अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश

अपठित गद्यांश/अवतरण

Total Questions: 51

1. जीवन मार्ग पर आगे बढ़ते समय हमें- [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न का उत्तर विकल्पों से चुनकर लिखिए।

सत्य और अहिंसा, जीवन के दो पवित्र और उच्च मूल्य हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं, एक-दूसरे से शक्ति और प्रकाश प्राप्त करते हैं। हम यों भी कह सकते हैं कि सत्य और अहिंसा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अहिंसा परम धर्म है, जिसके द्वारा सत्य रूपी ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है। कितनी भी मुश्किलें आएँ हमारे रास्ते में, बाहरी दृष्टि से हमें चाहे जितनी भारी हार दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास बनाए रखकर अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। हमें सदा एक ही मन्त्र जपना चाहिए- सत्य है, वही है, वही परमेश्वर है, उसे प्राप्त करने का एक ही तरीका है, एक साधन है और वह है अहिंसा। उसे हम कभी न छोड़ेंगे। यदि हम इसी प्रकार प्रार्थना करते रहें, तो वह मनोबल अवश्य ही हमें शक्ति प्रदान करेगा और हम उच्च जीवन पथ पर चलने में सफल होंगे।

Correct Answer: (b) अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए।
Solution:दिए गए अनुच्छेद के आधार पर 'जीवन मार्ग पर आगे बढ़ते समय हमें' अंहिसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। वस्तुतः अनुच्छेद में स्पष्टतः दिया गया है कि 'कितनी भी मुश्किलें आएँ हमारे रास्ते में,' बाहरी दृष्टि से हमें चाहे जितनी भारी हार दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास बनाए रखकर अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए।

2. सत्य को प्राप्त करने का क्या तरीका है? [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न का उत्तर विकल्पों से चुनकर लिखिए।

सत्य और अहिंसा, जीवन के दो पवित्र और उच्च मूल्य हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं, एक-दूसरे से शक्ति और प्रकाश प्राप्त करते हैं। हम यों भी कह सकते हैं कि सत्य और अहिंसा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अहिंसा परम धर्म है, जिसके द्वारा सत्य रूपी ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है। कितनी भी मुश्किलें आएँ हमारे रास्ते में, बाहरी दृष्टि से हमें चाहे जितनी भारी हार दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास बनाए रखकर अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। हमें सदा एक ही मन्त्र जपना चाहिए- सत्य है, वही है, वही परमेश्वर है, उसे प्राप्त करने का एक ही तरीका है, एक साधन है और वह है अहिंसा। उसे हम कभी न छोड़ेंगे। यदि हम इसी प्रकार प्रार्थना करते रहें, तो वह मनोबल अवश्य ही हमें शक्ति प्रदान करेगा और हम उच्च जीवन पथ पर चलने में सफल होंगे।

Correct Answer: (d) अहिंसा
Solution:दिए गए अनुच्छेद के अनुसार, हमें सदा एक ही मन्त्र जपना चाहिए- सत्य है, वही है, वही परमेश्वर है, उसे प्राप्त करने का एक ही तरीका है, एक साधन है, और वह है अहिंसा।

3. 'उच्चतर' शब्द- [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र.पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न का उत्तर विकल्पों से चुनकर लिखिए।

सत्य और अहिंसा, जीवन के दो पवित्र और उच्च मूल्य हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं, एक-दूसरे से शक्ति और प्रकाश प्राप्त करते हैं। हम यों भी कह सकते हैं कि सत्य और अहिंसा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अहिंसा परम धर्म है, जिसके द्वारा सत्य रूपी ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है। कितनी भी मुश्किलें आएँ हमारे रास्ते में, बाहरी दृष्टि से हमें चाहे जितनी भारी हार दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास बनाए रखकर अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। हमें सदा एक ही मन्त्र जपना चाहिए- सत्य है, वही है, वही परमेश्वर है, उसे प्राप्त करने का एक ही तरीका है, एक साधन है और वह है अहिंसा। उसे हम कभी न छोड़ेंगे। यदि हम इसी प्रकार प्रार्थना करते रहें, तो वह मनोबल अवश्य ही हमें शक्ति प्रदान करेगा और हम उच्च जीवन पथ पर चलने में सफल होंगे।

Correct Answer: (b) विशेषण की उत्तरावस्था है।
Solution:'उच्चतर' शब्द विशेषण की उत्तरावस्था है। उच्च, उच्चतर तथा उच्चतम क्रमशः विशेषण की मूलावस्था (प्रथमा अवस्था), उत्तरावस्था तथा उत्तमावस्था हैं।

4. सत्य और अहिंसा का मार्ग हमें- [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र.पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न का उत्तर विकल्पों से चुनकर लिखिए।

