अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-2)

Total Questions: 51

31. दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य क्या है? [V.D.O. परीक्षा, 2023]

निर्देश :- निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

जिस विद्यार्थी ने समय की कीमत जान ली वह सफलता को अवश्य प्राप्त करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दिनचर्या की समय-सारणी अथवा तालिका बनाकर उसका पूरी दृढ़ता से पालन करना चाहिए। जिस विद्यार्थी ने समय का सही उपयोग करना सीख लिया, उसके लिए कोई भी काम करना असम्भव नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोई काम पूरा न होने पर समय की दुहाई देते हैं। वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत होती है। अपनी अकर्मण्यता और आलस्य को वे समय की कमी के बहाने छिपाते हैं। कुछ लोगों को अकर्मण्य रह कर निठल्ले समय बिताना अच्छा लगता है। ऐसे लोग केवल बातूनी होते हैं। दुनिया के सफलतम व्यक्तियों ने सदैव कर्त्तव्य व्यस्तता में जीवन बिताया है। उनकी सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग रहा है। दुनिया में अथवा प्रकृति में हर वस्तु का समय निश्चित् है। समय बीत जाने के बाद कार्य फलप्रद नहीं होता।

Correct Answer: (c) समय का सदुपयोग
Solution:उपर्युक्त अनुच्छेद के आधार पर दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य 'समय का सदुपयोग' है।

32. 'कोई चारा नहीं' से तात्पर्य है : [BPSC, स्कूल टीचर परीक्षा-2023]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के लिए (a), (b), (c), (d) और (e) में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

पुराणों में देखा गया है कि तप देवता करते हैं और राक्षस भी। जिस किसी को कुछ भी सिद्धि प्राप्त करनी है, तप किए बिना कोई चारा नहीं। इसमें उसकी नीयत अगर सात्त्विक रही, तो उसका और दुनिया का भला होता है। अगर उसकी नीयत बुरी रही, तो वह सारी दुनिया का नाश भी कर सकता है। मनुष्य ने ऐटम बम, हाइड्रोजन बम जैसे अस्त्र तैयार किए। यह सब मनुष्य की तपस्या का ही फल है इस आसुरी तपस्या से दुनिया का तो नुकसान होता ही है, लेकिन ऐसी तपस्या करने वाला स्वयं आत्मनाश की तैयारी करता है।

Correct Answer: (b) दूसरा रास्ता न होना
Solution:उपर्युक्त अवतरण के अनुसार, 'कोई चारा नहीं' वाक्यांश से तात्पर्य है- दूसरा रास्ता न होना।

33. 'नीयत' से तात्पर्य है : [BPSC, स्कूल टीचर परीक्षा-2023]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के लिए (a), (b), (c), (d) और (e) में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

पुराणों में देखा गया है कि तप देवता करते हैं और राक्षस भी। जिस किसी को कुछ भी सिद्धि प्राप्त करनी है, तप किए बिना कोई चारा नहीं। इसमें उसकी नीयत अगर सात्त्विक रही, तो उसका और दुनिया का भला होता है। अगर उसकी नीयत बुरी रही, तो वह सारी दुनिया का नाश भी कर सकता है। मनुष्य ने ऐटम बम, हाइड्रोजन बम जैसे अस्त्र तैयार किए। यह सब मनुष्य की तपस्या का ही फल है इस आसुरी तपस्या से दुनिया का तो नुकसान होता ही है, लेकिन ऐसी तपस्या करने वाला स्वयं आत्मनाश की तैयारी करता है।

Correct Answer: (a) इरादा
Solution:उपर्युक्त अवतरण के आधार पर 'नीयत' शब्द से तात्पर्य है- इरादा।

34. सात्त्विक नीयत से क्या होता है? [BPSC, स्कूल टीचर परीक्षा-2023]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के लिए (a), (b), (c), (d) और (e) में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

पुराणों में देखा गया है कि तप देवता करते हैं और राक्षस भी। जिस किसी को कुछ भी सिद्धि प्राप्त करनी है, तप किए बिना कोई चारा नहीं। इसमें उसकी नीयत अगर सात्त्विक रही, तो उसका और दुनिया का भला होता है। अगर उसकी नीयत बुरी रही, तो वह सारी दुनिया का नाश भी कर सकता है। मनुष्य ने ऐटम बम, हाइड्रोजन बम जैसे अस्त्र तैयार किए। यह सब मनुष्य की तपस्या का ही फल है इस आसुरी तपस्या से दुनिया का तो नुकसान होता ही है, लेकिन ऐसी तपस्या करने वाला स्वयं आत्मनाश की तैयारी करता है।

