निर्देश :- अधोलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न संख्या 1 से 5 के उत्तर इस गद्यांश के आधार पर दीजिए :
हमारा जीवन पाखण्डमय बन गया है और हम इसके बिना रह नहीं सकते हैं। अपने सार्वजनिक जीवन अथवा निजी जीवन में कहीं भी देखें हम एक दूसरे को छलने की कला का खुलकर उपयोग करते हैं, इसके बावजूद यह विश्वास करते हैं कि हम ऐसा कुछ भी नहीं कर रहें हैं। हम इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करते हैं जिसकी उस अवसर पर कोई आवश्यकता नहीं होती। हम किसी भी बात को यह जानते हुए कि वह सही अथवा सत्य नहीं है लेकिन उसके प्रति निष्ठा या विश्वास इस तरह प्रकट करते हैं जैसे हमारे लिए वही एक मात्र सत्य है हम सब इसलिए सरलता से कर लेते हैं क्योंकि आज पाखण्ड एवं दिखावा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है आज हम में से अधिकांश लोगों की स्थिति 'मुँह में कुछ और मन में कुछ और' वाली बन गयी है।
Correct Answer: (d) खुलकर
Solution:'छलने की कला का' हम खुलकर उपयोग करते हैं। क्योंकि मानव जीवन में जो मानवीय गुण और संवेदना होनी चाहिए, वह आज के परिवेश में गायब होती जा रही है।