूषण एवं रोकथाम

Total Questions: 10

1. वाटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) सेस एक्ट लागू किया गया- [U.P.R.O/A.R.O. (Mains) 2013]

Correct Answer: (c) 1977 में
Solution:वाटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) सेस एक्ट, वर्ष 1977 में लागू किया गया। यह अधिनियम कुछ औद्योगिक गतिविधियों द्वारा पानी की खपत पर उपकर लगाने के लिए अधिनियमित किया गया था। वर्तमान में यह अधिनियम पूरे देश में लागू है।

2. पेयजल में संखिया प्रदूषण सर्वाधिक है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (c) कोलकाता में
Solution:प्रश्नगत विकल्पों में कोलकाता में पेयजल में संखिया (Arsenic) प्रदूषण सर्वाधिक है।

3. जल शुद्धीकरण प्रणालियों में पराबैंगनी (अल्ट्रा-वायलेटः UV) विकिरण की क्या भूमिका है? [I.A.S. (Pre) 2012]

1. यह जल में उपस्थित नुकसानदेह सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय/नष्ट कर देती है।

2. यह जल में उपस्थित सभी अवांछनीय गंधों को दूर कर देती है।

3. यह जल में उपस्थित ठोस कणों के अवसादन को तेज करती है, आविलता दूर करती है और जल की निर्मलता में सुधार लाती है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:पराबैंगनी विकिरण (UV rays) एक प्रकार की विद्युत चुंबकीय विकिरण है। पराबैंगनी विकिरण युक्त जलशोधन प्रणालियों में बिना किसी खतरनाक रसायन (जैसे-क्लोरीन) के प्रयोग से जल को कीटाणुमुक्त किया जाता है। यूवी किरणों के प्रयोग से जल के स्वाद, महक और रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

4. निम्नलिखित में से कौन जल को जीवाणु मुक्त करने हेतु प्रयुक्त होता है/होते हैं? [U.P.P.C.S. (Pre) 2016]

Correct Answer: (d) उपर्युक्त सभी
Solution:जल को कई विधियों से जीवाणु रहित किया जा सकता है- जैसे- (i) ताप तथा अन्य भौतिक कारणों द्वारा, (ii) पराबैंगनी किरणों तथा रेडियोधर्मी आयन के द्वारा, (iii) रसायनों द्वारा ऑक्सीकरण करके जैसे- ओजोन, आयोडीन एवं क्लोरीन के यौगिकों द्वारा। क्लोरैमीन (NH₂CI) तथा क्लोरीन डाइऑक्साइड (CIO₂) भी जल को जीवाणु मुक्त करने हेतु प्रयुक्त किए जाते हैं।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा/से नदी तल में बहुत अधिक बालू खनन का/के संभावित परिणाम हो सकता है/ सकते हैं? [I.A.S. (Pre) 2018]

1. नदी की लवणता में कमी

2. भौमजल का प्रदूषण

3. भौम जलस्तर का

नीचे चले जाना नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (b) केवल 2 और 3
Solution:बालू खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होता है तथा इससे नदियों की खाद्य-श्रृंखला नष्ट होती है। सैंड-पंपों के कारण नदी की जैव विविधता पर भी असर पड़ता है। बालू खनन से नदियों का प्रवाह-पथ प्रभावित होता है। इससे भू-कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। नदियों में रेत खनन से निकटवर्ती क्षेत्रों का भू-जल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है, साथ ही भू-जल प्रदूषित होता है। नदी तल में रेत की कमी (बालू खनन) के कारण नदियां और उसके मुहाने गहरे हो जाते हैं तथा नदी के मुहाने का विस्तार होता है, जिससे खारा पानी घुस जाता है। परिणामस्वरूप नदी की लवणता में वृद्धि हो जाती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।

6. पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए निम्नांकित गैसों में से किसे प्रयोग में लाया जाता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) क्लोरीन
Solution:पेयजल को जीवाणुरहित करने के लिए क्लोरीन गैस एवं ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग किया जाता है। ध्यातव्य है कि क्लोरीन गैस जल शोधन के प्राथमिक चरण में जीवाणुओं को निष्क्रिय करने का कार्य करती है।

7. यदि राष्ट्रीय जल मिशन सही ढंग से और पूर्णतः लागू किया जाए, तो देश पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा? [I.A.S. (Pre) 2012]