Correct Answer: (c) दुनिया का भला
Solution:उपर्युक्त अवतरण के आधार पर सात्त्विक नीयत से दुनिया का भला होता है, जबकि बुरी नीयत से दुनिया का नाश भी हो सकता है।

35. आसुरी तपस्या से मनुष्य ने क्या बनाया? [BPSC, स्कूल टीचर परीक्षा-2023]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के लिए (a), (b), (c), (d) और (e) में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

पुराणों में देखा गया है कि तप देवता करते हैं और राक्षस भी। जिस किसी को कुछ भी सिद्धि प्राप्त करनी है, तप किए बिना कोई चारा नहीं। इसमें उसकी नीयत अगर सात्त्विक रही, तो उसका और दुनिया का भला होता है। अगर उसकी नीयत बुरी रही, तो वह सारी दुनिया का नाश भी कर सकता है। मनुष्य ने ऐटम बम, हाइड्रोजन बम जैसे अस्त्र तैयार किए। यह सब मनुष्य की तपस्या का ही फल है इस आसुरी तपस्या से दुनिया का तो नुकसान होता ही है, लेकिन ऐसी तपस्या करने वाला स्वयं आत्मनाश की तैयारी करता है।

Correct Answer: (b) एटम बम
Solution:उपर्युक्त अवतरण के आधार पर 'आसुरी तपस्या' से मनुष्य ने एटम बम (परमाणु बम), हाइड्रोजन बम जैसे अस्त्र तैयार किए।

36. उपर्युक्त अवतरण का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है : [BPSC, स्कूल टीचर परीक्षा-2023]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के लिए (a), (b), (c), (d) और (e) में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

पुराणों में देखा गया है कि तप देवता करते हैं और राक्षस भी। जिस किसी को कुछ भी सिद्धि प्राप्त करनी है, तप किए बिना कोई चारा नहीं। इसमें उसकी नीयत अगर सात्त्विक रही, तो उसका और दुनिया का भला होता है। अगर उसकी नीयत बुरी रही, तो वह सारी दुनिया का नाश भी कर सकता है। मनुष्य ने ऐटम बम, हाइड्रोजन बम जैसे अस्त्र तैयार किए। यह सब मनुष्य की तपस्या का ही फल है इस आसुरी तपस्या से दुनिया का तो नुकसान होता ही है, लेकिन ऐसी तपस्या करने वाला स्वयं आत्मनाश की तैयारी करता है।

Correct Answer: (b) तप
Solution:उपर्युक्त अवतरण का उपयुक्त शीर्षक 'तप' हो सकता है; क्योंकि अवतरण के प्रारम्भ, मध्य तथा अन्त में इसी की व्याप्ति है।

37. 'अक्षय' का विलोमार्थी शब्द है : [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

साहित्य जीवन को संस्कारित करता है। वह जीवन में संवेदना-विस्तार का आधार बनता है और मनुष्य को विवेक संपन्न भी बनाता है। साहित्य जीवन में अक्षय आनन्द का स्रोत है। उसमें निहित अनुभूति समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य को प्रकट करती है। इसमें परम्पराओं, इतिहास और संस्कृति का रचनात्मक स्तर पर समावेश रहता है। इस आधार पर साहित्य जीवन बोध को जगाने में अपनी सार्थक भूमिका निभाता है। जीवन के प्रति आस्था, समाज के प्रति सहानुभूति और प्राणी मात्र के प्रति करुणा जगाने में साहित्य की अपनी महत्ता है। इसमें सामाजिक परिवर्तन की शक्ति निहित है। इसी आधार पर साहित्य पीढ़ियों को दिशा देने में समर्थ होता है। साहित्य के पठन-पाठन का अवसर अपनी अनेक व्यस्तताओं के बीच निकाल लेने वाले लोग जीवन का भरपूर आनन्द उठाते हैं। उन्हें जीवन जीने की कला आ जाती है। इसलिए कहा गया है कि 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्' अर्थात् बुद्धिमान् मनुष्यों का समय काव्यशास्त्र क के विनोद में ही व्यतीत होता है।

 

Correct Answer: (c) नाशवान्
Solution:उपर्युक्त गद्यांश में प्रयुक्त 'अक्षय' शब्द का विलोम 'नाशवान्' होगा।

'अक्षय' का विलोम 'क्षय' भी होता है।

38. जीवन का भरपूर आनन्द कौन उठाता है? [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

