अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-4)

Total Questions: 51

11. प्रेम के कितने रूप होते हैं? [High Court (Group C) Exam, 2017]

निर्देशः अवतरण को पढ़कर प्रश्नों (1-5) के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए-

आज समाज में अपराध और बुराइयाँ दिखाई देती हैं। नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। हर व्यक्ति स्वार्थ से घिरा है। उसका मूल कारण प्रेम का न होना है। हिंसा, द्वेष, वैमनस्य, शत्रुता आदि विकारों का उ‌द्भव भी प्रेम के अभाव में होता है। 'प्रेम' सुखी जीवन का आधार है। प्रेम के अनेक रूप होते हैं मातृ-प्रेम, पारिवारिक प्रेम, ईश्वर-प्रेम, देश-प्रेम आदि। प्रेम का रूप चाहे कोई भी हो, वह प्रगाढ़ और मधुर सम्बन्धों को बनाने वाला है। प्रेम के कारण ही समाज या राष्ट्र प्रगति करते हैं और अनेक समस्याएँ स्वतः सुलझ जाती हैं। दो समुदाय, समाज या राष्ट्र प्रेम के कारण ही एक-दूसरे से जुड़ते हैं।

किसी समस्या का हल भी प्रेम से ही निकल सकता है, क्रोध या झगड़े से नहीं। समाज में फैली साम्प्रदायिकता, भेदभाव, द्वेष, शत्रुता, आतंकवाद आदि को यदि मिटाना है, तो पहले लोगों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव उत्पन्न करना होगा। समाज और राष्ट्र भी तभी प्रगति कर सकते हैं और अपना अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। जब आपसी सम्बन्ध सुदृढ़ हों और एक-दूसरे के प्रति त्याग की भावना हो और यह सब एक चीज से सम्भव है और वह है- 'प्रेम'।

Correct Answer: (d) a, b, c और देश-प्रेम
Solution:अवतरण की पंक्तियों से स्पष्ट है, कि प्रेम के अनेक रूप होते हैं - मातृ-प्रेम, पारिवारिक-प्रेम, ईश्वर-प्रेम, देश-प्रेम आदि।

12. समाज में होने वाले अपराध और नैतिक मूल्यों के पतन का मूल कारण क्या है? [High Court (Group C) Exam, 2017]

निर्देशः अवतरण को पढ़कर प्रश्नों (1-5) के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए-

आज समाज में अपराध और बुराइयाँ दिखाई देती हैं। नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। हर व्यक्ति स्वार्थ से घिरा है। उसका मूल कारण प्रेम का न होना है। हिंसा, द्वेष, वैमनस्य, शत्रुता आदि विकारों का उ‌द्भव भी प्रेम के अभाव में होता है। 'प्रेम' सुखी जीवन का आधार है। प्रेम के अनेक रूप होते हैं मातृ-प्रेम, पारिवारिक प्रेम, ईश्वर-प्रेम, देश-प्रेम आदि। प्रेम का रूप चाहे कोई भी हो, वह प्रगाढ़ और मधुर सम्बन्धों को बनाने वाला है। प्रेम के कारण ही समाज या राष्ट्र प्रगति करते हैं और अनेक समस्याएँ स्वतः सुलझ जाती हैं। दो समुदाय, समाज या राष्ट्र प्रेम के कारण ही एक-दूसरे से जुड़ते हैं।

किसी समस्या का हल भी प्रेम से ही निकल सकता है, क्रोध या झगड़े से नहीं। समाज में फैली साम्प्रदायिकता, भेदभाव, द्वेष, शत्रुता, आतंकवाद आदि को यदि मिटाना है, तो पहले लोगों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव उत्पन्न करना होगा। समाज और राष्ट्र भी तभी प्रगति कर सकते हैं और अपना अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। जब आपसी सम्बन्ध सुदृढ़ हों और एक-दूसरे के प्रति त्याग की भावना हो और यह सब एक चीज से सम्भव है और वह है- 'प्रेम'।

Correct Answer: (b) प्रेम का अभाव
Solution:अवतरण की प्रारम्भिक दो पंक्तियों से स्पष्ट है, कि समाज में होने वाले अपराध और नैतिक मूल्यों के पतन का मूल कारण प्रेम का अभाव है। अवतरण में उल्लिखित है कि आज समाज में अपराध और बुराइयाँ दिखाई देती हैं, जिससे नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है।

