दक्षिण भारत (चोल, चालुक्य, पल्लव एवं संगम युग) (UPPCS) (Part-2)

Total Questions: 41

1. परंपरा के अनुसार अलवारों और नयनारों की संख्या कितनी है? [M.P. P.C.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (a) 12 और 63
Solution:तमिल प्रदेश में वैष्णव धर्म का प्रचार अलवार संतों ने किया, जिनकी संख्या 12 मानी जाती है। इनमें प्रमुख थे-तिरुमंगई, आंडाल (महिला संत), तिरुमलशई, कुलशेखर, मधुर कवि, पोइगई। शैव धर्म का दक्षिण भारत में प्रचार-प्रसार नयनार संतों द्वारा किया गया। इन संतों की संख्या 63 है। इनमें अप्पार, सम्बन्दर, सुंदरर, मणिक्कवासगर आदि प्रमुख संत थे।

2. प्राचीन दक्षिण भारत में संगम साहित्य के बारे में, निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक सही है [I.A.S. (Pre) 2022]

Correct Answer: (b) वर्ण का सामाजिक वर्गीकरण संगम कवियों को ज्ञात था।
Solution:संगम साहित्य, तमिल साहित्य का सबसे प्राचीन उपलब्ध अंश है। संगम काल में रचित कविताओं से तत्कालीन दक्षिण भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक आदि दशाओं का ज्ञान होता है। संगम कविताओं के माध्यम से हमें तत्कालीन दक्षिण भारत की भौतिक संस्कृति का भी ज्ञान होता है। वर्ण का सामाजिक वर्गीकरण संगम कवियों को ज्ञात था। तमिल समाज उत्तर भारतीय समाज की भांति वर्गभेद पर आधारित था, जबकि संगम कविताओं में समर शौर्य के वर्णन के साथ-साथ जादुई ताकतों में भी विश्वास व्यक्त किया गया है।

3. ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में भारत तथा रोम के बीच घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की सूचना किस पुरास्थल की खुदाइयों से प्राप्त होती है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2001 U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002 U.P.P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (d) अरिकामेडु
Solution:अरिकामेडु, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है। 'पेरिप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी' नामक ग्रन्थ में इसे 'पोडुके' कहा गया है। यहां ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में रोमन बस्ती की अवस्थिति मानी जाती है। यहां से प्राप्त अवशेषों में कई रोमन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें शराब के हत्थेदार युक्त कलश, रोमन लैम्प, रोमन प्याला आदि प्रमुख हैं। इससे भारत तथा रोम के घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की सूचना मिलती है।

4. पूर्वी भारत में प्रमुख भारतीय-रोमन व्यापारिक स्थान था- [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) अरिकामेडु
Solution:अरिकामेडु, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है। 'पेरिप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी' नामक ग्रन्थ में इसे 'पोडुके' कहा गया है। यहां ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में रोमन बस्ती की अवस्थिति मानी जाती है। यहां से प्राप्त अवशेषों में कई रोमन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें शराब के हत्थेदार युक्त कलश, रोमन लैम्प, रोमन प्याला आदि प्रमुख हैं। इससे भारत तथा रोम के घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की सूचना मिलती है।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा बंदरगाह पोडुके नाम से 'द पेरिप्लस ऑफ द इरिथ्रियन सी' के लेखक को ज्ञात था? [U.P. P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (a) अरिकामेडु
Solution:अरिकामेडु, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है। 'पेरिप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी' नामक ग्रन्थ में इसे 'पोडुके' कहा गया है। यहां ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में रोमन बस्ती की अवस्थिति मानी जाती है। यहां से प्राप्त अवशेषों में कई रोमन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें शराब के हत्थेदार युक्त कलश, रोमन लैम्प, रोमन प्याला आदि प्रमुख हैं। इससे भारत तथा रोम के घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की सूचना मिलती है।

6. रोमन बस्ती कहां से प्राप्त हुई है? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]

Correct Answer: (b) अरिकामेडु
Solution:अरिकामेडु, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है। 'पेरिप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी' नामक ग्रन्थ में इसे 'पोडुके' कहा गया है। यहां ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में रोमन बस्ती की अवस्थिति मानी जाती है। यहां से प्राप्त अवशेषों में कई रोमन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें शराब के हत्थेदार युक्त कलश, रोमन लैम्प, रोमन प्याला आदि प्रमुख हैं। इससे भारत तथा रोम के घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की सूचना मिलती है।

7. एम्फोरा जार होता है, एक [U.P.P.S.C. (R.L.) 2014]

Correct Answer: (b) लंबा एवं दोनों तरफ हत्थेदार जार
Solution:एम्फोरा जार एक लंबी एवं संकीर्ण गर्दन वाला और दोनों तरफ हत्थेदार जार है। प्राचीन काल में इसका प्रयोग तेल या शराब को रखने के लिए किया जाता था। अरिकामेडु के उत्खनन से रोम आयातित इस जार के अवशेष मिले हैं।

8. निम्नलिखित राजवंशों में किसका उल्लेख संगम साहित्य में नहीं हुआ है? [41st B.P.S.C. (Pre) 1996]

Correct Answer: (a) कदंब
Solution:संगम साहित्य में केवल चोल, चेर एवं पाण्ड्य राजाओं के बारे में विवरण प्राप्त होता है। इन राज्यों के विविध राजाओं के शासनकाल का स्पष्ट निर्धारण संभव न होने पर भी संगम साहित्य से कृष्णा नदी के दक्षिण में सुदूर प्रायद्वीप तक विभिन्न गतिविधियों पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। कदंब या अन्य किसी राजवंश का उल्लेख संगम साहित्य में नहीं है।

9. निम्नलिखित में से कौन एक तमिल देश के संगम युग का राजवंश नहीं था ? [U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]

Correct Answer: (c) पल्लव
Solution:संगम साहित्य में केवल चोल, चेर एवं पाण्ड्य राजाओं के बारे में विवरण प्राप्त होता है। इन राज्यों के विविध राजाओं के शासनकाल का स्पष्ट निर्धारण संभव न होने पर भी संगम साहित्य से कृष्णा नदी के दक्षिण में सुदूर प्रायद्वीप तक विभिन्न गतिविधियों पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। कदंब या अन्य किसी राजवंश का उल्लेख संगम साहित्य में नहीं है।

10. धार्मिक कविताओं का संकलन 'कुरल' किस भाषा में है? [M.P.P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (b) तमिल
Solution:'कुरल' तमिल साहित्य का 'बाइबिल' तथा 'लघुवेद' माना जाता है। इसे 'मुप्पाल' भी कहा जाता है। इसकी रचना सुप्रसिद्ध कवि तिरुवल्लुवर ने की थी। अनुश्रुतियों के अनुसार, तिरुवल्लुवर ब्रह्मा के अवतार थे।