सर्वोच्च न्यायालय (भाग – 2) (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

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11. न्यायिक पुनर्विलोकन में न्यायालय को निम्नलिखित अधिकार है- [U.P.P.C.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (a) यदि कोई कानून या आदेश संविधान के विपरीत हो, तो उसे असंवैधानिक घोषित करना
Solution:भारत में सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति प्राप्त है। इसके तहत केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधियों और कार्यपालिक आदेशों की सांविधानिकता की जांच की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिकारातीत पाए जाने पर इन्हें असंवैधानिक और अवैध तथा उस स्तर तक शून्य घोषित किया जा सकता है, जिस स्तर तक वह संविधान का उल्लंघन करता हो। संविधान के विभिन्न अनुच्छेद यथा- अनुच्छेद 13, 32, 131-136, 143, 145, 226, 227, 245, 246 तथा 372 आदि के उपबंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति प्रदान करते हैं।

12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - [I.A.S. (Pre) 2020]

1. भारत का संविधान अपने 'मूल ढांचे' को संघवाद, पंथनिरपेक्षता, मूल अधिकारों तथा लोकतंत्र के रूप में परिभाषित करता है।

2. भारत का संविधान, नागरिकों की स्वतंत्रता तथा उन आदर्शों जिन पर संविधान आधारित है, की सुरक्षा हेतु 'न्यायिक पुनर्विलोकन' की व्यवस्था करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:भारत के संविधान में कहीं भी मूल ढांचे को परिभाषित नहीं किया गया है। बल्कि 'मूल ढांचे' शब्द का उल्लेख केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद (1973) में निर्णय सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय की पीठ द्वारा किया गया है। अतः कथन 1 सही नहीं है।

भारत का संविधान, नागरिकों की स्वतंत्रता तथा उन आदर्शों जिन पर संविधान आधारित है, की सुरक्षा हेतु 'न्यायिक पुनर्विलोकन' की व्यवस्था करता है। संविधान का अनुच्छेद 13 न्यायालयों को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति प्रदान करता है और यह शक्ति अनुच्छेद 32 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय तथा अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।

13. भारत में न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का प्रयोग किसके द्वारा किया जाता है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2017]

Correct Answer: (b) सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा
Solution:न्यायालय द्वारा कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका के कार्यों की वैधता की जांच करना अथवा व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों एवं प्रशासनिक नीतियों की संवैधानिकता का परीक्षण कर उनके ऐसे उपबंधों को असंवैधानिक घोषित करना, जो संविधान का अतिक्रमण करते हों, न्यायिक पुनर्विलोकन कहलाता है। भारतीय संविधान में यह संयुक्त राज्य अमेरिका से उद्भूत है। भारत में संविधान के मुख्यतः अनु. 13, 32 तथा 136 के अंतर्गत ये शक्तियां सर्वोच्च न्यायालय में निहित हैं एवं अनु. 226 तथा 227 के अंतर्गत राज्यों के उच्च न्यायालय भी न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति के सम्पोषक हैं।

14. भारत के संविधान के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2019]

1. किसी भी केंद्रीय विधि को सांविधानिक रूप से अवैध घोषित करने की किसी भी उच्च न्यायालय की अधिकारिता नहीं होगी।

2. भारत के संविधान के किसी भी संशोधन पर भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

Correct Answer: (d) न तो 1, न ही 2
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (2) के अनुसार, राज्य (केंद्र या राज्य सरकार) ऐसी कोई विधि नहीं बनाएगा, जो भाग 3 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को छीनती है या न्यून करती है तथा मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में बनाई गई प्रत्येक विधि उल्लंघन की मात्रा तक शून्य होगी। इस आधार पर ही अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति प्राप्त है, जिसके फलस्वरूप किसी भी उच्च न्यायालय को, किसी भी केंद्रीय विधि को सांविधानिक रूप से अवैध घोषित करने (यदि वह सांविधानिक प्रावधानों के विपरीत है) की अधिकारिता प्राप्त है। ज्ञातव्य है कि प्रश्नगत कथन 1 अनुच्छेद 228A के रूप में 42वें संविधान संशोधन (1976) से संविधान में जोड़ा गया था, परंतु 43वें संविधान संशोधन (1977) से इसे निरसित कर दिया गया। साथ ही केशवानंद भारती वाद (1973) में उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रस्तुत 'संविधान के मौलिक ढांचे' की अवधारणा के तहत भारत के संविधान के किसी भी संशोधन पर भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रश्न उठाया जा सकता है, यदि वह संशोधन संविधान के मौलिक ढांचे का उल्लंघन करता प्रतीत हो। अतः प्रश्नगत दोनों ही कथन सही नहीं हैं।

15. न्यायिक पुनरावलोकन प्रचलित है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

