अन्य जन आंदोलन (UPPCS)

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11. निम्नलिखित विद्रोहों में से किसको बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनंदमठ में उल्लेख करके प्रसिद्ध किया? [I.A.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (d) संन्यासी विद्रोह
Solution:'वंदे मातरम्' गीत बंकिमचंद्र चटर्जी की प्रसिद्ध कृति 'आनंदमठ' से लिया गया है। इस उपन्यास का कथानक संन्यासी विद्रोह पर आधारित है। 1896 ई. में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इसे पहली बार गाया गया था।

12. निम्नलिखित में से किसने अपनी कृतियों द्वारा 'संन्यासी विद्रोह' को ख्याति प्रदान की? [U.P. P.C.S. (Mains) 2017]

Correct Answer: (b) बंकिमचंद्र चटर्जी
Solution:'वंदे मातरम्' गीत बंकिमचंद्र चटर्जी की प्रसिद्ध कृति 'आनंदमठ' से लिया गया है। इस उपन्यास का कथानक संन्यासी विद्रोह पर आधारित है। 1896 ई. में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इसे पहली बार गाया गया था।

13. बंकिमचंद्र चटर्जी के प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' का कथानक आधारित है- [U.P. P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (d) संन्यासी विद्रोह पर
Solution:'वंदे मातरम्' गीत बंकिमचंद्र चटर्जी की प्रसिद्ध कृति 'आनंदमठ' से लिया गया है। इस उपन्यास का कथानक संन्यासी विद्रोह पर आधारित है। 1896 ई. में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इसे पहली बार गाया गया था।

14. निम्नलिखित युग्मों में कौन सही सुमेलित नहीं है? [U.P. P.C.S. (Pre.) 2017]

सूची-I (विद्रोह)सूची-II (वर्ष)
(a) पाबना विद्रोह1873
(b) दक्कन किसान विद्रोह1875
(c) संन्यासी विद्रोह1894
(d) कोल विद्रोह1831

 

Correct Answer: (c)
Solution:सही सुमेलन निम्नवत है-
सूची-I (विद्रोह)सूची-II (वर्ष)
पाबना विद्रोह1873-76 ई.
दक्कन किसान विद्रोह1875 ई.
संन्यासी विद्रोह1763-1800 ई.
कोल विद्रोह1831-32 ई.

15. मुंगेर के बरहियाताल विरोध का उद्देश्य क्या था? [39th B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (a) बाकाश्त भूमि की वापसी की मांग
Solution:मुंगेर के बरहियाताल विरोध का उद्देश्य बाकाश्त भूमि की वापसी की मांग थी।

16. उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान होने वाले "वहाबी आंदोलन" का मुख्य केंद्र था- [U.P. P.C.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (b) पटना
Solution:अंग्रेजी प्रभुसत्ता को सबसे सुनियोजित तथा गंभीर चुनौती वहाबी आंदोलन से मिली, जो 19वीं शताब्दी के चौथे दशक से सातवें दशक तक चलता रहा। रायबरेली के सैयद अहमद बरेलवी भारत में इस आंदोलन के प्रवर्तक थे। वह अरब के अब्दुल वहाब से प्रभावित हुए, परंतु अधिक प्रभाव दिल्ली के एक संत शाह वलीउल्लाह का था। सैयद अहमद बरेलवी की महत्वाकांक्षा पंजाब में सिक्खों और बंगाल में अंग्रेजों को अपदस्थ करके भारत में मुस्लिम सत्ता को पुनर्जीवित बऔर पुनर्स्थापित करना था। सैयद अहमद बरेलवी के प्रयत्नों से इस आंदोलन की विचारधारा शीघ्र ही काबुल, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत, बंगाल, बिहार, मध्य प्रांत आदि में फैल गई। कुछ समय के लिए इन्होंने 1830 ई. में पेशावर पर कब्जा कर लिया और अपने नाम के सिक्के ढलवाए, किंतु अगले ही वर्ष वह बालाकोट की लड़ाई में मारे गए। सैयद अहमद बरेलवी की मृत्यु के बाद पटना इस आंदोलन का केंद्र बना। इस अवधि में आंदोलन का नेतृत्व मौलवी कासिम, विलायत बत्ती, इनायत अली, अहमदुल्ला आदि ने किया। पटना के अतिरिक्त हैदराबाद, मद्रास, बंगाल, संयुक्त प्रांत तथा बंबई में भी इस आंदोलन की शाखाएं स्थापित की गईं। 1857 के विद्रोह में वहाबियों ने अंग्रेज विरोधी भावनाओं के प्रसार में बहुत योगदान दिया था।

