हिन्दी भाषा एवं उसकी बोलियाँः उत्पत्ति एवं विकास – PART-2

Total Questions: 50

21. खड़ी बोली हिन्दी की उत्पत्ति हुई है- [P.G.T. परीक्षा, 2002, 2004]

Correct Answer: (c) शौरसेनी अपभ्रंश से
Solution:खड़ी बोली की उत्पत्ति या विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुई। खड़ी बोली के अन्य नाम हैं-हिन्दुस्तानी, कौरवी, सरहिन्दी। राहुल सांकृत्यायन ने खड़ी बोली को 'कौरवी' का नाम दिया था। डॉ० नगेन्द्र द्वारा सम्पादित 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' में डॉ० भोलानाथ तिवारी ने लिखा है कि खड़ी बोली में 'खड़ी' शब्द का अर्थ विवादास्पद है। कुछ लोगों ने 'खड़ी' का अर्थ 'खरी' (Pure) अर्थात् शुद्ध माना है, तो दूसरों ने 'खड़ी' (Standing)। कुछ अन्य लोगों ने इसका सम्बन्ध खड़ी बोली में अधिकता से प्रयुक्त खड़ी पायी 'I' (गया, बड़ा, का में आ की मात्रा) तथा उसके ध्वन्यात्मक प्रभाव कर्कशता से जोड़ा है। यद्यपि, अभी तक यह तथ्य अनिश्चित है। इस बोली के क्षेत्र हैं- देहरादून का मैदानी भाग, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, दिल्ली नगर, गाजियाबाद, बिजनौर, रामपुर और मुरादाबाद आदि। मागधी अपभ्रंश से बिहारी हिन्दी की बोलियों की उत्पत्ति (विकास) हुई। इसकी प्रमुख बोलियाँ भोजपुरी, मैथिली तथा मगही हैं । अर्धमागधी अपभ्रंश से पूर्वी हिन्दी की बोलियों का विकास हुआ। इसकी प्रमुख बोलियाँ हैं-अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी।

22. रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, मेरठ, देहरादून (मैदानी भाग) और सहारनपुर की बोली है- [आश्रम पद्धति (प्रवक्ता) परीक्षा, 2009]

Correct Answer: (c) खड़ी बोली
Solution:उपर्युक्त जनपदों में 'खड़ी बोली' उत्तराखण्ड की प्रमुख बोली है। श्रीनगरिया, राठी, लोहब्या, बधानी, 'बाँगरू' हरियाणवी की उपबोली है, हिन्दी की बोली है। बोली जाती है। गढ़वाली, इसकी प्रमुख उपबोलियाँ नागपुरिया तथा टेहरी हैं। जबकि 'छत्तीसगढ़ी' पूर्वी

23. दिल्ली व मेरठ के आस-पास की बोली का क्या नाम है? [K.V.S. (प्रवक्ता) परीक्षा, 2014]

Correct Answer: (c) खड़ी बोली
Solution:दिल्ली में मेरठ के आस-पास प्रचलित बोली को 'खड़ी बोली कहा जाता है, जो लोक चोली के रूप में है। मानक हिन्ली के लिए प्रचलित खड़ी बोली में मुख्यतः तीन शैलियों है-हिली व हिन्दुस्तानी। दिल्ली व मेरत के आस-पास का क्षेत्र प्राचीन काल में 'कुरु' जनपद के नाम से जाना जाता था। अतः इस क्षेत्र की बोली को 'कौरवी' भी कहा जाता है। 'कोरची' नाम का प्रयोग सर्वप्रथम राहुल सांकृत्यायन ने किया था।

24. 'खड़ी बोली' का दूसरा नाम है- [आश्रम पद्धति (प्रवक्ता) परीक्षा, 2012]

Correct Answer: (b) कौरवी
Solution:खड़ी बोली (लोक बोली/टेत रूप में) को 'कौरवी' नाम से भी जाना जाता है, जो मानक खड़ी बोली हिन्दी से भिन्न है।

25. 'कौरवी' किस बोली को कहते हैं? [P.G.T. परीक्षा, 2010]