Correct Answer: (d) भारत और यू.एस.ए. दोनों में
Solution:भारत के संविधान के अनुच्छेद 13 द्वारा न्यायिक पुनरावलोकन का प्रावधान किया गया है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है, जबकि यू.के. (यूनाइटेड किंगडम) में संसद सर्वोच्च है और उसके द्वारा बनाए गए कानूनों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

16. नीचे दो कथन दिए गए हैं- [U.P.P.C.S. (Pre) 2017]

अभिकथन (A): भारत में न्यायिक पुनरीक्षण का क्षेत्र सीमित है।

कारण (R) : भारतीय संविधान में कुछ "उधार की वस्तुएं" हैं।

सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कूट की सहायता से करें।

Correct Answer: (b) (A) और (R) दोनों सत्य हैं, लेकिन (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
Solution:भारत में न्यायिक पुनरीक्षण का क्षेत्र अमेरिका की तुलना में सीमित है। हालांकि केशवानंद भारती वाद (1973) तथा मेनका गांधी वाद (1978) आदि के बाद से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्रमिक रूप से न्यायिक पुनरीक्षण के क्षेत्र को विस्तारित किया जा रहा है, फिर भी यह संवैधानिक दायरे में सीमित है। इसका एक प्रमुख कारण है कि जहां अमेरिकी संविधान में 'विधि की सम्यक् प्रक्रिया' (Due Process of Law) का सिद्धांत अपनाया गया है, वहीं भारतीय संविधान में 'विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया' (Procedure established by Law) न्यायिक पुनरीक्षण का आधार है। इस प्रकार कथन (A) सत्य है। दूसरी ओर भारतीय संविधान में अन्य देशों के संविधानों से विभिन्न प्रावधानों की अवधारणा ली गई है। अतः कारण (R) भी सत्य है, किंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है। अतः विकल्प (b) अभीष्ट उत्तर होगा।

17. सारभूत रूप में, 'विधि की सम्यक प्रक्रिया' का अभिप्राय क्या है? [I.A.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (c) विधि की निष्पक्ष प्रयुक्ति
Solution:'विधि की सम्यक प्रक्रिया' (Due Process of Law) से तात्पर्य है कि विधि निर्माण एवं उसकी प्रयुक्ति समुचित प्रक्रिया का पालन करते हुए निष्पक्ष, युक्तिपूर्ण एवं न्यायसंगत आधार पर की जानी चाहिए तथा विधि निर्माण एवं उसकी प्रयुक्ति की प्रक्रिया मनमानी और तर्कहीनता से मुक्त होनी चाहिए। इस प्रकार विधि की सम्यक प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित की जाती है। विधि निर्माण एवं उसकी प्रयुक्ति में समुचित प्रक्रिया का पालन करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय ने मेनका गांधी मामले में 'विधि की सम्यक प्रक्रिया' के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। विधि की सम्यक प्रक्रिया के सिद्धांत को सर्वप्रथम अमेरिका के संविधान में अपनाया गया था।

18. भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन का आधार है- [Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
Solution:भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 32, 131-136, 143, 145, 226, 227, 245, 246 तथा 372 आदि के तहत न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था निहित है। भारत में न्यायिक पुनरावलोकन का आधार 'विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया' (Procedure established by Law) है। इसके तहत न्यायालय यह परीक्षण करता है कि कोई विधि संविधान द्वारा विधायिका को प्रदत्त शक्तियों के संगत रूप में बनाई गई है या नहीं तथा यह अनुमोदित प्रक्रिया का अनुसरण करती है अथवा नहीं। 'विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया' का उल्लंघन करने पर इसे न्यायालय द्वारा शून्य घोषित किया जा सकता है।

19. भारत में न्यायिक प्रणाली किस पर आधारित है? [67th B.P.S.C. (Pre) 2022]

Correct Answer: (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
Solution:भारत में न्यायिक प्रणाली संविधान, कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया, अभिलिखित न्यायिक पूर्व-निर्णयों/दृष्टांतों और परंपरा पर आधारित है।

20. कोई भी संविधान (संशोधन) कानून भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है, यदि वह- [I.A.S. (Pre) 2009]

Correct Answer: (b) विधि के समक्ष समानता के अधिकार को भाग 3 से हटाकर संविधान में अन्यत्र कहीं रखता है।
Solution:कोई भी संविधान संशोधन कानून भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है, यदि वह विधि के समक्ष समानता के अधिकार को भाग 3 से हटाकर संविधान में अन्यत्र कहीं रखता है, क्योंकि भाग 3 का अनुच्छेद 13(2) यह उल्लेख करता है कि राज्य ऐसी कोई विधि नहीं बना सकता, जो इस भाग में दिए गए अधिकार को छीनती हो या न्यून करती हो और यदि ऐसी कोई विधि बनाई जाती है, तो वह शून्य होगी।