Correct Answer: (b) भरतमुनि ने
Solution:'नाट्यशास्त्र' में भरतमुनि ने 'रस' की व्याख्या करते हुए कहा है- 'वि भावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः' अर्थात् विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। इनके इस सूत्र में स्थायी भाव का उल्लेख नहीं है। भरतमुनि कृत 'नाट्यशास्त्र' के अनुसार, अनुभावों का विशेष उपयोग अभिनय की दृष्टि से ही होता है। भरतमुनि ने श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स और अद्भुत सहित कुल आठ रस को स्वीकार किया है।