अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-3)

Total Questions: 50

1. मानव समाज किसकी उपासना करना नहीं जानता ? [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूँढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं। उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में तो उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं है। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अन्त में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।

 

Correct Answer: (c) स्वार्थ की
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर मानव समाज स्वार्थी अवश्य है; किन्तु वह 'स्वार्थ की उपासना' करना नहीं जानता है।

2. अन्त में कौन पूजे जाते हैं? [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूँढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं। उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में तो उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं है। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अन्त में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।

 

Correct Answer: (a) सच्ची मनुष्यता का परिचय देने वाले।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर 'सच्ची मनुष्यता का परिचय देने वाले' अन्त में पूजे जाते हैं। वस्तुतः अन्ततः उन्हीं की पूजा होती है जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।

3. इस संसार में क्या सब कुछ नहीं है? [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूँढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं। उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में तो उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं है। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अन्त में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।

 

Correct Answer: (a) धन
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है।

4. किनकी स्मृति तरोताज़ा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं? [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूँढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं। उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में तो उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं है। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अन्त में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।

 

Correct Answer: (d) जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति को तरोताज़ा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं।

5. किनकी प्रतिष्ठा कम हुई है? [MP. PCS (C-SAT) EXAM, 2022]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1 से 5) दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूँढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिन्होंने अर्थार्जन के स्थान पर कर्म की श्रेष्ठता पर बल दिया, उनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं। उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपये से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में तो उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं है। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अन्त में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सच्ची मनुष्यता का परिचय दिया है।

 

Correct Answer: (b) जिनके जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है।

6. गद्यांश का सही शीर्षक है - [UPPCS (C-SAT) Exam - 2023]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 1 से 5 तक के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए -

"हर एक राष्ट्र अपनी संस्कृति के बल पर ही प्रगति करता है। सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से ही वह अपना जीवन सुखी, उपयोगी, शान्त तथा आनन्दमय बना सकता है। सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है। जीवन को श्रेष्ठ तथा उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम संस्कृति है और उन साधनाओं से प्राप्त जीवन प्रणाली का नाम सभ्यता है। किसी राष्ट्र की भौगोलिक परिस्थितियों का भी उनकी संस्कृति पर प्रभाव पड़ता है।"

Correct Answer: (d) राष्ट्र के विकास में संस्कृति का योगदान
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक "राष्ट्र के विकास में संस्कृति का योगदान" है। वस्तुतः गद्यांश के प्रारम्भ व अन्त में इसी की व्याप्ति है।

7. सभ्यता और संस्कृति में - [UPPCS (C-SAT) Exam - 2023]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 1 से 5 तक के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए -

"हर एक राष्ट्र अपनी संस्कृति के बल पर ही प्रगति करता है। सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से ही वह अपना जीवन सुखी, उपयोगी, शान्त तथा आनन्दमय बना सकता है। सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है। जीवन को श्रेष्ठ तथा उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम संस्कृति है और उन साधनाओं से प्राप्त जीवन प्रणाली का नाम सभ्यता है। किसी राष्ट्र की भौगोलिक परिस्थितियों का भी उनकी संस्कृति पर प्रभाव पड़ता है।"

Correct Answer: (d) घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है। वस्तुतः 'संस्कृति' जीवन को श्रेष्ठ तथा उन्नत बनाने की साधना है, जबकि सभ्यता इस साधना से प्राप्त जीवन प्रणाली का नाम है।

8. गद्यांश में किस शब्द का प्रयोग नहीं है ? [UPPCS (C-SAT) Exam- 2023]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 1 से 5 तक के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए -

"हर एक राष्ट्र अपनी संस्कृति के बल पर ही प्रगति करता है। सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से ही वह अपना जीवन सुखी, उपयोगी, शान्त तथा आनन्दमय बना सकता है। सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है। जीवन को श्रेष्ठ तथा उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम संस्कृति है और उन साधनाओं से प्राप्त जीवन प्रणाली का नाम सभ्यता है। किसी राष्ट्र की भौगोलिक परिस्थितियों का भी उनकी संस्कृति पर प्रभाव पड़ता है।"

Correct Answer: (d) प्रकृति
Solution:उपर्युक्त गद्यांश में परिस्थिति, संस्कृति तथा सभ्यता शब्दों का प्रयोग किया गया है, जबकि 'प्रकृति' शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।

9. प्रत्येक राष्ट्र की संस्कृति वहाँ की - [UPPCS (C-SAT) Exam - 2023]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 1 से 5 तक के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए -

"हर एक राष्ट्र अपनी संस्कृति के बल पर ही प्रगति करता है। सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से ही वह अपना जीवन सुखी, उपयोगी, शान्त तथा आनन्दमय बना सकता है। सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है। जीवन को श्रेष्ठ तथा उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम संस्कृति है और उन साधनाओं से प्राप्त जीवन प्रणाली का नाम सभ्यता है। किसी राष्ट्र की भौगोलिक परिस्थितियों का भी उनकी संस्कृति पर प्रभाव पड़ता है।"

Correct Answer: (a) भौगोलिक परिस्थितियों पर भी निर्भर होती है
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर प्रत्येक राष्ट्र की संस्कृति वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों पर भी निर्भर होती है। इसे उपर्युक्त गद्यांश के अन्त में स्पष्ट किया गया है।

10. राष्ट्र किसके बल पर प्रगति करते हैं? [UPPCS (C-SAT) Exam- 2023]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 1 से 5 तक के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए -

"हर एक राष्ट्र अपनी संस्कृति के बल पर ही प्रगति करता है। सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से ही वह अपना जीवन सुखी, उपयोगी, शान्त तथा आनन्दमय बना सकता है। सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी अन्तर है। जीवन को श्रेष्ठ तथा उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम संस्कृति है और उन साधनाओं से प्राप्त जीवन प्रणाली का नाम सभ्यता है। किसी राष्ट्र की भौगोलिक परिस्थितियों का भी उनकी संस्कृति पर प्रभाव पड़ता है।"

Correct Answer: (a) संस्कृति के बल पर
Solution:उपर्युक्त गद्यांश से स्पष्ट है कि राष्ट्र संस्कृति के बल पर प्रगति करते हैं। इसे गद्यांश के प्रारम्भ में ही स्पष्ट किया गया है।