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उपर्युक्त सभी शब्दों का सन्धिगत परिचय
दुरुपयोग - दु: + उपयोग।
बहिर्मुख - बहि: मुख।
निराशा - निः+ आशा (इसी तरह दुः+ आशा = दुराशा)
दिगम्बर - दिक् + अम्बर।
अन् में 'न्' व्यंजन है, इसे स्वरयुक्त करने पर (अ+ अ) अनाधिकार शब्द तो बन जाएगा लेकिन अन् उपसर्ग समाप्त हो जाता है।
अतः यह शब्द सन्धि नियम के अनुसार अशुद्ध हो जाता है। शेष सभी शब्द सन्धि के नियमों का पालन करने के कारण शुद्ध हैं। नोटः अनेक पुस्तकों में तथा अनेक व्यक्तियों द्वारा लेखन में 'उपर्युक्त' शब्द के स्थान पर 'उपरोक्त' शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो सन्धि नियम का उल्लंघन करने से अशुद्ध हो जाता है।