मुगल वंश : बाबर (UPPCS)

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11. किस वर्ष बाबर ने सुल्तान इब्राहिम लोदी को पानीपत की लड़ाई में पराजित किया? [U.P.P.C.S (Pre) 2016]

Correct Answer: (b) 1526 ई.
Solution:दिए गए विकल्पों के अनुसार, पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर द्वारा तोपों का प्रयोग किया गया था। यह लड़ाई बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल, 1526 को संपन्न हई थी। जिसमें अपनी सैन्य कुशलता के बल पर बाबर ने विजय प्राप्त की। बाबर की तोपों का संचालन उस्ताद बली कुली एवं बंदूकचियों का नेतृत्व मुस्तफा ने किया था, परंतु बाबर प्रथम उपयोग का उल्लेख किया है। भारत में तोप और बंदूक दाखिल * 1519 ई. में बाजौर (पाकिस्तान) की लड़ाई में तोपों और बंदूकों के करने का श्रेय आमतौर पर बाबर को दिया गया है।

12. निम्न में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? [U.P. P.C.S. (Re. Exam) (Pre) 2015]

Correct Answer: (d) चंदेरी का युद्ध : 1530
Solution:पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच, खानवा का युद्ध 1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के बीच, घाघरा का युद्ध 1529 ई. में बाबर और महमूद लोदी के बीच, जबकि चंदेरी का युद्ध 1528 ई. में बाबर और मेदिनी राय के बीच हुआ था। अतः विकल्प (d) सही सुमेलित नहीं है।

13. निम्नलिखित पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2015]

बाबर के भारत में आने के फलस्वरूप

1. उपमहाद्वीप में बारूद के उपयोग की शुरुआत हुई।

2. इस क्षेत्र की स्थापत्यकला में मेहराब और गुंबद बनने की शुरुआत हुई।

3. इस क्षेत्र में तैमूरी (तिमूरिद) राजवंश स्थापित हुआ।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

Correct Answer: (b) केवल 3
Solution:भारतीय उपमहाद्वीप में बारूद का प्रयोग बाबर के आक्रमण से पूर्व हो चुका था। हालांकि, भारत में तोप और बंदूक का प्रयोग करने का श्रेय बाबर को दिया जाता है। जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर की धमनियों में एशिया के दो वीर जातियों का रक्त प्रवाहित था, माता की ओर से वह चंगेज खां (मंगोल) का वंशज तथा पिता की ओर से तैमूर का वंशज था। अतः बाबर के सत्तारूढ़ होते ही इस क्षेत्र में तैमूरी राजवंश स्थापित हुआ। तैमूर प्रभुसत्ता के दैवी अंश के साथ ही संप्रभु के अविभाज्य सत्ताधिकार में विश्वास करता था।

मेहराब और गुम्मद बनाने की शुरुआत सल्तनत काल में ही हो चुकी थी। बाबर ने भारत में इस्लामी वास्तुकला को स्वयं किसी प्रकार प्रभावित नहीं किया; परंतु 'बाबरनामा' में उसने स्थानीय वास्तुकला में संतुलन या सुडौलपन के अभाव का वर्णन किया है। उसने आगरा में एक उद्यान का निर्माण करवाया। उसने पानीपत की मस्जिद एवं संभल की जामा मस्जिद का निर्माण किया। हुमायूं ने दीनपनाह नगर की नींव रखी, जो रोड़ी की बनी हुई थी और सामान्य भवनों को महलों के रूप में परिवर्तित किया गया। शेरशाह के काल में नगर के विशाल और मजबूत दरवाजों में सुंदर मेहराबों के निर्माण और संगमरमर तथा रंगीन टाइलों के प्रयोग से यह प्रकट होता है कि नए व्यक्तित्त्व के अधीन भवन निर्माण की नई परंपरा शुरू हुई। दिल्ली के पुराने किले के भीतर बनी मस्जिद 'किला-ए-कुहना' का निर्माण शेरशाह द्वारा 1542 ई. में किया गया।

14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। [69th B.P.S.C (Pre) 2023]