सत्य और अहिंसा, जीवन के दो पवित्र और उच्च मूल्य हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं, एक-दूसरे से शक्ति और प्रकाश प्राप्त करते हैं। हम यों भी कह सकते हैं कि सत्य और अहिंसा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अहिंसा परम धर्म है, जिसके द्वारा सत्य रूपी ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है। कितनी भी मुश्किलें आएँ हमारे रास्ते में, बाहरी दृष्टि से हमें चाहे जितनी भारी हार दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास बनाए रखकर अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। हमें सदा एक ही मन्त्र जपना चाहिए- सत्य है, वही है, वही परमेश्वर है, उसे प्राप्त करने का एक ही तरीका है, एक साधन है और वह है अहिंसा। उसे हम कभी न छोड़ेंगे। यदि हम इसी प्रकार प्रार्थना करते रहें, तो वह मनोबल अवश्य ही हमें शक्ति प्रदान करेगा और हम उच्च जीवन पथ पर चलने में सफल होंगे।

Correct Answer: (c) उच्चतर जीवन-मार्ग पर चलने में सफल बनाता है।
Solution:दिए गए अनुच्छेद के आधार पर सत्य और अंहिसा जीवन के दो पवित्र और उच्च मूल्य हैं। इसका मार्ग हमें उच्चतर जीवन-मार्ग पर चलने में सफल बनाता है।

5. उपर्युक्त अनुच्छेद का सही शीर्षक है- [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र.पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न का उत्तर विकल्पों से चुनकर लिखिए।

सत्य और अहिंसा, जीवन के दो पवित्र और उच्च मूल्य हैं। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं, एक-दूसरे से शक्ति और प्रकाश प्राप्त करते हैं। हम यों भी कह सकते हैं कि सत्य और अहिंसा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अहिंसा परम धर्म है, जिसके द्वारा सत्य रूपी ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है। कितनी भी मुश्किलें आएँ हमारे रास्ते में, बाहरी दृष्टि से हमें चाहे जितनी भारी हार दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास बनाए रखकर अहिंसा और सत्य का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। हमें सदा एक ही मन्त्र जपना चाहिए- सत्य है, वही है, वही परमेश्वर है, उसे प्राप्त करने का एक ही तरीका है, एक साधन है और वह है अहिंसा। उसे हम कभी न छोड़ेंगे। यदि हम इसी प्रकार प्रार्थना करते रहें, तो वह मनोबल अवश्य ही हमें शक्ति प्रदान करेगा और हम उच्च जीवन पथ पर चलने में सफल होंगे।

Correct Answer: (b) सत्य और अहिंसा
Solution:दिए गए अनुच्छेद का उचित शीर्षक सत्य और अहिंसा है। वस्तुतः पूरा अनुच्छेद इन्हीं दोनों मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित है।

6. कबीर की किस मेहनत पर पानी फिर गया? [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न के उत्तर विकल्पों में से चुनकर दीजिए।

सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयू पुल पर ही स्थित बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था, मगर हम कुछ देर मगहर में रुके। कबीर की निर्वाण भूमि, मगर फरकापरस्तों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया और उन्हें मन्दिर और मक़बरे में बाँट दिया है। मठ के महन्त ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आस-पास के स्कूल और कॉलेज की लड़‌कियों से मुलाक़ात भी कराई। उनसे की बातचीत से हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदली हैं, लड़‌कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाने लगा है। मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है। अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी एकता नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास साठ लड़‌कियों में किसी को एक भी लोकगीत याद नहीं थे। वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे, तो रात गिरने लगी थी। मगर हम पेंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग 20 किलोमीटर होने पर भी विकास का एक भी साधन नहीं पहुँचा था मगर यहाँ के युवा सजग हैं। वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसरिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एक मात्र संयुक्त परिवार मिला। हमने उनसे बात की, उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास भी तीज-त्योहार, गीत गवनई की अनुपम थाती थी। मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नयी पीढ़ी लोक से विरत थी।

 

Correct Answer: (b) समाज को साम्प्रदायिक भेदभाव से ऊपर उठाने की मेहनत पर
Solution:दिए गए अनुच्छेद के आधार पर "कबीर द्वारा समाज को साम्प्रदायिक भेदभाव से ऊपर उठाने की मेहनत पर पानी फिर गया। वस्तुतः फरकापरस्तों ने कबीर की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था।"

7. लेखक किस मार्ग से आगे बढ़ रहे थे? [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न के उत्तर विकल्पों में से चुनकर दीजिए।

सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयू पुल पर ही स्थित बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था, मगर हम कुछ देर मगहर में रुके। कबीर की निर्वाण भूमि, मगर फरकापरस्तों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया और उन्हें मन्दिर और मक़बरे में बाँट दिया है। मठ के महन्त ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आस-पास के स्कूल और कॉलेज की लड़‌कियों से मुलाक़ात भी कराई। उनसे की बातचीत से हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदली हैं, लड़‌कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाने लगा है। मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है। अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी एकता नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास साठ लड़‌कियों में किसी को एक भी लोकगीत याद नहीं थे। वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे, तो रात गिरने लगी थी। मगर हम पेंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग 20 किलोमीटर होने पर भी विकास का एक भी साधन नहीं पहुँचा था मगर यहाँ के युवा सजग हैं। वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसरिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एक मात्र संयुक्त परिवार मिला। हमने उनसे बात की, उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास भी तीज-त्योहार, गीत गवनई की अनुपम थाती थी। मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नयी पीढ़ी लोक से विरत थी।