1. शहरी क्षेत्रों की जल आवश्यकताओं की आंशिक आपूर्ति अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण से हो सकेगी।
2. ऐसे समुद्रतटीय शहर, जिनके पास जल के अपर्याप्त वैकल्पिक स्रोत हैं, की जल आवश्यकताओं की आपूर्ति ऐसी समुचित प्रौद्योगिकी व्यवहार में लाकर की जा सकेगी, जो समुद्री जल को प्रयोग लायक बना सकेगी।
3. हिमालय से उद्गमित सभी नदियां प्रायद्वीपीय भारत की नदियों से जोड़ दी जाएंगी।
4. सरकार कृषकों द्वारा भौम जल निकालने के लिए बोरिंग से खोदे गए कुएं और उन पर लगाई गई मोटर और पंपसेट पर वहन किए गए व्यय की पूरी तरह प्रतिपूर्ति करेगी।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए -

Correct Answer: (b) केवल 1 और 2
Solution:शहरी क्षेत्रों की जल संबंधी जरूरतें अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण से पूरी की जा सकती हैं। इससे जल का संरक्षण तो संभव होगा ही साथ में अपशिष्ट जल को प्रयोग में भी लाया जा सकेगा। अपशिष्ट जल के प्रबंधन में राष्ट्रीय जल मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। साथ ही राष्ट्रीय जल मिशन के तहत ऐसे समुद्रतटीय शहर जिनके पास जल के अपर्याप्त वैकल्पिक स्रोत हैं, उनकी जल आवश्यकताओं की आपूर्ति ऐसी समुचित प्रौद्योगिकी को व्यवहार में लाकर की जा सकेगी, जो समुद्री जल को प्रयोग लायक बना सके। नदियों को जोड़ने की योजना राष्ट्रीय जल मिशन में शामिल नहीं है। साथ ही सरकार द्वारा भौमजल निकालने के लिए किसानों को प्रतिपूर्ति प्रदान करना भी इसमें शामिल नहीं है।

8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [U.P.P.C.S. (Pre) 2005]

1. केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (CGWA) ने भारत के 36% जिलों को "अतिशोषित" (overexploited) अथवा "संकटपूर्ण" (critical) वर्गीकृत किया हुआ है।
2. CGWA का निर्माण 'पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम' के अंतर्गत हुआ।
3. विश्व में भू-जल सिंचाई के अंतर्गत सबसे अधिक क्षेत्र भारत में है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (b) केवल 2 और 3
Solution:केंद्रीय भू-जल मूल्यांकन रिपोर्ट, वर्ष 2023 के अनुसार, पूरे देश के लिए कुल वार्षिक भू-जल पुनर्भरण 449.08 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जो पिछले वर्ष (2022) की तुलना में 11.48 बीसीएम की वृद्धि दर्शाता है तथा निकासी 241.34 बीसीएम है। कुल मूल्यांकन इकाइयों में से 736 इकाइयों को अतिशोषित तथा 4793 इकाइयों को सुरक्षित के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस प्रकार कथन 1 सही नहीं है। केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण की स्थापना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 3(3) के तहत हुई है। अतः कथन 2 सही है। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के अनुसार, भारत में कृषि सिंचाई में भू जल का सहयोग (Contribution) लगभग 59.23 प्रतिशत है। जो कि विश्व में भू-जल सिंचाई के अंतर्गत सबसे अधिक क्षेत्र है। अतः कथन 3 भी सही है।

9. जल (रोकथाम एवं प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम को निम्नलिखित में से किस वर्ष बनाया गया? [U.P.P.C.S.(Pre) 2023]

Correct Answer: (c) 1974 में
Solution:जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, वर्ष 1974 में अधिनियमित किया गया। इसे वर्ष 1988 में संशोधित किया गया। वॉ टर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) सेस एक्ट, वर्ष 1977 में लागू किया गया। आरंभ में यह अधिनियम तत्कालीन जम्मू एवं जम्मू कश्मीर राज्य में लागू नहीं था; किंतु वर्तमान में अधिनियम पूरे देश में लागू है।

10. जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया? [M.P.P.C.S. (Pre) 2017]

Correct Answer: (b) 1974
Solution:जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, वर्ष 1974 में अधिनियमित किया गया, इसे वर्ष 1988 में संशोधित किया गया।