Correct Answer: (b) कोपेन
Solution:जर्मन-रूसी वनस्पति विज्ञानी तथा जलवायु विज्ञानवेत्ता व्लादिमीर कोपेन ने वर्ष 1884 में विश्व की जलवायु का वर्णनात्मक वर्गीकरण रूसी भाषा में प्रकाशित एक पेपर जिसका अंग्रेजी नाम 'द थर्मल जॉस ऑफ द अर्थ' था, में प्रस्तुत किया, जिसे मुख्यतः वर्ष 1918, 1931 तथा 1936 में संशोधित एवं परिमार्जित किया। कोपेन ने वनस्पति को जलवायु का सही सूचक माना है। इसने कैण्डोल द्वारा 1874 ई. में प्रस्तावित विश्व के पांच वनस्पति मंडलों को विश्व की जलवायु के विभाजन का आधार बनाया है। कालांतर में कोपेन की भांति थार्नथ्वेट ने भी यह स्वीकार किया कि वनस्पति, जलवायु की सूचक होती है। तथा वनस्पति पर वर्षा की मात्रा तथा तापमान का पर्याप्त प्रभाव होता है, परंतु वाष्पीकरण को भी ध्यान में रखा है। इसी आधार पर थार्नश्वेट ने वर्षण प्रभाविता (Precipitation effectiveness) को जलवायु प्रदेशों के सीमा निर्धारण में महत्व प्रदान किया है। जहां कोपेन ने वनस्पति को जलवायु का प्रत्यक्ष सूचक माना है, वहां थार्नथ्वेट ने वनस्पति को जलवायु के अप्रत्यक्ष तत्व के रूप में स्वीकार किया है।