अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-4)

Total Questions: 51

41. निम्न में विदेशी शब्द है - [Rajasthan. TET Exam Ist Paper (I-V), 2012]

Correct Answer: (d) खुद
Solution:'खुद' शब्द फारसी (विदेशी) है।

42. 'जमीन' का पर्यायवाची नहीं है - [Rajasthan. TET Exam Ist Paper (I-V), 2012]

Correct Answer: (c) विटप
Solution:पृथ्वी, धरती, धरणी, भू, वसुन्धरा आदि 'जमीन' के पर्यायवाची शब्द हैं, जबकि विटप, 'वृक्ष' का पर्यायवाची है।

43. 'जीवित' का विलोम है - [Rajasthan. TET Exam Ist Paper (I-V), 2012]

Correct Answer: (d) मृत
Solution:'जीवित' शब्द का विलोम 'मृत' तथा 'अस्थिर' का विलोम 'स्थिर' होता है।

44. कौन शब्द में प्रत्यय नहीं है? [Rajasthan. TET Exam Ist Paper (I-V), 2012]

Correct Answer: (d) पीढ़ी
Solution:दिये गये विकल्पों में 'पीढ़ी' में प्रत्यय नहीं लगा है, जबकि लोगों, पशुओं एवं सदस्यों में 'ओ' प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।

45. 'मिल-जुल' समास का विग्रह है - [Rajasthan. TET Exam Ist Paper (I-V), 2012]

Correct Answer: (b) मिल और जुल
Solution:'मिल-जुल' समास का विग्रह 'मिल और जुल' होगा। यह द्वन्द्व समास का उदाहरण है। जहाँ पर दोनों पद प्रधान हों, दोनों संज्ञाएँ अथवा विशेषण हों, वहाँ द्वन्द्व समास होता है। विग्रह करने पर दो पदों के मध्य 'और' अथवा 'या' योजक अव्यय लिखा जाता है।

46. निम्न में अव्यय है - [Rajasthan. TET Exam Ist Paper (I-V), 2012]

Correct Answer: (c) एक
Solution:'एक' अव्यय शब्द है। जिन शब्दों के रूप सदा एक से बने रहते हैं अर्थात् जिनमें लिंग, वचन और कारक से कोई विकार नहीं होता, उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं।

47. हमारा जीवन कब निराशा के अन्धकार से भर जाता है? [PET (Exam) 2022]

निर्देश :- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न 1 से 5) के उत्तर दीजिए।

विचारों का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व होता है। हम जैसे विचार करते हैं, उसी प्रकार की घटनाओं को अपने जीवन में आकर्षित करते हैं। यदि हम उत्साह और आनन्द के विचारों में रहते हैं, तो जीवन में अच्छी घटनाओं को आकर्षित करने लगते हैं और - इसके विपरीत निराशा और चिन्ता के विचार जीवन में दुर्घटनाओं को अपनी ओर खींचते हैं। दूसरी बात विश्वास करने की है। यदि ] हम स्वयं पर या अपने बनाने वाले पर सच्चा सच्चा विश्वास करते हैं, तो स्थिति अलग होती है और यदि हम इस जीवन में नकारात्मक सोच भरते रहते हैं, तो हमारा जीवन निराशा के अन्धकार से भर जाएगा। क्या आपने कभी जीवन में घटने वाली घटनाओं और अपने अन्दर की उस समय की मानसिक विचारात्मक स्थिति का अध्ययन किया है? यदि आप आशा, उत्फुल्लता और आत्मविश्वास की ऊर्जा से ओतप्रोत हैं, तो कार्य-सिद्धि और सफलता के बहुत पास हैं। इसके विपरीत निराशा, कुण्ठा, भय और सन्देह के साथ लिए गए निर्णय सदैव गलत और सफलता के विपरीत होंगे। हमारे अन्दर मनोवेग सर्वदा ही विद्यमान रहते हैं और उन्हीं के कारण हमारी मानसिक स्थिति बदलती रहती है। कुछ मनोवेग; जैसे क्रोध, शोक, चिरकालीन ईर्ष्या, गहरी चिन्ता, भय, निराशा आदि के भाव सदा घातक होते हैं और लम्बे समय तक इनकी तीव्रता हमें शारीरिक, मानसिक ओर भावनात्मक रूप से पंगु बना सकती है। आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, शान्ति, सन्तुष्टि, विश्वास, आनन्द आदि भाव रचनात्मक होते हैं और लम्बे समय तक इनके अभ्यास द्वारा नीरोगता, समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। कई वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा इन तथ्यों की पुष्टि की है। आज हम यदि इन विचारों पर ध्यान देना शुरू कर दें, तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। वेदों में परमात्मा से यही प्रार्थना की गई है "आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।" सभी दिशाओं से नेक विचार मेरी ओर आएँ।

Correct Answer: (c) जब क्रोध, शोक, ईर्ष्या, चिन्ता, भय आदि घातक मनोभाव लम्बे समय तक अपनी तीव्रता से हमें प्रभावित करते हैं।
Solution:जब क्रोध, शोक, ईर्ष्या, चिन्ता, भय आदि घातक मनोभाव लम्बे समय तक अपनी तीव्रता से हमें प्रभावित करते हैं, तब हमारा जीवन अन्धकार से भर जाता है तथा इसकी तीव्रता हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से पंगु बना देती है।