13. दो समुदाय और दो राष्ट्र को कौन-सी भावना जोड़ सकती है? [High Court (Group C) Exam, 2017]

निर्देशः अवतरण को पढ़कर प्रश्नों (1-5) के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए-

आज समाज में अपराध और बुराइयाँ दिखाई देती हैं। नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। हर व्यक्ति स्वार्थ से घिरा है। उसका मूल कारण प्रेम का न होना है। हिंसा, द्वेष, वैमनस्य, शत्रुता आदि विकारों का उ‌द्भव भी प्रेम के अभाव में होता है। 'प्रेम' सुखी जीवन का आधार है। प्रेम के अनेक रूप होते हैं मातृ-प्रेम, पारिवारिक प्रेम, ईश्वर-प्रेम, देश-प्रेम आदि। प्रेम का रूप चाहे कोई भी हो, वह प्रगाढ़ और मधुर सम्बन्धों को बनाने वाला है। प्रेम के कारण ही समाज या राष्ट्र प्रगति करते हैं और अनेक समस्याएँ स्वतः सुलझ जाती हैं। दो समुदाय, समाज या राष्ट्र प्रेम के कारण ही एक-दूसरे से जुड़ते हैं।

किसी समस्या का हल भी प्रेम से ही निकल सकता है, क्रोध या झगड़े से नहीं। समाज में फैली साम्प्रदायिकता, भेदभाव, द्वेष, शत्रुता, आतंकवाद आदि को यदि मिटाना है, तो पहले लोगों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव उत्पन्न करना होगा। समाज और राष्ट्र भी तभी प्रगति कर सकते हैं और अपना अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। जब आपसी सम्बन्ध सुदृढ़ हों और एक-दूसरे के प्रति त्याग की भावना हो और यह सब एक चीज से सम्भव है और वह है- 'प्रेम'।

Correct Answer: (d) प्रेम की भावना
Solution:अवतरण की पंक्तियों से स्पष्ट है, कि दो समुदाय और दो राष्ट्र को जोड़ने वाली भावना 'प्रेम' है। इस प्रकार 'प्रेम की भावना' से दो समुदाय और राष्ट्र जुड़ सकते हैं।

14. आतंकवाद को मिटाने के लिए क्या करना चाहिए? [High Court (Group C) Exam, 2017]

निर्देशः अवतरण को पढ़कर प्रश्नों (1-5) के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए-

आज समाज में अपराध और बुराइयाँ दिखाई देती हैं। नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। हर व्यक्ति स्वार्थ से घिरा है। उसका मूल कारण प्रेम का न होना है। हिंसा, द्वेष, वैमनस्य, शत्रुता आदि विकारों का उ‌द्भव भी प्रेम के अभाव में होता है। 'प्रेम' सुखी जीवन का आधार है। प्रेम के अनेक रूप होते हैं मातृ-प्रेम, पारिवारिक प्रेम, ईश्वर-प्रेम, देश-प्रेम आदि। प्रेम का रूप चाहे कोई भी हो, वह प्रगाढ़ और मधुर सम्बन्धों को बनाने वाला है। प्रेम के कारण ही समाज या राष्ट्र प्रगति करते हैं और अनेक समस्याएँ स्वतः सुलझ जाती हैं। दो समुदाय, समाज या राष्ट्र प्रेम के कारण ही एक-दूसरे से जुड़ते हैं।

किसी समस्या का हल भी प्रेम से ही निकल सकता है, क्रोध या झगड़े से नहीं। समाज में फैली साम्प्रदायिकता, भेदभाव, द्वेष, शत्रुता, आतंकवाद आदि को यदि मिटाना है, तो पहले लोगों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव उत्पन्न करना होगा। समाज और राष्ट्र भी तभी प्रगति कर सकते हैं और अपना अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। जब आपसी सम्बन्ध सुदृढ़ हों और एक-दूसरे के प्रति त्याग की भावना हो और यह सब एक चीज से सम्भव है और वह है- 'प्रेम'।

