भारत छोड़ो आंदोलन (आधुनिक भारतीय इतिहास)

Total Questions: 4

1. निम्नलिखित में से किस वर्ष में महाराष्ट्र के सतारा में युवा नेताओं ने एक समानांतर सरकार पार्टी की स्थापना की, जो लोगों की अदालत चलाती थी और रचनात्मक कार्य आयोजित करती थी? [दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 2 दिसंबर, 2023 (II-पाली)]

Correct Answer: (b) 1943
Solution:
  • वर्ष 1943 में महाराष्ट्र के सतारा में युवा नेताओं ने एक समानांतर सरकार पार्टी की स्थापना की, जो लोगों की अदालत चलाती थी और रचनात्मक कार्य आयोजित करती थी।
  •  यह युवा नेताओं द्वारा बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान एक वैकल्पिक शासन मॉडल प्रदान करना था।
  • पार्टी सरकार ने जन न्यायालय चलाए और रचनात्मक कार्य का आयोजन किया, जिसमें स्थानीय शासन और न्याय पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • यह आंदोलन ब्रिटिश शासन को चुनौती देने और भारतीय स्वशासन की क्षमता को प्रदर्शित करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा था।
    Other Information
  •  पार्टी सरकार:
    • यह एक क्रांतिकारी आंदोलन था जिसने भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान महाराष्ट्र के सातारा जिले में एक समानांतर सरकार चलाई।
    • यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा था और यह दिखाने का प्रयास किया गया कि भारतीय स्वयं शासन कर सकते हैं।
    • पार्टी सरकार की गतिविधियों में विवादों को सुलझाने के लिए जन न्यायालय चलाना और क्षेत्र में विभिन्न विकासात्मक और रचनात्मक कार्य आयोजित करना शामिल था।
    • इस आंदोलन ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्थानीय समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और व्यापक स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया।
  • जन न्यायालय:
    • ये न्यायिक निकाय थे जो पार्टी सरकार द्वारा ब्रिटिश कानूनी ढांचे के बाहर विवादों को सुलझाने और न्याय प्रशासित करने के लिए स्थापित किए गए थे।
    • जन न्यायालयों का उद्देश्य स्थानीय आबादी को निष्पक्ष और त्वरित न्याय प्रदान करना था, जो अक्सर ब्रिटिश न्यायिक व्यवस्था के तहत इनकार कर दिया जाता था।
  • रचनात्मक कार्य:
    • यह स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पार्टी सरकार द्वारा किए गए विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को संदर्भित करता है।
    • रचनात्मक कार्य में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास में पहल शामिल थी।

2. उस स्थान का नाम बताइए जहां ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह के निशान के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भारतीयों द्वारा "स्वतंत्र" समानांतर सरकार की स्थापना की गई थी। [दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 28 नवंबर, 2023 (II-पाली)]

Correct Answer: (b) सतारा
Solution:
  • सतारा (महाराष्ट्र) में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह के निशान के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भारतीयों द्वारा 'स्वतंत्र' समानांतर सरकार की स्थापना की गई।
  • सतारा जिले में स्थानीय स्वतंत्र सरकार जिसे 'पात्री सरकार' कहा जाता है, लगभग तीन साल तक चली।
  • भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक के रूप में भारतीयों ने कई स्थानों पर "स्वतंत्र" समानांतर सरकारों की स्थापना की थी।
  • विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में भारत छोड़ो आंदोलन के समय समानांतर सरकार की स्थापना की गई थी
  • जिसे "स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र" के नाम से जाना जाता है। इस सरकार का नेतृत्व चित्तू पांडे ने किया था।
  • बलिया की यह समानांतर सरकार ब्रिटिश सरकार के प्रशासन को चुनौती देने के लिए बनी और उसने स्थानीय प्रशासन, कानून व्यवस्था और कर संग्रह जैसे काम संभाले।
  • इसी प्रकार महाराष्ट्र के सतारा जिले में भी एक समानांतर सरकार स्थापित की गई थी, जिसे "पट्टी सरकार" कहा जाता था
  • जिसका नेतृत्व क्रांतिसिंह नाना पाटिल ने किया था। इसके अतिरिक्त बंगाल के तामलुक और उड़ीसा के तलचर में भी समानांतर सरकारें बनाई गई थीं।
  • बलिया की समानांतर सरकार 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्थापित हुई और यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रत्यक्ष अवज्ञा और स्थानीय स्वराज्य की प्रतिक थी।
  • बलिया में ब्रिटिश अधिकारियों को खदेड़ कर एक राष्ट्रीय सरकार बनाई गई, जिसने स्थानीय लोगों की सेवा की, विवादों का निपटारा किया और स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी।
  • सतारा की "पट्टी सरकार" ने भी एक वैकल्पिक शासन मॉडल पेश किया, जहाँ इसने रोजगार, कानून व्यवस्था, और आर्थिक गतिविधियों को व्यवस्थित करके ब्रिटिश प्रशासन को चुनौती दी।
  • ये समानांतर सरकारें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनता के सामर्थ्य और उनके स्वशासन के सपने की जीवंत उदाहरण थीं।
  • इस प्रकार बलिया, सतारा, तामलुक और तलचर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश शासन के विरुद्ध समानांतर सरकारों की स्थापना के प्रमुख केंद्र थे
  •  जिनका उद्देश्य अंग्रेजों की सत्ता को कमजोर करना और भारतीयों का आत्म-साशन स्थापित करना था।
  • ये सरकारें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ राष्ट्रव्यापी असहयोग और अवज्ञा आंदोलन का एक सशक्त रूप थीं और उन्होंने स्थानीय प्रशासन को भारतीय हाथों में सौंप कर स्वतंत्रता की मांग को और अधिक प्रभावी बनाया

