परिभाषा
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'भाव दशा के कारण वचन में आए परिवर्तन को .कहते हैं।
"निर्जन नटि-नटि पुनि लजियावै। छिन रिसाई हँसि सैन बुलावै।।"
छिन रिसाइ हँसि सैन बुलावै।।"
इन पंक्तियों में संयोग श्रृंगार रस है। श्रृंगार रस के दो भेद हैं-संयोग श्रृंगार रस तथा विप्रलम्भ श्रृंगार रस।
विप्रलम्भ श्रृंगार रस को वियोग श्रृंगार रस भी कहते हैं।
शृंगाररस के भेद हैं-
(1) संयोग श्रृंगार
(2) वियोग (विप्रलम्भ) श्रृंगार
(1) संयोग श्रृंगार,
(2) वियोग श्रृंगार