 

Correct Answer: (d) सड़क मार्ग से ग
Solution:उपर्युक्त अनुच्छेद के आधार पर लेखक 'सड़क मार्ग' से आगे बढ़ रहे थे।

8. कौन-सी विशेषता केसरिया गाँव के युवकों की नहीं है? [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न के उत्तर विकल्पों में से चुनकर दीजिए।

सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयू पुल पर ही स्थित बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था, मगर हम कुछ देर मगहर में रुके। कबीर की निर्वाण भूमि, मगर फरकापरस्तों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया और उन्हें मन्दिर और मक़बरे में बाँट दिया है। मठ के महन्त ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आस-पास के स्कूल और कॉलेज की लड़‌कियों से मुलाक़ात भी कराई। उनसे की बातचीत से हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदली हैं, लड़‌कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाने लगा है। मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है। अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी एकता नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास साठ लड़‌कियों में किसी को एक भी लोकगीत याद नहीं थे। वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे, तो रात गिरने लगी थी। मगर हम पेंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग 20 किलोमीटर होने पर भी विकास का एक भी साधन नहीं पहुँचा था मगर यहाँ के युवा सजग हैं। वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसरिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एक मात्र संयुक्त परिवार मिला। हमने उनसे बात की, उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास भी तीज-त्योहार, गीत गवनई की अनुपम थाती थी। मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नयी पीढ़ी लोक से विरत थी।

 

Correct Answer: (a) संयुक्त परिवार में रहते हैं।
Solution:दिए गए अनुच्छेद के आधार पर केसरिया गाँव के लोग संयुक्त परिवार में नहीं रहते हैं। पैंडरी गाँव कुशीनगर से लगभग 20 किलोमीटर था, जहाँ से केसरिया गाँव में जाने का जिक्र अनुच्छेद में किया गया है।

9. लेखक मगहर में रुकने के बाद सर्वप्रथम कहाँ रुके? [रेडियों ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न के उत्तर विकल्पों में से चुनकर दीजिए।

सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयू पुल पर ही स्थित बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था, मगर हम कुछ देर मगहर में रुके। कबीर की निर्वाण भूमि, मगर फरकापरस्तों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया और उन्हें मन्दिर और मक़बरे में बाँट दिया है। मठ के महन्त ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आस-पास के स्कूल और कॉलेज की लड़‌कियों से मुलाक़ात भी कराई। उनसे की बातचीत से हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदली हैं, लड़‌कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाने लगा है। मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है। अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी एकता नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास साठ लड़‌कियों में किसी को एक भी लोकगीत याद नहीं थे। वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे, तो रात गिरने लगी थी। मगर हम पेंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग 20 किलोमीटर होने पर भी विकास का एक भी साधन नहीं पहुँचा था मगर यहाँ के युवा सजग हैं। वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसरिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एक मात्र संयुक्त परिवार मिला। हमने उनसे बात की, उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास भी तीज-त्योहार, गीत गवनई की अनुपम थाती थी। मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नयी पीढ़ी लोक से विरत थी।

 

Correct Answer: (a) कुशीनगर में
Solution:उपर्युक्त अनुच्छेद के आधार पर लेखक मगहर में रुकने के बाद कुशीनगर में रुके। लेखक सर्वप्रथम बस्ती जिले की सीमा प्रवेश करती है और पहला पड़ाव कुशीनगर था, किन्तु वह मगहर में कुछ देर रुके थे।

10. "मगर सामाजिकता का लोफ्-सा होने लगा है"- का भाव क्या है? [रेडियो ऑपरेटर (उ.प्र. पुलिस) परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्न अनुच्छेद को पढ़कर दिए गए प्रश्न के उत्तर विकल्पों में से चुनकर दीजिए।

सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयू पुल पर ही स्थित बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था, मगर हम कुछ देर मगहर में रुके। कबीर की निर्वाण भूमि, मगर फरकापरस्तों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया और उन्हें मन्दिर और मक़बरे में बाँट दिया है। मठ के महन्त ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आस-पास के स्कूल और कॉलेज की लड़‌कियों से मुलाक़ात भी कराई। उनसे की बातचीत से हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदली हैं, लड़‌कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाने लगा है। मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है। अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी एकता नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास साठ लड़‌कियों में किसी को एक भी लोकगीत याद नहीं थे। वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे, तो रात गिरने लगी थी। मगर हम पेंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग 20 किलोमीटर होने पर भी विकास का एक भी साधन नहीं पहुँचा था मगर यहाँ के युवा सजग हैं। वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसरिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एक मात्र संयुक्त परिवार मिला। हमने उनसे बात की, उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास भी तीज-त्योहार, गीत गवनई की अनुपम थाती थी। मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नयी पीढ़ी लोक से विरत थी।

 

Correct Answer: (b) सांस्कृतिक ज्ञान का अभाव
Solution:"मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है." वाक्य का भाव है- सांस्कृतिक ज्ञान का अभाव हो गया था। विवाह (ब्याह), मरनी-हरनी, गीत, लोकगीत से लोग विरत हो चुके थे।