17. कूका आंदोलन को किसने संगठित किया? [45th B.P.S.C. (Pre) 2001]

Correct Answer: (c) गुरु राम सिंह
Solution:कूका आंदोलन वहाबी आंदोलन से बहुत कुछ मिलता-जुलता था। दोनों धार्मिक आंदोलन के रूप में आरंभ हुए; किंतु बाद में ये राजनीतिक आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गए, जिसका सामान्य उद्देश्य अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था। पश्चिमी पंजाब में कूका आंदोलन की शुरुआत 1840 के दशक में भगत जवाहरमल द्वारा की गई, जिन्हें मुख्यतः सियान साहब के नाम से पुकारा जाता था। इनका उद्देश्य सिख धर्म में प्रचलित बुराइयों और अंधविश्वासों को दूर कर इस धर्म को शुद्ध करना था। किंतु बाद में ये राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया, जिसका नेतृत्व राम सिंह ने किया। 1872 ई. में इस आंदोलन के नेता राम सिंह को रंगून निर्वासित कर दिया गया, जहां इनकी 1885 ई. में मृत्यु हो गई।

18. कूका आंदोलन की नींव पड़ी थी- [R.O./A.R. O. (Pre) 2017]

Correct Answer: (c) पंजाब में
Solution:कूका आंदोलन वहाबी आंदोलन से बहुत कुछ मिलता-जुलता था। दोनों धार्मिक आंदोलन के रूप में आरंभ हुए; किंतु बाद में ये राजनीतिक आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गए, जिसका सामान्य उद्देश्य अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था। पश्चिमी पंजाब में कूका आंदोलन की शुरुआत 1840 के दशक में भगत जवाहरमल द्वारा की गई, जिन्हें मुख्यतः सियान साहब के नाम से पुकारा जाता था। इनका उद्देश्य सिख धर्म में प्रचलित बुराइयों और अंधविश्वासों को दूर कर इस धर्म को शुद्ध करना था। किंतु बाद में ये राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया, जिसका नेतृत्व राम सिंह ने किया। 1872 ई. में इस आंदोलन के नेता राम सिंह को रंगून निर्वासित कर दिया गया, जहां इनकी 1885 ई. में मृत्यु हो गई।

19. पागलपंथी विद्रोह वस्तुतः एक विद्रोह था- [U.P. P.C.S. (Pre) 1999]

Correct Answer: (b) गारों का
Solution:पागलपंथ एक अर्द्ध-धार्मिक संप्रदाय था। यह वस्तुतः गारो जनजाति से संबंधित विद्रोह था, जिसे उत्तरी बंगाल के करम शाह (करीमशाह) ने चलाया था। करमशाह के पुत्र तथा उत्तराधिकारी टीटू (टीपू), धार्मिक तथा राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित थे। उसने जमींदारों के द्वारा मुजारों (Tenants) पर किए गए अत्याचारों के विरुद्ध आंदोलन किया। 1825 ई. में टीटू ने शेरपुर पर अधिकार कर लिया तथा राजा बन बैठा। वह इतना शक्तिशाली हो गया कि स्वतंत्र सत्ता का प्रयोग करने लगा और प्रशासन को चलाने के लिए उसने एक न्यायाधीश, एक मजिस्ट्रेट और एक कलेक्टर नियुक्त किया।

20. 'पागल पंथ' की स्थापना किसने की थी? [56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) करम शाह
Solution:पागलपंथ एक अर्द्ध-धार्मिक संप्रदाय था। यह वस्तुतः गारो जनजाति से संबंधित विद्रोह था, जिसे उत्तरी बंगाल के करम शाह (करीमशाह) ने चलाया था। करमशाह के पुत्र तथा उत्तराधिकारी टीटू (टीपू), धार्मिक तथा राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित थे। उसने जमींदारों के द्वारा मुजारों (Tenants) पर किए गए अत्याचारों के विरुद्ध आंदोलन किया। 1825 ई. में टीटू ने शेरपुर पर अधिकार कर लिया तथा राजा बन बैठा। वह इतना शक्तिशाली हो गया कि स्वतंत्र सत्ता का प्रयोग करने लगा और प्रशासन को चलाने के लिए उसने एक न्यायाधीश, एक मजिस्ट्रेट और एक कलेक्टर नियुक्त किया।