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सांस्कृतिक गतिविधियां (भाग-V)
📆 November 15, 2024
Total Questions: 59
31.
सी.वी. चंद्रशेखर को निम्नलिखित में से किस नृत्य शैली में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था?
[CHSL (T-I) 02 जून, 2022 (II-पाली)]
(a) मणिपुरी
(b) कथकली
(c) भरतनाट्यम
(d) कथक
Correct Answer:
(c) भरतनाट्यम
Solution:
सी.वी. चंद्रशेखर को भरतनाट्यम नृत्य शैली में उनके योगदान के लिए वर्ष 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
32.
कलामंडलम क्षेमवती पवित्रन को निम्नलिखित में से किस नृत्य शैली में उनके योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
[CHSL (T-I) 02 जून, 2022 (II-पाली)]
(a) मोहिनीअट्टम
(b) कुचिपुड़ी
(c) कथक
(d) भरतनाट्यम
Correct Answer:
(a) मोहिनीअट्टम
Solution:
कलामंडलम क्षेमवती पवित्रन को मोहिनीअट्टम नृत्य शैली में उनके योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से वर्ष 2011 में सम्मानित किया गया था।
33.
इंद्राणी रहमान भारत के किस शास्त्रीय नृत्य से जुड़ी थीं?
[MTS (T-I) 12 जुलाई, 2022 (III-पाली)]
I. भरतनाट्यम नृत्य
II. ओडिसी नृत्य
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) न तो I और न ही II
Correct Answer:
(c) I और II दोनों
Solution:
इंद्राणी रहमान भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथकली और ओडिसी की एक भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उन्हें वर्ष 1969 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
34.
शास्त्रीय ओडिसी नृत्य में निम्नलिखित में से सबसे पहले कौन-सा स्टेप किया जाना चाहिए?
[Phase-XI 30 जून, 2023 (IV-पाली)]
(a) अभिनय
(b) बटु
(c) पल्लवी
(d) मंगलाचरण
Correct Answer:
(d) मंगलाचरण
Solution:
भारतीय शास्त्रीय नृत्य के अनेक रूपों में से 'ओडिसी नृत्य' एक है। पारंपरिक ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन 'मंगलाचारण' से प्रारंभ होती है। उसके बाद क्रमशः बटु, पल्लवी, अभिनय और मोक्ष नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं।
35.
'मोक्ष' भारत के निम्नलिखित शास्त्रीय नृत्य रूपों में से किस से संबंधित है?
[Phase-XI 30 जून, 2023 (I-पाली)]
(a) सत्रिया
(b) भरतनाट्यम
(c) ओडिसी
(d) कथक
Correct Answer:
(c) ओडिसी
Solution:
भारतीय शास्त्रीय नृत्य के अनेक रूपों में से 'ओडिसी नृत्य' एक है। पारंपरिक ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन 'मंगलाचारण' से प्रारंभ होती है। उसके बाद क्रमशः बटु, पल्लवी, अभिनय और मोक्ष नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं।
36.
निम्नलिखित में से कौन-सा अनुष्ठानिक नृत्य मध्य प्रदेश की कामड़ जनजाति द्वारा किया जाता है?
[Phase-XI 28 जून, 2023 (III-पाली)]
(a) घपाल
(b) पैका
(c) तेराताली
(d) मुनारी
Correct Answer:
(c) तेराताली
Solution:
मध्य प्रदेश के कामड़ जनजाति की औरतों द्वारा 'तेराताली' लोकनृत्य किया जाता है। तेराताली नृत्य एक अनुष्ठानिक नृत्य है, जो लोकदेवता बाबा रामदेव की पूजा करने के लिए किया जाता है।
37.
राजस्थान का घूमर नृत्य मूल रूप से कौन-से आदिवासी समूह द्वारा किया जाता था?
[दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 22, 23 नवंबर, 2023 (II-पाली)]
(a) कथौड़ी
(b) मीणा
(c) कंजर
(d) भील
Correct Answer:
(d) भील
Solution:
घूमर राजस्थान का परंपरागत लोक नृत्य है। इसका विकास 'भील जनजाति' द्वारा किया गया और बाद में यह अन्य समुदायों द्वारा अपनाया गया।
38.
निम्नलिखित में से कौन-सा नृत्य मठों में परंपरागत रूप से पुरुष भिक्षुओं द्वारा किया जाता था?
[दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 22, 23 नवंबर, 2023 (II-पाली)]
(a) कथकली
(b) ओडिसी
(c) सत्रिया
(d) कुचिपुड़ी
Correct Answer:
(c) सत्रिया
Solution:
सत्रिया नृत्य परंपरागत रूप से मठों में पुरुष भिक्षुओं द्वारा अपने दैनिक अनुष्ठान के एक भाग के रूप में प्रदर्शित किया जाता था। 15वीं से 16वीं शताब्दी ई. के मध्य में असम के महान वैष्णव संत और सुधारक शंकरदेव द्वारा वैष्णव धर्म के प्रचार के रूप में इस नृत्य का परिचय लोगों से कराया गया।
39.
निम्नलिखित में से कौन-सी नृत्य शैली उत्तर-पूर्व भारत के वैष्णव मठों से संबंधित है?
[दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 15 नवंबर, 2023 (II-पाली)]
(a) सत्रिया
(b) कुचिपुड़ी
(c) ओडिसी
(d) मोहिनीअट्टम
Correct Answer:
(a) सत्रिया
Solution:
सत्रिया नृत्य परंपरागत रूप से मठों में पुरुष भिक्षुओं द्वारा अपने दैनिक अनुष्ठान के एक भाग के रूप में प्रदर्शित किया जाता था। 15वीं से 16वीं शताब्दी ई. के मध्य में असम के महान वैष्णव संत और सुधारक शंकरदेव द्वारा वैष्णव धर्म के प्रचार के रूप में इस नृत्य का परिचय लोगों से कराया गया।
40.
शंकरदेव ने किस धर्म के प्रचार के लिए असम में सत्रिया नृत्य की शुरुआत की थी?
[दिल्ली पुलिस कांस्टेबिल 28 नवंबर, 2023 (III-पाली)]
(a) शैव धर्म
(b) बुद्ध धर्म
(c) जैन धर्म
(d) वैष्णव धर्म
Correct Answer:
(d) वैष्णव धर्म
Solution:
सत्रिया नृत्य परंपरागत रूप से मठों में पुरुष भिक्षुओं द्वारा अपने दैनिक अनुष्ठान के एक भाग के रूप में प्रदर्शित किया जाता था। 15वीं से 16वीं शताब्दी ई. के मध्य में असम के महान वैष्णव संत और सुधारक शंकरदेव द्वारा वैष्णव धर्म के प्रचार के रूप में इस नृत्य का परिचय लोगों से कराया गया।
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