निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूँढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं। उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में तो उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं है। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अन्त में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।
Correct Answer: (c) स्वार्थ की
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर मानव समाज स्वार्थी अवश्य है; किन्तु वह 'स्वार्थ की उपासना' करना नहीं जानता है।