अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-2)

Total Questions: 51

11. प्रफुल्लित शब्द में कौन-सा उपसर्ग है? [उ.प्र. पुलिस कांस्टेिबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र.सं. 1-5)

हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिह्न है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनन्द से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान् कहता है कि सदा अपने कर्मों पर झींखने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी ही का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है- "जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिलखाक जिया करते हैं।"

मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान् ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनन्द एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढहा सकते हैं। प्राण-रक्षा के लिए सदा देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनन्दरूपी मन्त्र सुनाता है।

Correct Answer: (d) प्र
Solution:'प्रफुल्लित' शब्द में 'प्र' उपसर्ग है। फूल मूल शब्द है तथा 'इत' प्रत्यय है। प्रफुल्लित का अर्थ है फूल की तरह खिला हुआ अर्थात् प्रसन्न या हँसता हुआ 'प्रफुल्लित' विशेषण शब्द है।

12. तिनके की क्या विशेषता है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश: निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (प्र.सं. 1-5)

एकता के महत्त्व से सम्बन्धित अनेक लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं, यथा- दस की लाठी एक का बोझ, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इत्यादि। एक तिनके की क्या हस्ती ? लेकिन जब वही तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बंध जाता है। एक ईंट की क्या बिसात ? लेकिन जब यहीं ईंटें मिलकर दीवार बनाती हैं, तब उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है। एक बूँद जल का क्या अस्तित्व ? लेकिन जब इन्हीं बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है, तो उसे लाँघना दुष्कर हो जाता है। एक चींटी की क्या औकात ? लेकिन जब ये छोटी-सी चींटियाँ एक साथ हो जाती हैं, तब अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती हैं। एकता के महत्त्व से सम्बन्धित एक किसान और उसके बच्चों की और लकड़ी के टुकड़ों की कथा प्रचलित है। लकड़ी के टुकड़े जब अलग-अलग रहते हैं, तब बच्चों द्वारा वे आसानी से तोड़ दिए जाते हैं; परन्तु वे ही टुकड़े जब संगठित होकर गट्ठर बन जाते हैं, तब बच्चे तोड़ नहीं पाते हैं। इन दृष्टान्तों से स्पष्ट है कि 'एकता में ही बल है।'

 

Correct Answer: (c) जब तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बँध जाता है।
Solution:उधृत अनुच्छेद के पठनोपरान्त ज्ञातव्य है कि तिनके की विशेषता है- 'जब तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बँध जाता है, अतः विकल्प (c) अनुच्छेद आधारित उत्तर प्रस्तुत करता है, जबकि अन्य विकल्प अनुचित व दोषपूर्ण हैं।

13. बूँदों के मेल का क्या महत्त्व है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश: निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (प्र.सं. 1-5)

एकता के महत्त्व से सम्बन्धित अनेक लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं, यथा- दस की लाठी एक का बोझ, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इत्यादि। एक तिनके की क्या हस्ती ? लेकिन जब वही तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बंध जाता है। एक ईंट की क्या बिसात ? लेकिन जब यहीं ईंटें मिलकर दीवार बनाती हैं, तब उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है। एक बूँद जल का क्या अस्तित्व ? लेकिन जब इन्हीं बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है, तो उसे लाँघना दुष्कर हो जाता है। एक चींटी की क्या औकात ? लेकिन जब ये छोटी-सी चींटियाँ एक साथ हो जाती हैं, तब अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती हैं। एकता के महत्त्व से सम्बन्धित एक किसान और उसके बच्चों की और लकड़ी के टुकड़ों की कथा प्रचलित है। लकड़ी के टुकड़े जब अलग-अलग रहते हैं, तब बच्चों द्वारा वे आसानी से तोड़ दिए जाते हैं; परन्तु वे ही टुकड़े जब संगठित होकर गट्ठर बन जाते हैं, तब बच्चे तोड़ नहीं पाते हैं। इन दृष्टान्तों से स्पष्ट है कि 'एकता में ही बल है।'

 

Correct Answer: (b) बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है।
Solution:'बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है।' विकल्प (b) में प्रस्तुत उत्तर सही है, अन्य विकल्प अप्रासंगिक हैं।

