Correct Answer: (d) सर टी.बी. सप्रू
Solution:व्याख्या सन् 1945 में आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों द्वारा समर्पण के बाद सरकार ने उन पर निष्ठा की शपथ (सरकार के प्रति) तोड़ने के आरोप में लालकिले में मुकदमा चलाने का निर्णय लिया। सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध समूचे देश में आंदोलन शुरू हो गया। कांग्रेस ने I.N.A. के सिपाहियों को बचाने के लिए 'आजाद हिन्द बचाव समिति' की स्थापना की। बचाव पक्ष के वकीलों में भूला भाई देसाई प्रमुख थे। उनका सहयोग करने के लिए तेज बहादुर सप्रू, काटजू, जवाहर लाल नेहरू ने भी अदालत में बहस की। आजाद हिन्द फौज के सिपाही सरदार कर्नल गुरुदयाल सिंह ढिल्लो, कर्नल प्रेम सहगल, शाहनवाज पर मुकदमा चलाया गया संक्षिप्त मुकदमें के बाद इन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई। सरकार के इस निर्णय ने समूचे देश को स्तब्ध कर दिया लोगों के हस्ताक्षरों, सभाओं के दौर ने वायसराय को अपना विशेषाधिकार प्रयोग कर तीनों की फाँसी माफ करने को विवश होना पड़ा।