निर्देशः- नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (प्र.सं. 1 से 9) में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
सारा संसार नीले गगन के तले अनन्त काल से रहता आया है। हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरती और आकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं। लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नजारा आगे खिसकता चला जाता है और इस नजारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है। ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है। जिन्दगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिन्दगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फिट नहीं बैठती। 'बर्नार्ड शॉ' जीवन को एक खुली किताब मानते थे और यह भी मानते थे, कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक है। वह चाहते थे, कि इन्सान अपने स्वार्थ में अन्धा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे। यदि इन्सान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है। हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक से वंचित कर दें। यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू-मण्डल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक है। जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने, साँस लेने का अधिकारी है। उसी तरह से मानव-मात्र का स्वभाव भी होना चाहिए, कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने। यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें भी मानव जाति से इतर जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए। दूसरों के जीने के हक को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता।
Correct Answer: (b) उसकी सीमा नहीं है।
Solution:'किसी का ओर-छोर न होना' से तात्पर्य 'सीमाहीन', 'अनन्त', 'जिसकी कोई सीमा न हो' होता है।