Total Questions: 26
(i) अतीत से वर्तमान और भविष्य तक का सबक ।
(ii) उन गलतियों के दोहराव से बचना जिनसे समूल मानव जाति संकट मे पड़ती है।
(iii) समरसता, शांति व समृद्धि को बढ़ाना।
(iv) आज की परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझना।
ईसा-पूर्व तीसरी सदी में 'प्राकृत' भाषा ने देश भर में लिंगुआ- फ्रैंका/संपर्क भाषा का कार्य किया। ईसा पूर्व तीसरी सदी के बाद यह स्थान 'संस्कृत' ने ले लिया और देश के कोने-कोने में राजभाषा के रूप में प्रचलित हुई, जिसका प्रभाव गुप्त काल तक रहा।
'दि वण्डर दैट वाज इण्डिया' के लेखक ब्रिटिश इतिहासकार ए. एल.बाशम हैं। इन्होंने अपनी पुस्तक में भारतीय समाज का गहन अध्ययन करते हुए कहा कि प्राचीन विश्व के किसी भी अन्य भाग में मनुष्य-मनुष्य के बीच और मनुष्य तथा राज्य के बीच के संबंध इतने अच्छे और मानवोचित नहीं रहे, जितने भारत में थे।
पुराणों के अनुसार इतिहास के विषयों को मुख्यतः पांच वर्गों में विभाजित किया गया है- (1) सर्ग सृष्टि की उत्पत्ति (2) प्रतिसर्ग सृष्टि का प्रत्यावर्तन एवं प्रतिविकास (3) मन्वंतर - समय की आवृत्ति (4) वंश - राजाओं और ऋषियों की वंशावलियां (5)
वंशानुचरित - चुने हुए पात्रों की जीवनियां।