Correct Answer: (d) एक-दूसरे के प्रति प्रेम-भावना जगाना चाहिए।
Solution:अवतरण से विदित होता है, कि समाज में फैली साम्प्रदायिकता, भेदभाव, द्वेष, शत्रुता, आतंकवाद आदि को यदि मिटाना है, तो पहले लोगों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव उत्पन करना होगा। अतः विकल्प  (d) सत्य होगा।

15. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा? [U.K.TET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

निर्देशः- निम्नलिखित अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों (1-5) के सही उत्तर चुनिए।

डॉ. रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक अपठित गद्यांश एवं समस्यामूलक एकांकियों की रचना की है। उनके एकांकियों का मूल स्वर आदर्शवादी है। प्रेम, सेवा, उदारता, त्याग और बलिदान की भावनाओं से ओत-प्रोत इन ऐतिहासिक एकांकियों में भारत के अतीत गौरव को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयास किया गया है। समस्यामूलक एकांकियों में वर्मा जी ने शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की अनेक समस्याओं-प्रेम, सेक्स, सन्देह, दम्भ आदि को कथानक का विषय बनाया है, किन्तु उनकी परिणति आदर्श में हुई है, क्योंकि उनके एकांकियों की नायिकाएँ अन्ततः अपने पति के सम्मान की रक्षा करती हुई दिखायी पड़ती हैं। यथा 'रेशमी टाई' की ललिता और 'एक्ट्रेस' एकांकी की नायिका प्रभात कुमारी। अतिशय आदर्शवादिता के कारण वर्मा जी के एकांकी यथार्थ से दूर हो गए जान पड़ते हैं, किन्तु एकांकी शिल्प की दृष्टि से वे हिन्दी के युग प्रवर्तक एकांकीकार माने जा सकते हैं। आरम्भ, कौतुहल, संकलन त्रय, चरम सीमा आदि तत्व उनके एकांकियों में बड़ी सूक्ष्मता से विद्यमान हैं। रंगमंचीयता एवं अभिनेयता के गुणों से भी उनके एकांकी सम्पन्न हैं तथा उनमें सरसता के साथ-साथ शिल्प की प्रौढ़ता भी विद्यमान है। वस्तुतः एकांकी कला को चरम यौवन पर पहुँचाने का श्रेय डॉ. रामकुमार वर्मा को ही दिया जाता है।

Correct Answer: (b) डॉ. रामकुमार वर्मा के एकांकी
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'डॉ. रामकुमार वर्मा के एकांकी' है।

16. उपर्युक्त गद्यांश में प्रयुक्त शैली है- [U.K.TET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

निर्देशः- निम्नलिखित अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों (1-5) के सही उत्तर चुनिए।

डॉ. रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक अपठित गद्यांश एवं समस्यामूलक एकांकियों की रचना की है। उनके एकांकियों का मूल स्वर आदर्शवादी है। प्रेम, सेवा, उदारता, त्याग और बलिदान की भावनाओं से ओत-प्रोत इन ऐतिहासिक एकांकियों में भारत के अतीत गौरव को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयास किया गया है। समस्यामूलक एकांकियों में वर्मा जी ने शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की अनेक समस्याओं-प्रेम, सेक्स, सन्देह, दम्भ आदि को कथानक का विषय बनाया है, किन्तु उनकी परिणति आदर्श में हुई है, क्योंकि उनके एकांकियों की नायिकाएँ अन्ततः अपने पति के सम्मान की रक्षा करती हुई दिखायी पड़ती हैं। यथा 'रेशमी टाई' की ललिता और 'एक्ट्रेस' एकांकी की नायिका प्रभात कुमारी। अतिशय आदर्शवादिता के कारण वर्मा जी के एकांकी यथार्थ से दूर हो गए जान पड़ते हैं, किन्तु एकांकी शिल्प की दृष्टि से वे हिन्दी के युग प्रवर्तक एकांकीकार माने जा सकते हैं। आरम्भ, कौतुहल, संकलन त्रय, चरम सीमा आदि तत्व उनके एकांकियों में बड़ी सूक्ष्मता से विद्यमान हैं। रंगमंचीयता एवं अभिनेयता के गुणों से भी उनके एकांकी सम्पन्न हैं तथा उनमें सरसता के साथ-साथ शिल्प की प्रौढ़ता भी विद्यमान है। वस्तुतः एकांकी कला को चरम यौवन पर पहुँचाने का श्रेय डॉ. रामकुमार वर्मा को ही दिया जाता है।