Correct Answer: (b) खड़ी बोली
Solution:दिल्ली व मेरठ के आस-पास प्रचलित बोली को 'खड़ी बोली' कहा जाता है, जो लोक बोली के रूप में है। ('खड़ी बोली' शब्द का प्रयोग दो अर्थों में होता है एक तो साहित्यिक हिन्दी खड़ी बोली के अर्थ में और दूसरे, दिल्ली मेरठ के आस-पास की लोक बोली के अर्थ में) मानक हिन्दी के लिए प्रचलित खड़ी बोली में मुख्यतः तीन शैलियाँ हैं-हिन्दी, उर्दू व हिन्दुस्तानी। दिल्ली व मेरठ के आस-पास का क्षेत्र प्राचीन काल में 'कुरु' जनपद के नाम से जाना जाता था। अतः इस क्षेत्र की बोली को 'कौरवी' भी कहा जाता है। 'कौरवी' नाम का प्रयोग सर्वप्रथम राहुल सांकृत्यायन ने किया था।

26. खड़ी बोली हिन्दी का अन्य सही नाम है- [UP CSAT Exam, 2018]

Correct Answer: (b) कौरवी
Solution:खड़ी बोली हिन्दी का अन्य सही नाम 'कौरवी' है। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। खड़ी बोली नाम का प्रयोग दो अर्थों में होता है- मानक हिन्दी के लिए तथा लोक बोली के लिए। लोक बोली, दिल्ली-मेरठ तथा उसके आस-पास बोली जाती है। खड़ी बोली का एक अन्य नाम 'कौरवी' भी है। वस्तुतः प्राचीन काल में इस क्षेत्र को 'कुरु' जनपद के नाम से जाना जाता था; अतः राहुल सांकृत्यायन ने इसे 'कौरवी' नाम दिया है।

27. किस भाषा को आरम्भ में पिंगल नाम दिया गया? [DSSSB PGT, 2021]

Correct Answer: (d) ब्रजभाषा
Solution:ब्रजभाषा को आरम्भ में पिंगल' कहा जाता था। वस्तुतः अपभ्रंश की विभिन्न शैलियों से बोलियो का विकास होता है, जिसमें पिंगल भी एक कड़ी रही है। पिंगल' जहाँ ब्रजभाषा के विकास में सहायक रही, वहीं 'डिंगल' राजस्थानी भाषा का पूर्ववर्ती रूप रही।

28. ब्रजभाषा का विकास किस अपभ्रंश से हुआ? [UPSSSC कनिष्ठ सहायक परीक्षा, 2016]

Correct Answer: (a) शौरसेनी
Solution:ब्रजभाषा का शुद्ध रूप मथुरा, आगरा और अलीगढ़ जिलों में है। क्षेत्रों में भी ब्रजभाषा बोली जाती है। ब्रजभाषा का विकास शौरसेनी अपभ्रंश के मध्यवर्ती रूप से हुआ है। थोड़े-बहुत मिश्रण के साथ बरेली, बदायूँ, एटा, मैनपुरी, गुड़गाँव (गुरुग्राम), भरतपुर, करौली, ग्वालियर तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों में भी ब्रजभाषा बोली जाती है।

29. 'सूरदास' ने किस भाषा में 'सूरसागर' की रचना की? [UP-TET Exam Ist Paper (I-V), 2014 UP- TET Exam Ist Paper (I-V), 2017]

Correct Answer: (b) ब्रज
Solution:सूरदास ने 'ब्रज भाषा' में 'सूरसागर' की रचना की है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल 'सूरसागर' को ब्रज भाषा की पहली रचना मानते हैं। 'सूरसागर' की रचना 'भागवत्' की पद्धति पर द्वादश स्कन्धों 84 में हुई है। 'भागवत्' पुराण को उपजीव्य मानकर उन्होंने राधा-कृष्ण की अनेक लीलाओं का वर्णन 'सूरसागर' में किया है।

30. सूरदास और नन्ददास की काव्य रचनाओं की भाषा कौन-सी थी? [UPSI Exam, 20-दिसम्बर, 2017 (द्वितीय पाली)]

Correct Answer: (b) ब्रजभाषा
Solution:सूरदास एवं नन्ददास की काव्य रचनाओं की भाषा ब्रजभाषा है। सूरदास की रचनाएँ हैं- 'सूरसागर', 'सूरसारावली' एवं 'साहित्य लहरी। नन्ददास की रचनाएँ हैं- 'रास-पंचाध्यायी', 'रूप-मंजरी', 'रस-मंजरी', 'भँवर-गीत' आदि।