3. किस स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान महात्मा गांधीजी ने "करो या मरो (Do or Die)" का नारा दिया था? [MTS (T-I) 19 मई, 2023 (II-पाली), CGL (T-I) 21 जुलाई, 2023 (I-पाली)]

Correct Answer: (b) भारत छोड़ो आंदोलन
Solution:
  • 8 अगस्त, 1942 को 'भारत छोड़ो प्रस्ताव' कतिपय संशोधनों के बाद पास कर दिया गया।
  • इस दौरान गांधीजी द्वारा दिया गया यह वक्तव्य विशेष महत्वपूर्ण है कि "संपूर्ण आजादी से कम किसी भी चीज से मैं संतुष्ट होने वाला नहीं, हो सकता है।
  • नमक टैक्स, शराबखोरी आदि को खत्म करने का प्रस्ताव अंग्रेज सरकार दे, किंतु मेरे शब्द होंगे आजादी से कम कुछ भी नहीं।
  • मैं आपको एक मंत्र देता हूं-'करो या मरो'।" इस मंत्र का आशय है या तो हम भारत को आजाद कराएंगे या आजादी के प्रयास में दिवंगत होंगे।
  • महात्मा गांधीजी ने "करो या मरो" का नारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया था।
  •   इस आंदोलन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने नेतृत्व दिया और इसका मकसद ब्रिटिश शासन को भारत से पूरी तरह हटाने की दृढ़ मांग थी।
  • गांधीजी ने इस नारे के माध्यम से देशवासियों को दृढ़ निश्चय और त्याग की भावना से भर दिया कि या तो भारत आज़ाद हो जाएगा या फिर आंदोलनकारियों को अपनी जान देनी पड़ेगी।
  • भारत छोड़ो आंदोलन विश्वयुद्ध के बीच अंग्रेजों द्वारा भारत को बिना सहमति के युद्ध में शामिल किए जाने के विरोध में शुरू हुआ था।
  • 1942 में क्रिप्स मिशन द्वारा भारत को सीमित स्वशासन का प्रस्ताव देने को भारतीय नेताओं ने ठुकरा दिया था
  • जिससे असंतोष और बढ़ गया। इसी दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो का प्रस्ताव पारित करते हुए 'करो या मरो' का नारा दिया, जो पूरी तरह अहिंसात्मक था लेकिन कड़ा और निर्णायक भी था।
  • यह नारा भारतीय जनता को संगठित करने और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पूर्ण आजादी के लिए अंतिम संघर्ष में जुटने का आह्वान था।
  • इस आंदोलन में गांधीजी ने स्पष्ट किया कि जनता को अपना सर्वस्व अर्पित करना होगा, चाहे उसकी कीमत जान की आहुति ही क्यों न हो।
  • देशभर में इस नारे ने आग की तरह फैलकर युवाओं, किसानों, मजदूरों और महिलाओं को आन्दोलन में सम्मिलित किया।
  • आंदोलन के दौरान कई जगहों पर पुलिस एवं ब्रिटिश प्रशासन से संघर्ष हुए, और कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
  • हालांकि आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों ने कड़ी कार्रवाई की, लेकिन इस नारे ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया उत्साह और जनसमर्थन दिया, जो अंततः भारत की आजादी की राह को मजबूत करने वाला साबित हुआ।
  • इस प्रकार, "करो या मरो" नारा महात्मा गांधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया गया था, जो देशवासियों को अंतिम लड़ाई के लिए प्रेरित करता था और स्वतंत्रता की मांग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता था.