14. जब चींटियाँ एक साथ जाती हैं, तो_____ (वाक्य पूरा कीजिए)। [V.D.O. परीक्षा. 2023]

निर्देश: निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (प्र.सं. 1-5)

एकता के महत्त्व से सम्बन्धित अनेक लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं, यथा- दस की लाठी एक का बोझ, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इत्यादि। एक तिनके की क्या हस्ती ? लेकिन जब वही तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बंध जाता है। एक ईंट की क्या बिसात ? लेकिन जब यहीं ईंटें मिलकर दीवार बनाती हैं, तब उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है। एक बूँद जल का क्या अस्तित्व ? लेकिन जब इन्हीं बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है, तो उसे लाँघना दुष्कर हो जाता है। एक चींटी की क्या औकात ? लेकिन जब ये छोटी-सी चींटियाँ एक साथ हो जाती हैं, तब अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती हैं। एकता के महत्त्व से सम्बन्धित एक किसान और उसके बच्चों की और लकड़ी के टुकड़ों की कथा प्रचलित है। लकड़ी के टुकड़े जब अलग-अलग रहते हैं, तब बच्चों द्वारा वे आसानी से तोड़ दिए जाते हैं; परन्तु वे ही टुकड़े जब संगठित होकर गट्ठर बन जाते हैं, तब बच्चे तोड़ नहीं पाते हैं। इन दृष्टान्तों से स्पष्ट है कि 'एकता में ही बल है।'

 

Correct Answer: (d) अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती है।
Solution:अनुच्छेद से ज्ञात होता है कि 'जब चींटियाँ एक साथ जाती हैं, तो अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती हैं। अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।

15. 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता' लोकोक्ति का अर्थ हैः [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश: निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (प्र.सं. 1-5)

एकता के महत्त्व से सम्बन्धित अनेक लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं, यथा- दस की लाठी एक का बोझ, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इत्यादि। एक तिनके की क्या हस्ती ? लेकिन जब वही तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बंध जाता है। एक ईंट की क्या बिसात ? लेकिन जब यहीं ईंटें मिलकर दीवार बनाती हैं, तब उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है। एक बूँद जल का क्या अस्तित्व ? लेकिन जब इन्हीं बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है, तो उसे लाँघना दुष्कर हो जाता है। एक चींटी की क्या औकात ? लेकिन जब ये छोटी-सी चींटियाँ एक साथ हो जाती हैं, तब अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती हैं। एकता के महत्त्व से सम्बन्धित एक किसान और उसके बच्चों की और लकड़ी के टुकड़ों की कथा प्रचलित है। लकड़ी के टुकड़े जब अलग-अलग रहते हैं, तब बच्चों द्वारा वे आसानी से तोड़ दिए जाते हैं; परन्तु वे ही टुकड़े जब संगठित होकर गट्ठर बन जाते हैं, तब बच्चे तोड़ नहीं पाते हैं। इन दृष्टान्तों से स्पष्ट है कि 'एकता में ही बल है।'

 

Correct Answer: (a) अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है।
Solution:अनुच्छेद में निहित लोकोक्ति 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता' का अर्थ है- 'अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है।'

16. इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए - [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश: निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (प्र.सं. 1-5)

एकता के महत्त्व से सम्बन्धित अनेक लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं, यथा- दस की लाठी एक का बोझ, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इत्यादि। एक तिनके की क्या हस्ती ? लेकिन जब वही तिनका संगठित होकर रस्सी बन जाता है, तब इससे बलशाली हाथी भी बंध जाता है। एक ईंट की क्या बिसात ? लेकिन जब यहीं ईंटें मिलकर दीवार बनाती हैं, तब उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है। एक बूँद जल का क्या अस्तित्व ? लेकिन जब इन्हीं बूँदों के मेल से सागर का निर्माण होता है, तो उसे लाँघना दुष्कर हो जाता है। एक चींटी की क्या औकात ? लेकिन जब ये छोटी-सी चींटियाँ एक साथ हो जाती हैं, तब अपने से बड़े आकार के जीवों को चट कर जाती हैं। एकता के महत्त्व से सम्बन्धित एक किसान और उसके बच्चों की और लकड़ी के टुकड़ों की कथा प्रचलित है। लकड़ी के टुकड़े जब अलग-अलग रहते हैं, तब बच्चों द्वारा वे आसानी से तोड़ दिए जाते हैं; परन्तु वे ही टुकड़े जब संगठित होकर गट्ठर बन जाते हैं, तब बच्चे तोड़ नहीं पाते हैं। इन दृष्टान्तों से स्पष्ट है कि 'एकता में ही बल है।'

