सहायक समीक्षा अधिकारी विशेष (मुख्य) परीक्षा, 2010 सामान्य अध्ययन (Part-II)

Total Questions: 60

1. अधोलिखित में से कौन सा कार्बन का अपरूप नहीं है?

Correct Answer: (c) आक्सोकार्बन्स
Solution:व्याख्या- कार्बन का अपररुप आक्सोकार्बन्स नहीं है जबकि हीरा, ग्रेफाइट तथा फुलरीन्स कार्बन के अपररुप हैं। हीरा एक पारदर्शक पदार्थ है। हीरे के उच्च अपवर्तन गुणांक के कारण यह चमकीले एवं कीमती आभूषण तथा जेवरों को बनाने के काम में लाया जाता है। ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होने के कारण शुष्क सेल तथा विद्युत आर्क में इलेक्ट्रोडों के रूप में उपयोग होता है। इसका उपयोग पेन्सिल तथा काले रंग का पेन्ट बनाने में होता है।

2. खाद्य पदार्थों के परिरक्षण हेतु निम्न में से किस रसायन को प्रयुक्त किया जाता है?

Correct Answer: (b) सोडियम बेन्जोएट
Solution:व्याख्या - खाद्य पदार्थों के परिरक्षण हेतु सोडियम बेन्जोएट रसायन प्रयुक्त होता है जबकि सोडियम क्लोराइड, सोडियम तथा क्लोरीन का यौगिक है। यह मुख्यतः समुद्री जल से प्राप्त किया जाता है।

3. ब्लीचिंग पाउडर में कौन सा रासायनिक यौगिक होता है?

Correct Answer: (b) कैल्शियम ऑक्सीक्लोराइड
Solution:व्याख्या ब्लीचिंग पाउडर में कैल्शियम ऑक्सीक्लोराइड नामक - रासायनिक यौगिक होता है। ब्लीचिंग पाउडर ठोस बुझे हुए चूने में से क्लोरीन प्रवाहित करके बनाया जाता है।

Ca (OH)2 + Cl2. Ca OCl2 + H2O

वायु के सम्पर्क में आने से ब्लीचिंग पाउडर अपघटित हो जाता है। और क्लोरीन मुक्त हो जाता है। ब्लीचिंग पाउडर लॉन्ड्री में सामान्यतः विरंजक के लिए उपयोग होता है। यह कागज तथा कपड़ा उद्योगों में उपयोग होता है। यह जल को संक्रमण रहित बनाने हेतु भी उपयोग किया जाता है।

4. लौंग में पाए जाने वाला सारभूत तेल निम्नलिखित में से कौन-सा है?

Correct Answer: (b) यूजीनाल
Solution:व्याख्या- लौंग में पाया जाने वाला सारभूत तेल यूजीनाल है। लौंग एक प्रकार का मसाला है। इस मसाले का उपयोग भारतीय पकवानों व औषधियों के रूप में किया जाता है।

5. अजोला है एक -

Correct Answer: (a) जलीय फर्न
Solution:व्याख्या- अजोला एक जलीय फर्न है। यह जलोदुद्भिद पौधों की भाँति होता है। सामान्यतः यह धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है। यह जैव उर्वरक का प्रमुख स्रोत है।

6. किसके अवशोषण में विटामिन 'सी' मदद करता है?

Correct Answer: (a) लौह के
Solution:व्याख्या- विटामिन 'सी' लौह के अवशोषण में मदद करता है। यह लौह मेटाबोलिन को नियंत्रित करके R.B.C. (Red Blood Cells) के निर्माण में सहायता करता है। विटामिन C का रासायनिक नाम एस्कॉर्बिक एसिड है। इसकी कमी से स्कर्वी नामक रोग होता है।

7. वृक्क से मूत्र की मात्रा का निस्तारण नियंत्रित करता है हार्मोन -

Correct Answer: (d) ADH द्वारा
Solution:व्याख्या वृक्क से मूत्र की मात्रा का निस्तारण ADH हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है। इसे वैसोप्रेसिन या एन्टीडाईयूरेटिक हार्मोन (ADH) कहते हैं। यह वृक्क की मूत्रवाहिनियों को जल पुनरावशोषण करने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही साथ रुधिर वाहिनियों को सिकोड़ कर रुधिर दाब बढ़ाता है। यह शरीर के जल संतुलन में सहायक होता है। इसलिये इसको एण्टीडाइयूरेटिक कहा जाता है।

8. यदि V, V., और V, क्रमशः वायु, जल तथा इस्पात में ध्वनि। की गति है, तो -

Correct Answer: (a) V V V
Solution:व्याख्या - यदि Va, Vw और Vs क्रमशः वायु, जल तथा इस्पात में ध्वनि की गति है, तो Va < Vw < Vs होगा। किसी माध्यम में ध्वनि की चाल मुख्यतः माध्यम की प्रत्यास्थता Elasticity) तथा घनत्व पर निर्भर करती है। कोई माध्यम जितना अधिक प्रत्यास्थ होगा उसमें ध्वनि की चाल उतनी ही अधिक होगी। इसके विपरीत अधिक घनत्व वाले माध्यमों में ध्वनि की चार रूप होती है। ठोस वस्तुएँ द्रव तथा गैसों की अपेक्षा अधिक प्रत्यास्य देती है। अतः ठोसों में ध्वनि की चाल सबसे अधिक होती है। गोसों के बाद इसकी चाल द्रवों में अधिक होती है तथा सबसे कम गैसों में होती है।

9. निम्नलिखित में से कौन नीली क्रांति से सम्बन्धित है?

Correct Answer: (c) मत्स्य
Solution:व्याख्या नील क्रान्ति या नीली क्रान्ति मत्स्य उत्पादन से सम्बन्धित है। मछली उत्पादन के मामले में विश्व का तीसरा स्थान है और वैश्विक उत्पादन में इसका योगदान 8% (16% अन्तर्देशीय और 5% समुद्री मछली उत्पादन में) है। भारत में कुल मछली उत्पादन में आन्ध्र प्रदेश (48.13 लाख टन) का पहला स्थान है। जबकि दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल (18.43 लाख टन) है। ध्यातव्य है कि श्वेत क्रांति का संबंध दुग्ध उत्पादन से, पीत क्रांति का संबंध तिलहन उत्पादन से, लाल क्रांति का संबंध मांस तथा टमाटर उत्पादन से है।

10. निम्नलिखित में से कौन सा "राष्ट्रीय बागवानी मिशन" का उद्देश्य नहीं है?

Correct Answer: (a) वित्तीय सहायता प्रदान करना
Solution:व्याख्या - "राष्ट्रीय बागवानी मिशन" को 2005-06 के दौरान शुरू किया गया था। इस मिशन के उद्देश्य बहुआयामी है जिनमें मुख्य हैं - गुणवत्तायुक्त पौधों की आपूर्ति, नर्सरियों की स्थापना, तकनीक को प्रोत्साहन, जैविक खेती को बढ़ावा देना, मानव संसाधन विकास, शस्योत्तर व्यवस्था (पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन) के लिए बुनियादी ढाँचे का सृजन, विपणन की समुचित व्यवस्था, विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि आदि।