Solution:भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Depart- ment-IMD) तथा अन्य एजेंसियों द्वारा प्रदत्त आंकड़ों के आधार पर भारतीय मानक ब्यूरो ने भारत का पूकंप प्रतिरोधी डिजाइन कोड (Earthquake Resistant Design Code of India: 15-1893-Part I 2002) तैयार किया है, जो कि भारत के भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र (Seismic Zoning Map) का नवीनतम संस्करण है। इसमें मारत के भू-क्षेत्र को भूकंप प्रवणता की दृष्टि से 4 क्षेत्रों (Zones) में बांटा गया है- भूकंपीय क्षेत्र (Seismic Zone) II (अल्प तीव्रता क्षेत्र) III (मध्यम तीव्रता क्षेत्र) IV (गहन तीव्रता क्षेत्र) V (अति प्रचंड तीव्रता क्षेत्र) सीव्रता (Intensity) VI (या कम) Low Damage VII-Damage to Buildings VIII-Destruction of Buildings IX (एवं अक)-Very High Damage• क्षेत्र (Zane) V-इस क्षेत्रको IS कोड के तहत क्षेत्र कारक (Zom Factor) 0.36 दिया गया है अर्थात इस क्षेत्र में किसी सरवना पर भूकंप के फलस्वरूप गुरुत्वीय स्वरण का 36 प्रतिशत तक सैतिज त्वरण अनुभूत हो सकता है। यह अत्यधिक उच्च क्षति जोखिम क्षेत्र है। भारत के जन्मू और कश्मीर तथा लदाख (केंद्रशासित प्रदेश), हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं बिहार राज्यों के कुछ भाग, কথ্য কা रंग, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तथा पूर्वोतर क्षेत्र इस क्षेत्र में आते हैं। इसमें देश के कुल भूक्षेत्रका 10.9 प्रतिशत भाग जाता है।
• क्षेत्र (Zane) IV- इसका क्षेत्र कारक IS कोड के तहत 9.24 है। देश की राजधानी दिल्ली सहित भारतीय-गंगा मैदान क्षेत्र, शेष हिमालय, गुजरात के माग, महाराष्ट्र का कोयना क्षेत्र एवं सिक्किम इसमें शामिल है। देश के कुल भू-क्षेत्र का 17.3 प्रतिशत इसमें आता है।
• क्षेत्र (Zone) III-इसका क्षेत्र कारक 0.16 है। लक्षद्वीप, पश्चिमी घाट एवं प्रायद्वीपीय भारत का अंशित क्षेत्र तथा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित गंगा मैदार्ता का दक्षिणी भाग इसी क्षेत्र में हैं। यह क्षेत्र भारत के 30.4 प्रतिशत भूभाग को समाहित करता है।
• क्षेत्र (Zone) II-इसका क्षेत्र कारक 0.10 है। पूर्व के जोन 1 एवं 11 को एक में समाहित कर अब जोन ॥ का निर्धारण किया गया है। इसमें भारत का 41.4 प्रतिशत भूक्षेत्र आता है। प्रायद्वीप पठार का अधिकांश भाग इसी क्षेत्र में है। कर्नाटक पठार प्रायद्वीपीय पठार के अंतर्गत ही है।
अतः यह सबसे कम मूकं प्रभाकित मेखला में सम्मिलित है।