साहित्य जीवन को संस्कारित करता है। वह जीवन में संवेदना-विस्तार का आधार बनता है और मनुष्य को विवेक संपन्न भी बनाता है। साहित्य जीवन में अक्षय आनन्द का स्रोत है। उसमें निहित अनुभूति समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य को प्रकट करती है। इसमें परम्पराओं, इतिहास और संस्कृति का रचनात्मक स्तर पर समावेश रहता है। इस आधार पर साहित्य जीवन बोध को जगाने में अपनी सार्थक भूमिका निभाता है। जीवन के प्रति आस्था, समाज के प्रति सहानुभूति और प्राणी मात्र के प्रति करुणा जगाने में साहित्य की अपनी महत्ता है। इसमें सामाजिक परिवर्तन की शक्ति निहित है। इसी आधार पर साहित्य पीढ़ियों को दिशा देने में समर्थ होता है। साहित्य के पठन-पाठन का अवसर अपनी अनेक व्यस्तताओं के बीच निकाल लेने वाले लोग जीवन का भरपूर आनन्द उठाते हैं। उन्हें जीवन जीने की कला आ जाती है। इसलिए कहा गया है कि 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्' अर्थात् बुद्धिमान् मनुष्यों का समय काव्यशास्त्र क के विनोद में ही व्यतीत होता है।

 

Correct Answer: (d) साहित्य पठन-पाठन का अवसर व्यस्तताओं के बीच निकाल लेने वाले लोग।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर जीवन का भरपूर आनन्द साहित्य पठन-पाठन का अवसर व्यस्तताओं के बीच निकाल लेने वाले लोग उठाते हैं।

39. इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है : [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

साहित्य जीवन को संस्कारित करता है। वह जीवन में संवेदना-विस्तार का आधार बनता है और मनुष्य को विवेक संपन्न भी बनाता है। साहित्य जीवन में अक्षय आनन्द का स्रोत है। उसमें निहित अनुभूति समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य को प्रकट करती है। इसमें परम्पराओं, इतिहास और संस्कृति का रचनात्मक स्तर पर समावेश रहता है। इस आधार पर साहित्य जीवन बोध को जगाने में अपनी सार्थक भूमिका निभाता है। जीवन के प्रति आस्था, समाज के प्रति सहानुभूति और प्राणी मात्र के प्रति करुणा जगाने में साहित्य की अपनी महत्ता है। इसमें सामाजिक परिवर्तन की शक्ति निहित है। इसी आधार पर साहित्य पीढ़ियों को दिशा देने में समर्थ होता है। साहित्य के पठन-पाठन का अवसर अपनी अनेक व्यस्तताओं के बीच निकाल लेने वाले लोग जीवन का भरपूर आनन्द उठाते हैं। उन्हें जीवन जीने की कला आ जाती है। इसलिए कहा गया है कि 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्' अर्थात् बुद्धिमान् मनुष्यों का समय काव्यशास्त्र क के विनोद में ही व्यतीत होता है।

 

Correct Answer: (d) साहित्य की महत्ता
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के अवलोकन से स्पष्ट है कि इसमें साहित्य की महत्ता का वर्णन है। अतः इसका शीर्षक "साहित्य की महत्ता" है।

40. जीवन का बोध जगाने में : [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

साहित्य जीवन को संस्कारित करता है। वह जीवन में संवेदना-विस्तार का आधार बनता है और मनुष्य को विवेक संपन्न भी बनाता है। साहित्य जीवन में अक्षय आनन्द का स्रोत है। उसमें निहित अनुभूति समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य को प्रकट करती है। इसमें परम्पराओं, इतिहास और संस्कृति का रचनात्मक स्तर पर समावेश रहता है। इस आधार पर साहित्य जीवन बोध को जगाने में अपनी सार्थक भूमिका निभाता है। जीवन के प्रति आस्था, समाज के प्रति सहानुभूति और प्राणी मात्र के प्रति करुणा जगाने में साहित्य की अपनी महत्ता है। इसमें सामाजिक परिवर्तन की शक्ति निहित है। इसी आधार पर साहित्य पीढ़ियों को दिशा देने में समर्थ होता है। साहित्य के पठन-पाठन का अवसर अपनी अनेक व्यस्तताओं के बीच निकाल लेने वाले लोग जीवन का भरपूर आनन्द उठाते हैं। उन्हें जीवन जीने की कला आ जाती है। इसलिए कहा गया है कि 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्' अर्थात् बुद्धिमान् मनुष्यों का समय काव्यशास्त्र क के विनोद में ही व्यतीत होता है।

 

Correct Answer: (a) साहित्य सार्थक भूमिका निभाता है।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर जीवन का बोध जगाने में साहित्य सार्थक भूमिका निभाता है।