भारत में बाबर के आगमन के कारण

1. उपमहाद्वीप में बारूद का आगमन हुआ

2. क्षेत्र की वास्तुकला में मेहराब और गुंबद का परिचय हुआ

3. प्रदेश में तैमुरिड राजवंश की स्थापना हुई

4. युद्ध में तोपों की शुरुआत हुई

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

Correct Answer: (c) 3 और 4
Solution:बाबर के आगमन के फलस्वरूप भारत में तैमूरी/तैमुरिड (Timurid) राजवंश की स्थापना हुई। बाबर पितृवंश की ओर से तैमूर का पांचवां वंशज था। बाबर के आगमन के कारण भारत में सर्वप्रथम युद्ध में तोपों की शुरुआत हुई। पानीपत के प्रथम युद्ध में उसकी विजय का प्रमुख श्रेय उसके तोपखाना को दिया जाता है। उस्ताद अली तथा मुस्तफा नामक तुर्की तोपचियों की सहायता से उसने एक अच्छा तोपखाना तैयार किया था। भारतीय उपमहाद्वीप में बारूद का आगमन बाबर के भारत आने से पूर्व हो चुका था, जबकि वास्तुकला के क्षेत्र में मेहराब तथा गुंबद का प्रयोग तुर्कों के आगमन के पश्चात ही प्रारंभ हो गया था। अतः कथन (1) तथा (2) गलत है, जबकि कथन (3) तथा (4) सत्य हैं।

15. निम्नलिखित युद्धों में से किस एक में बाबर ने 'जेहाद' की घोषणा की थी? [U.P. P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (b) खानवा का युद्ध
Solution:बाबर ने खानवा के युद्ध में जेहाद की घोषणा की थी। खानवा का युद्ध 1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था। इस युद्ध में राणा सांगा पराजित हुआ। इस युद्ध में विजयश्री मिलने के उपरांत बाबर ने 'गाजी' की उपाधि धारण की। कुछ विद्वानों के अनुसार, बाबर ने चंदेरी के युद्ध में भी जेहाद घोषित किया था।

16. राणा सांगा ने निम्नलिखित युद्धों में से किसमें बाबर के विरुद्ध लड़ाई की थी ? [U. P. U. D. A./L.D.A. (Pre) 2010]

Correct Answer: (b) खानवा का युद्ध
Solution:बाबर ने खानवा के युद्ध में जेहाद की घोषणा की थी। खानवा का युद्ध 1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था। इस युद्ध में राणा सांगा पराजित हुआ। इस युद्ध में विजयश्री मिलने के उपरांत बाबर ने 'गाजी' की उपाधि धारण की। कुछ विद्वानों के अनुसार, बाबर ने चंदेरी के युद्ध में भी जेहाद घोषित किया था।

17. मेवाड़ के जिस राजा को 1527 में खानवा के युद्ध में बाबर ने हराया था, वह था- [U.P. P.C.S. (Mains) 2004]

Correct Answer: (d) राणा सांगा
Solution:बाबर ने खानवा के युद्ध में जेहाद की घोषणा की थी। खानवा का युद्ध 1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था। इस युद्ध में राणा सांगा पराजित हुआ। इस युद्ध में विजयश्री मिलने के उपरांत बाबर ने 'गाजी' की उपाधि धारण की। कुछ विद्वानों के अनुसार, बाबर ने चंदेरी के युद्ध में भी जेहाद घोषित किया था।

18. खानवा के युद्ध में कौन पराजित हुआ था? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (c) राणा सांगा
Solution:बाबर ने खानवा के युद्ध में जेहाद की घोषणा की थी। खानवा का युद्ध 1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था। इस युद्ध में राणा सांगा पराजित हुआ। इस युद्ध में विजयश्री मिलने के उपरांत बाबर ने 'गाजी' की उपाधि धारण की। कुछ विद्वानों के अनुसार, बाबर ने चंदेरी के युद्ध में भी जेहाद घोषित किया था।

19. भारत के मुगल शासक बनने पर जहीरुद्दीन मोहम्मद ने....... नाम रखा। [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (a) बाबर
Solution:बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था, इसका जन्म 14 फरवरी. 1483 को फरगना में उमर शेख मिर्जा एवं कुतलुग निगारखानम के घर हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद लगभग ग्यारह वर्ष चार माह की अल्पायु में जून, 1494 में वह फरगना के सिंहासन पर बैठा। पानीपत के प्रथम युद्ध में विजय के पश्चात 27 अप्रैल, 1526 को बाबर ने अपने को 'बादशाह' घोषित करके भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डाली।

20. बाबर ने सर्वप्रथम 'पादशाह' की पदवी धारण की थी- [U.P.P.C.S. (Mains) 2015]

Correct Answer: (b) काबुल में
Solution:बाबर ने अपने फरगना के शासनकाल में 1501 ई. में समरकंद पर अधिकार किया, जो मात्र आठ महीने तक उसके कब्जे में रहा। समरकंद और फरगना का शासन उसके हाथों से निकल जाने के बाद उसने काबुल की ओर रुख किया। 1504 ई. में काबुल विजय की एवं काबुल में ही 1507/1508 ई. में अपने अनुगामियों का मनोबल बढ़ाने हेतु बाबर ने अपने पूर्वजों द्वारा धारण की गई उपाधि 'मिर्जा' का त्याग कर नई उपाधि 'पादशाह' धारण की।