अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-2)

Total Questions: 51

1. शिवाजी वीर होने के साथ और क्या थे? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न सं. 1 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ।

शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उनका उद्देश्य महाराणा प्रताप के उद्देश्य से भी उच्च था। वे अपने कार्यों में सफल रहे। वे केवल वीर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की। वे कट्टर हिन्दू थे तो भी दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे। हम लोगों को उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

 

Correct Answer: (a) एक अच्छे राजनीतिज्ञ
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, शिवाजी महान् होने के साथ ही साथ एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की।

2. शिवाजी ने लोगों में कौन-सी भावना भर दी? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न सं. 1 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ।

शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उनका उद्देश्य महाराणा प्रताप के उद्देश्य से भी उच्च था। वे अपने कार्यों में सफल रहे। वे केवल वीर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की। वे कट्टर हिन्दू थे तो भी दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे। हम लोगों को उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

 

Correct Answer: (b) एक राष्ट्र की
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की।

3. शिवाजी कौन थे? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न सं. 1 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ।

शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उनका उद्देश्य महाराणा प्रताप के उद्देश्य से भी उच्च था। वे अपने कार्यों में सफल रहे। वे केवल वीर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की। वे कट्टर हिन्दू थे तो भी दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे। हम लोगों को उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

 

Correct Answer: (b) भारत के महान् वीरों में से एक
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। वे एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। वे कट्टर हिन्दू थे, किन्तु दूसरे के धर्मों और संस्कृति का आदर भी करते थे।

4. लोग शिवाजी का आदर क्यों करते थे? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न सं. 1 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ।

शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उनका उद्देश्य महाराणा प्रताप के उद्देश्य से भी उच्च था। वे अपने कार्यों में सफल रहे। वे केवल वीर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की। वे कट्टर हिन्दू थे तो भी दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे। हम लोगों को उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

 

Correct Answer: (c) उनके अच्छे गुणों के कारण
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे, उनका उद्देश्य उच्च था, वे एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे।

5. इनमें 'राजनीतिज्ञ' शब्द का अर्थ है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न सं. 1 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ।

शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उनका उद्देश्य महाराणा प्रताप के उद्देश्य से भी उच्च था। वे अपने कार्यों में सफल रहे। वे केवल वीर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की। वे कट्टर हिन्दू थे तो भी दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे। हम लोगों को उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

 

Correct Answer: (d) उपर्युक्त में से एक से अधिक
Solution:दिए गए गद्यांश और विकल्पों के आधार पर 'राजनीतिज्ञ' शब्द के अर्थ हैं- वह नीति जिससे राज्य का संचालन व उसके शासन का संचालन होता है।

6. इनमें अपठित गद्यांश का शीर्षक है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न सं. 1 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ।

शिवाजी भारत के महान् वीरों में से एक थे। उनका उद्देश्य महाराणा प्रताप के उद्देश्य से भी उच्च था। वे अपने कार्यों में सफल रहे। वे केवल वीर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने लोगों में एक राष्ट्र की भावना भर दी और मराठा राज्य की स्थापना की। वे कट्टर हिन्दू थे तो भी दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते थे। उनके अच्छे गुणों के कारण सभी लोग उनका आदर करते थे। हम लोगों को उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

 

Correct Answer: (a) शिवाजी की राष्ट्रीय चेतना
Solution:दिए गए गद्यांश में शिवाजी की राष्ट्रीय चेतना का वर्णन है। अतः इसका उचित शीर्षक 'शिवाजी की राष्ट्रीय चेतना' होगा।

7. एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए- [उ.प्र. पुलिस कांस्टेिबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र.सं. 1-5)

हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनन्द से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान् कहता है कि सदा अपने कर्मों पर झींखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी ही का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है- "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिलखाक जिया करते हैं।"

मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान् ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनन्द एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढहा सकते हैं। प्राण-रक्षा के लिए सदा देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनन्दरूपी मन्त्र सुनाता है।

Correct Answer: (a) हँसी- एक वरदान
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक 'हँसी-एक वरदान' है। पूरा गद्यांश इसी पर आधारित है तथा प्रारम्भ से अन्त तक इसी की व्याप्ति है।

8. हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है'- आशय स्पष्ट कीजिए। [उ.प्र. पुलिस कांस्टेिबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र.सं. 1-5)

हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनन्द से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान् कहता है कि सदा अपने कर्मों पर झींखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी ही का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है- "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिलखाक जिया करते हैं।"

मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान् ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनन्द एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढहा सकते हैं। प्राण-रक्षा के लिए सदा देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनन्दरूपी मन्त्र सुनाता है।

Correct Answer: (d) हँसी का आनन्द अंदर और बाहर दोनों जगह प्रकट होता है।
Solution:हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है।' इस वाक्य का आशय है कि 'हँसी का आनन्द अन्दर और बाहर दोनों जगह प्रकट होता है।' गद्यांश की प्रथम पंक्ति में कहा गया है कि "हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है।"

9. आनन्द को प्रबल इंजन क्यों कहा गया है? [उ.प्र. पुलिस कांस्टेिबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र.सं. 1-5)

हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनन्द से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान् कहता है कि सदा अपने कर्मों पर झींखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी ही का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है- "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिलखाक जिया करते हैं।"

मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान् ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनन्द एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढहा सकते हैं। प्राण-रक्षा के लिए सदा देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनन्दरूपी मन्त्र सुनाता है।

Correct Answer: (d) वह जीवन से शोक और दुःख दूर करता है।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, आनन्द को प्रबल इंजन इसलिए कहा गया है कि वह जीवन से शोक और दुःख दूर करता है।

10. सुयोग्य वैद्य रोगी के लिए क्या करता है? [उ.प्र. पुलिस कांस्टेिबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र.सं. 1-5)

हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनन्द से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान् कहता है कि सदा अपने कर्मों पर झींखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी ही का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है- "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिलखाक जिया करते हैं।"

मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान् ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनन्द एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढहा सकते हैं। प्राण-रक्षा के लिए सदा देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनन्दरूपी मन्त्र सुनाता है।

Correct Answer: (a) आशा और उल्लासमय वचनों द्वारा कानों को आनन्दित करता है।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, सुयोग्य वैद्य रोगी को आशा और उल्लासमय वचनों द्वारा कानों को आनन्दित करता है। गद्यांश की अन्तिम पंक्ति है कि 'सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनन्दरूपी मन्त्र सुनाता है।'