Correct Answer: (c) आलोचनात्मक
Solution:उपर्युक्त गद्यांश में प्रयुक्त शैली आलोचनात्मक है।

17. डॉ. रामकुमार वर्मा के एकांकियों का मूल स्वर है- [U.K.TET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

निर्देशः- निम्नलिखित अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों (1-5) के सही उत्तर चुनिए।

डॉ. रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक अपठित गद्यांश एवं समस्यामूलक एकांकियों की रचना की है। उनके एकांकियों का मूल स्वर आदर्शवादी है। प्रेम, सेवा, उदारता, त्याग और बलिदान की भावनाओं से ओत-प्रोत इन ऐतिहासिक एकांकियों में भारत के अतीत गौरव को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयास किया गया है। समस्यामूलक एकांकियों में वर्मा जी ने शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की अनेक समस्याओं-प्रेम, सेक्स, सन्देह, दम्भ आदि को कथानक का विषय बनाया है, किन्तु उनकी परिणति आदर्श में हुई है, क्योंकि उनके एकांकियों की नायिकाएँ अन्ततः अपने पति के सम्मान की रक्षा करती हुई दिखायी पड़ती हैं। यथा 'रेशमी टाई' की ललिता और 'एक्ट्रेस' एकांकी की नायिका प्रभात कुमारी। अतिशय आदर्शवादिता के कारण वर्मा जी के एकांकी यथार्थ से दूर हो गए जान पड़ते हैं, किन्तु एकांकी शिल्प की दृष्टि से वे हिन्दी के युग प्रवर्तक एकांकीकार माने जा सकते हैं। आरम्भ, कौतुहल, संकलन त्रय, चरम सीमा आदि तत्व उनके एकांकियों में बड़ी सूक्ष्मता से विद्यमान हैं। रंगमंचीयता एवं अभिनेयता के गुणों से भी उनके एकांकी सम्पन्न हैं तथा उनमें सरसता के साथ-साथ शिल्प की प्रौढ़ता भी विद्यमान है। वस्तुतः एकांकी कला को चरम यौवन पर पहुँचाने का श्रेय डॉ. रामकुमार वर्मा को ही दिया जाता है।

Correct Answer: (b) आदर्शवादी
Solution:गद्यांश के द्वितीय पंक्ति में उधृत है, कि डॉ. रामकुमार वर्मा के एकांकियों का मूल स्वर आदर्शवादी है।

18. रंगमंचीयता एवं अभिनेयता की दृष्टि से वर्मा जी के एकांकी- [U.K.TET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

निर्देशः- निम्नलिखित अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों (1-5) के सही उत्तर चुनिए।

डॉ. रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक अपठित गद्यांश एवं समस्यामूलक एकांकियों की रचना की है। उनके एकांकियों का मूल स्वर आदर्शवादी है। प्रेम, सेवा, उदारता, त्याग और बलिदान की भावनाओं से ओत-प्रोत इन ऐतिहासिक एकांकियों में भारत के अतीत गौरव को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयास किया गया है। समस्यामूलक एकांकियों में वर्मा जी ने शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की अनेक समस्याओं-प्रेम, सेक्स, सन्देह, दम्भ आदि को कथानक का विषय बनाया है, किन्तु उनकी परिणति आदर्श में हुई है, क्योंकि उनके एकांकियों की नायिकाएँ अन्ततः अपने पति के सम्मान की रक्षा करती हुई दिखायी पड़ती हैं। यथा 'रेशमी टाई' की ललिता और 'एक्ट्रेस' एकांकी की नायिका प्रभात कुमारी। अतिशय आदर्शवादिता के कारण वर्मा जी के एकांकी यथार्थ से दूर हो गए जान पड़ते हैं, किन्तु एकांकी शिल्प की दृष्टि से वे हिन्दी के युग प्रवर्तक एकांकीकार माने जा सकते हैं। आरम्भ, कौतुहल, संकलन त्रय, चरम सीमा आदि तत्व उनके एकांकियों में बड़ी सूक्ष्मता से विद्यमान हैं। रंगमंचीयता एवं अभिनेयता के गुणों से भी उनके एकांकी सम्पन्न हैं तथा उनमें सरसता के साथ-साथ शिल्प की प्रौढ़ता भी विद्यमान है। वस्तुतः एकांकी कला को चरम यौवन पर पहुँचाने का श्रेय डॉ. रामकुमार वर्मा को ही दिया जाता है।