4. निम्नलिखित में से किसने अपने करीबी सहयोगियों के साथ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त कांग्रेस रेडियो की शुरुआत की थी? [CGL(T-I) 25 जुलाई, 2023 (III-पाली)]

Correct Answer: (b) उषा मेहता
Solution:
  • भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बंबई के विभिन्न भागों से कांग्रेस का गुप्त रेडियो प्रसारित किया जाता था, जिसे मद्रास तक सुना जा सकता था।
  • राम मनोहर लोहिया नियमित रूप से इस रेडियो पर प्रसारण करते थे। उषा मेहता कांग्रेस के भूमिगत रेडियो का संचालन करने वाले छोटे-से दल की एक महत्वपूर्ण सदस्या थीं।
  •  रेडियो की शुरुआत कांग्रेस का संदेश फैलाने और लोगों को आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए की गई थी।
  •  उषा मेहता एक स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक प्रमुख सदस्य थीं।
  •  वह एक शिक्षिका भी थीं और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जनता को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  •  भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया था, और यह भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन था।
    Other Information
  •  भीकाजी कामा एक भारतीय क्रांतिकारी थीं जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के पहले संस्करण को बनाने के लिए जाना जाता है।
  •  लक्ष्मी सहगल एक स्वतंत्रता सेनानी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की करीबी सहयोगी थीं।
  •  सरोजिनी नायडू एक कवयित्री, सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक प्रमुख सदस्य थीं।
  • वह किसी भारतीय राज्य (उत्तर प्रदेश) की पहली महिला राज्यपाल भी थीं।
  •  गुप्त कांग्रेस रेडियो का पहला प्रसारण 27 अगस्त 1942 को किया गया जिसमें उषा मेहता ने अपनी धीमी आवाज़ में घोषणा की थी।
  • इस गुप्त रेडियो ने भारत छोड़ो आंदोलन को गति देने में अहम भूमिका निभाई और ब्रिटिश सरकार द्वारा जनता से छुपाई गई सूचनाओं को जनता तक पहुँचाया।
  • उषा मेहता और उनके साथियों ने पुराने ट्रांसमीटर को जोड़-तोड़ कर एक कार्यशील रेडियो स्टेशन बनाया था
  • जिसे अंग्रेज पकड़ न सकें इसीलिए रेडियो की लोकेशन रोज़ बदलती रहती थी। इस रेडियो सेवा के माध्यम से कांग्रेस के बड़े नेताओं की आवाज़ सीधे आम जनता तक पहुंचाई जाती थी, जो आंदोलन के प्रचार-प्रसार में अत्यंत प्रभावशाली था।
  • हालांकि यह सेवा लगभग तीन महीने तक ही चली क्योंकि अंततः अंग्रेजों ने इसका पता लगा लिया और उषा मेहता समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • गुप्त कांग्रेस रेडियो के कार्य में सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और युवा सक्रिय थे। इनके सहयोग से रेडियो ने भारत के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम की खबरें और संदेश पहुंचाए।
  • इस कठिन दौर में जब अंग्रेज सरकार ने अखबारों और अन्य साधनों पर प्रतिबंध लगा रखा था, रेडियो एक क्रांतिकारी माध्यम बनकर उभरा।
  • इस रेडियो का संचालन उषा मेहता के नेतृत्व में मुंबई में हुआ, जिसमें विट्ठलदास जावेरी और चंद्रकांत बाबू जावेरी जैसे सहयोगी भी शामिल थे। स्वतंत्रता संग्राम के इस पहलू ने आंदोलन में उत्साह और जनसमर्थन बढ़ाने का काम किया।
  • संक्षेप में, उषा मेहता ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अपने करीबी साथियों के साथ मिलकर गुप्त कांग्रेस रेडियो की स्थापना की, जिसने ब्रिटिश शासन के दमन के बीच स्वतंत्रता संग्राम की आवाज़ को जनता तक पहुँचाने का साहसिक और प्रभावी माध्यम प्रदान किया