Correct Answer: (b) पटना
Solution:अंग्रेजी प्रभुसत्ता को सबसे सुनियोजित तथा गंभीर चुनौती वहाबी आंदोलन से मिली, जो 19वीं शताब्दी के चौथे दशक से सातवें दशक तक चलता रहा। रायबरेली के सैयद अहमद बरेलवी भारत में इस आंदोलन के प्रवर्तक थे। वह अरब के अब्दुल वहाब से प्रभावित हुए, परंतु अधिक प्रभाव दिल्ली के एक संत शाह वलीउल्लाह का था। सैयद अहमद बरेलवी की महत्वाकांक्षा पंजाब में सिक्खों और बंगाल में अंग्रेजों को अपदस्थ करके भारत में मुस्लिम सत्ता को पुनर्जीवित बऔर पुनर्स्थापित करना था। सैयद अहमद बरेलवी के प्रयत्नों से इस आंदोलन की विचारधारा शीघ्र ही काबुल, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत, बंगाल, बिहार, मध्य प्रांत आदि में फैल गई। कुछ समय के लिए इन्होंने 1830 ई. में पेशावर पर कब्जा कर लिया और अपने नाम के सिक्के ढलवाए, किंतु अगले ही वर्ष वह बालाकोट की लड़ाई में मारे गए। सैयद अहमद बरेलवी की मृत्यु के बाद पटना इस आंदोलन का केंद्र बना। इस अवधि में आंदोलन का नेतृत्व मौलवी कासिम, विलायत बत्ती, इनायत अली, अहमदुल्ला आदि ने किया। पटना के अतिरिक्त हैदराबाद, मद्रास, बंगाल, संयुक्त प्रांत तथा बंबई में भी इस आंदोलन की शाखाएं स्थापित की गईं। 1857 के विद्रोह में वहाबियों ने अंग्रेज विरोधी भावनाओं के प्रसार में बहुत योगदान दिया था।