Correct Answer: (a) सफल हैं
Solution:गद्यांश के अन्तिम से तीसरी और चौथी पंक्ति से यह ज्ञात होता है कि रंगमंचीयता एवं अभिनेयता की दृष्टि से वर्मा जी के एकांकी सफल हैं।

19. वर्मा जी के समस्यामूलक एकांकियों में चित्रण किया गया है- [U.K.TET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

निर्देशः- निम्नलिखित अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों (1-5) के सही उत्तर चुनिए।

डॉ. रामकुमार वर्मा ने ऐतिहासिक अपठित गद्यांश एवं समस्यामूलक एकांकियों की रचना की है। उनके एकांकियों का मूल स्वर आदर्शवादी है। प्रेम, सेवा, उदारता, त्याग और बलिदान की भावनाओं से ओत-प्रोत इन ऐतिहासिक एकांकियों में भारत के अतीत गौरव को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयास किया गया है। समस्यामूलक एकांकियों में वर्मा जी ने शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की अनेक समस्याओं-प्रेम, सेक्स, सन्देह, दम्भ आदि को कथानक का विषय बनाया है, किन्तु उनकी परिणति आदर्श में हुई है, क्योंकि उनके एकांकियों की नायिकाएँ अन्ततः अपने पति के सम्मान की रक्षा करती हुई दिखायी पड़ती हैं। यथा 'रेशमी टाई' की ललिता और 'एक्ट्रेस' एकांकी की नायिका प्रभात कुमारी। अतिशय आदर्शवादिता के कारण वर्मा जी के एकांकी यथार्थ से दूर हो गए जान पड़ते हैं, किन्तु एकांकी शिल्प की दृष्टि से वे हिन्दी के युग प्रवर्तक एकांकीकार माने जा सकते हैं। आरम्भ, कौतुहल, संकलन त्रय, चरम सीमा आदि तत्व उनके एकांकियों में बड़ी सूक्ष्मता से विद्यमान हैं। रंगमंचीयता एवं अभिनेयता के गुणों से भी उनके एकांकी सम्पन्न हैं तथा उनमें सरसता के साथ-साथ शिल्प की प्रौढ़ता भी विद्यमान है। वस्तुतः एकांकी कला को चरम यौवन पर पहुँचाने का श्रेय डॉ. रामकुमार वर्मा को ही दिया जाता है।

Correct Answer: (a) शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की समस्या का
Solution:गद्यांश की पाँचवीं से छठी पंक्ति में उद्धृत है, कि वर्मा जी ने समस्यामूलक एकांकियों में 'शिक्षित मध्यमवर्गीय दम्पत्तियों की समस्या का' चित्रण किया है।

20. 'क्षितिज' किसे कहते हैं? [CTET Exam Ist Paper (I-V), 2015]

निर्देशः- नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (प्र.सं. 1 से 9) में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

सारा संसार नीले गगन के तले अनन्त काल से रहता आया है। हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरती और आकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं। लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नजारा आगे खिसकता चला जाता है और इस नजारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है। ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है। जिन्दगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिन्दगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फिट नहीं बैठती। 'बर्नार्ड शॉ' जीवन को एक खुली किताब मानते थे और यह भी मानते थे, कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक है। वह चाहते थे, कि इन्सान अपने स्वार्थ में अन्धा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे। यदि इन्सान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है। हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक से वंचित कर दें। यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू-मण्डल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक है। जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने, साँस लेने का अधिकारी है। उसी तरह से मानव-मात्र का स्वभाव भी होना चाहिए, कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने। यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें भी मानव जाति से इतर जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए। दूसरों के जीने के हक को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता।

Correct Answer: (d) जहाँ धरती और आसमान मिले हुए दिखाई देते हैं।
Solution:जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई दें, उसे 'क्षितिज' कहा जाता है।