मूल अधिकार भाग – 2 (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

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21. मूल अधिकारों से संबंधित संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन एक प्रत्यक्ष रूप से बालकों के शोषण से संबद्ध है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2011 U.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (c) 24
Solution:भारत के संविधान का अनुच्छेद 24 जोखिमपूर्ण कार्यों से संबंधित कारखानों में बालकों के नियोजन का पूर्ण निषेध (Absolute prohi- bition) करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।

22. आई.सी.सी.पी.आर. के अनुच्छेद द्वारा बाल अधिकार को सुरक्षित किया गया है। [M.P.P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) 24
Solution:आई.सी.सी.पी.आर (यानी इंटरनेशनल कन्वेनैंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स) के अनुच्छेद 24 द्वारा बाल अधिकार को सुरक्षित किया गया है। उल्लेखनीय है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 24 के द्वारा भी बाल अधिकार का संरक्षण किया गया है।

23. संविधान का कौन-सा अनुच्छेद दोषसिद्धि के संबंध में अभियुक्तों को दोहरे दंड एवं स्व-अभिशंसन से संरक्षण प्रदान करता है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]

Correct Answer: (d) अनुच्छेद 20
Solution:संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के अनुसार, किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जा सकता तथा अनुच्छेद 20 (3) के अनुसार, किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

24. किसी अपराध के अभियुक्त को स्वयं अपने विरुद्ध गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में यह प्रावधान है? [U.P. Lower Sub. Spl. (Pre) 2004]

Correct Answer: (a) अनुच्छेद 20 (3) में
Solution:संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के अनुसार, किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जा सकता तथा अनुच्छेद 20 (3) के अनुसार, किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

25. "किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जाएगा" [U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]

अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में उपरोक्त संरक्षण किस अनुच्छेद के अंतर्गत दिया गया है?

Correct Answer: (b) अनुच्छेद 20
Solution:संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के अनुसार, किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जा सकता तथा अनुच्छेद 20 (3) के अनुसार, किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

26. निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 का हिस्सा नहीं है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) यातना के विरुद्ध निषेध
Solution:संविधान के अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) के तहत यातना के विरुद्ध निषेध शामिल नहीं है, जबकि दोहरे दंड की धारा [अनुच्छेद 20 का खंड (2)], कायोत्तर विधि (Ex- Post Facto Law) [अनुच्छेद 20 का खंड (1)] तथा स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने से निषेध [अनुच्छेद 20 का खंड (3)] इसका हिस्सा हैं। अतः अनुच्छेद 20 कायोत्तर विधि (अर्थात ऐसी विधियां, जो आरोपित अपराध के समय प्रवृत्त नहीं है), एक ही अपराध के लिए दोहरे दंड तथा किसी अपराध के लिए अभियुक्त को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने से संरक्षा प्रदान करता है।

27. बंदी बनाए गए व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा किस अनुच्छेद से प्रदत्त है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

Correct Answer: (d) अनु. 22
Solution:संविधान के अनुच्छेद 22 में कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण प्रदान किया गया है। इस अनुच्छेद के खंड (1) के अनुसार किसी व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है, ऐसी गिरफ्तारी के कारणों से यथाशीघ्र अवगत कराए बिना अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा या अपनी रुचि के विधि व्यवसायी से परामर्श करने और प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा।

28. निम्नलिखित में से कौन सुमेलित नहीं है? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (c) अनुच्छेद 22(2) - संसद विधि द्वारा उन परिस्थितियों का निर्धारण कर सकेगी, जिसके अंतर्गत तीन माह से अधिक निरुद्ध किया जा सकेगा।
Solution:संविधान के अनुच्छेद 22(2) के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को, जो गिरफ्तार किया गया है और अभिरक्षा में निरुद्ध रखा गया है, गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर ऐसी गिरफ्तारी से चौबीस घंटे की अवधि में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा और ऐसे व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के प्राधिकार के बिना उक्त अवधि से अधिक अवधि के लिए अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा। अनुच्छेद 22(7) में यह प्रावधानित है कि संसद विधि द्वारा उन परिस्थितियों का निर्धारण कर सकेगी, जिसके अंतर्गत तीन माह से अधिक निरुद्ध किया जा सकेगा। अन्य प्रश्नगत युग्म सुमेलित हैं।

29. प्रत्यक्ष बंदीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक व्यक्ति बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाया जा सकता है- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) 3 माह के लिए
Solution:प्रत्यक्ष बंदीकरण (निवारक निरोध) अधिनियम के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 3 माह के लिए बंदी बनाया जा सकता है। अनुच्छेद 22(4) के अनुसार, यदि निरोध 3 माह से अधिक के लिए है, तो वह मामला सलाहकार बोर्ड को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को निरोध में तभी रखा जा सकेगा, जब सलाहकार बोर्ड का यह मत हो कि ऐसे निरोध के लिए पर्याप्त आधार

30. प्रिवेन्टिव डिटेन्शन के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाकर रखा जा सकता है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (b) तीन माह तक
Solution:भारत में निवारक निरोध (Preventive Detention) के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए (बगैर न्यायिक सलाहकार बोर्ड के प्रतिवेदन के) अधिकतम 3 माह तक [संविधान के अनु. 22(4) के अनुसार] बंदी बनाकर रखा जा सकता है। हालांकि अनु. 22(7) के तहत संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के तहत निर्धारित मामलों तथा निर्धारित अधिकतम अवधि के संदर्भ में यह बात लागू नहीं होती है।