 

Correct Answer: (a) संगठन में शक्ति है
Solution:उधृत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा- 'संगठन में शक्ति है। गद्यांश के प्रारम्भ तथा अन्त में इसी शीर्षक की व्याप्ति है।

17. विषवमन' शब्द कौन-से समास का उदाहरण है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश : निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें : (प्र. 1-5)

सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व है सहिष्णुता और उदारता। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता। अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोष- दर्शन और एक-दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है। आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते हैं। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुःख होंहिं दुःखारी। तिन्हहिं विलोकत पातक भारी।।'

Correct Answer: (c) तत्पुरुष समास
Solution:'विषवमन' समस्त पद का सामासिक विग्रह होगा- 'विष का वमन'। इस विग्रह से यह ज्ञात होता है कि 'विषवमन' समस्त पद के पूर्व पद एवं उत्तर पद के मध्य में 'कारक चिह्न' का लोप है, अतः यहाँ पर तत्पुरुष समास होगा।

तत्पुरुष समास के अन्य उदाहरण

(1) मनोहर

(2) गगनचुम्बी

(3) विद्याहीन

(4) शोकाकुल

(5) रसोईघर

(6) धर्मभ्रष्ट

(7) दीनानाथ

(8) शरणागत

(9) प्रेममग्न

18. 'पातक' शब्द का विलोम निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश : निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें : (प्र. 1-5)

सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व है सहिष्णुता और उदारता। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता। अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोष- दर्शन और एक-दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है। आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते हैं। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुःख होंहिं दुःखारी। तिन्हहिं विलोकत पातक भारी।।'

Correct Answer: (a) पुण्य
Solution:'पातक' शब्द का विलोम 'पुण्य' है। इसी प्रकार अन्य शब्दों के - विलोम निम्नलिखित हैं-

19. मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए........सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं। (उपयुक्त शब्दों से वाक्य पूरा कीजिए।) [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश : निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें : (प्र. 1-5)

सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व है सहिष्णुता और उदारता। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता। अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोष- दर्शन और एक-दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है। आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते हैं। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुःख होंहिं दुःखारी। तिन्हहिं विलोकत पातक भारी।।'

Correct Answer: (b) सहिष्णुता और उदारता
Solution:उद्धृत अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़ने से यह ज्ञात होता है कि 'मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सहिष्णुता और उदारता सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व हैं।

20. किस कारण से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश : निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों से दें : (प्र. 1-5)

सच्ची मित्रता जितनी बहुमूल्य होती है, उसे बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। इस मित्रता को स्थिर और दृढ़ रखने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यक तत्त्व है सहिष्णुता और उदारता। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ कमी रहती ही है। पूर्ण निर्दोष और सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति कोई भी नहीं होता। अतः मित्र के अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। दोष- दर्शन और एक-दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है। आज भौतिकवादी युग है। इस युग में सच्चे मित्र का मिलना वैसे भी कठिन है। अधिकतर मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का स्वांग रचते हैं और अपना काम बन जाने के बाद अँगूठा दिखाकर चलते बनते हैं। ऐसे मित्र सामने प्रिय बोलते हैं, लेकिन पीछे विषवमन करते हैं। अतः शास्त्रों का मत है कि ऐसे मित्र मुख पर अमृत वाले विष से भरे घट के समान त्याज्य हैं। रामचरितमानस में कहा गया है- 'जे न मित्र दुःख होंहिं दुःखारी। तिन्हहिं विलोकत पातक भारी।।'

Correct Answer: (a) दोष-दर्शन और एक-दूसरे पर छींटाकशी से
Solution:प्रस्तुत अनुच्छेद के अनुसार, दोष दर्शन और एक-दूसरे पर छींटाकशी से मित्रता में दरार पैदा होने का भय बना रहता है।