48. प्रिय घटनाओं को अपने जीवन में आकर्षित करने के लिए हमें क्या करना चाहिए? [PET (Exam) 2022]

निर्देश :- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न 1 से 5) के उत्तर दीजिए।

विचारों का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व होता है। हम जैसे विचार करते हैं, उसी प्रकार की घटनाओं को अपने जीवन में आकर्षित करते हैं। यदि हम उत्साह और आनन्द के विचारों में रहते हैं, तो जीवन में अच्छी घटनाओं को आकर्षित करने लगते हैं और - इसके विपरीत निराशा और चिन्ता के विचार जीवन में दुर्घटनाओं को अपनी ओर खींचते हैं। दूसरी बात विश्वास करने की है। यदि ] हम स्वयं पर या अपने बनाने वाले पर सच्चा सच्चा विश्वास करते हैं, तो स्थिति अलग होती है और यदि हम इस जीवन में नकारात्मक सोच भरते रहते हैं, तो हमारा जीवन निराशा के अन्धकार से भर जाएगा। क्या आपने कभी जीवन में घटने वाली घटनाओं और अपने अन्दर की उस समय की मानसिक विचारात्मक स्थिति का अध्ययन किया है? यदि आप आशा, उत्फुल्लता और आत्मविश्वास की ऊर्जा से ओतप्रोत हैं, तो कार्य-सिद्धि और सफलता के बहुत पास हैं। इसके विपरीत निराशा, कुण्ठा, भय और सन्देह के साथ लिए गए निर्णय सदैव गलत और सफलता के विपरीत होंगे। हमारे अन्दर मनोवेग सर्वदा ही विद्यमान रहते हैं और उन्हीं के कारण हमारी मानसिक स्थिति बदलती रहती है। कुछ मनोवेग; जैसे क्रोध, शोक, चिरकालीन ईर्ष्या, गहरी चिन्ता, भय, निराशा आदि के भाव सदा घातक होते हैं और लम्बे समय तक इनकी तीव्रता हमें शारीरिक, मानसिक ओर भावनात्मक रूप से पंगु बना सकती है। आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, शान्ति, सन्तुष्टि, विश्वास, आनन्द आदि भाव रचनात्मक होते हैं और लम्बे समय तक इनके अभ्यास द्वारा नीरोगता, समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। कई वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा इन तथ्यों की पुष्टि की है। आज हम यदि इन विचारों पर ध्यान देना शुरू कर दें, तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। वेदों में परमात्मा से यही प्रार्थना की गई है "आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।" सभी दिशाओं से नेक विचार मेरी ओर आएँ।

Correct Answer: (c) हमारा मनोमस्तिष्क प्रिय विचारों से सदा परिपूरित रहना चाहिए।
Solution:विचारों का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व होता है। हम जैसे विचार करते हैं, उसी प्रकार की घटनाओं को जीवन में आकर्षित करते हैं। प्रिय घटनाओं को अपने जीवन में आकर्षित करने हेतु हमारा मनोमस्तिष्क प्रिय विचारों से सदैव परिपूरित रहना चाहिए।

49. अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में कैसे बदला जा सकता है? [PET (Exam) 2022]

निर्देश :- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न 1 से 5) के उत्तर दीजिए।

विचारों का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व होता है। हम जैसे विचार करते हैं, उसी प्रकार की घटनाओं को अपने जीवन में आकर्षित करते हैं। यदि हम उत्साह और आनन्द के विचारों में रहते हैं, तो जीवन में अच्छी घटनाओं को आकर्षित करने लगते हैं और - इसके विपरीत निराशा और चिन्ता के विचार जीवन में दुर्घटनाओं को अपनी ओर खींचते हैं। दूसरी बात विश्वास करने की है। यदि ] हम स्वयं पर या अपने बनाने वाले पर सच्चा सच्चा विश्वास करते हैं, तो स्थिति अलग होती है और यदि हम इस जीवन में नकारात्मक सोच भरते रहते हैं, तो हमारा जीवन निराशा के अन्धकार से भर जाएगा। क्या आपने कभी जीवन में घटने वाली घटनाओं और अपने अन्दर की उस समय की मानसिक विचारात्मक स्थिति का अध्ययन किया है? यदि आप आशा, उत्फुल्लता और आत्मविश्वास की ऊर्जा से ओतप्रोत हैं, तो कार्य-सिद्धि और सफलता के बहुत पास हैं। इसके विपरीत निराशा, कुण्ठा, भय और सन्देह के साथ लिए गए निर्णय सदैव गलत और सफलता के विपरीत होंगे। हमारे अन्दर मनोवेग सर्वदा ही विद्यमान रहते हैं और उन्हीं के कारण हमारी मानसिक स्थिति बदलती रहती है। कुछ मनोवेग; जैसे क्रोध, शोक, चिरकालीन ईर्ष्या, गहरी चिन्ता, भय, निराशा आदि के भाव सदा घातक होते हैं और लम्बे समय तक इनकी तीव्रता हमें शारीरिक, मानसिक ओर भावनात्मक रूप से पंगु बना सकती है। आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, शान्ति, सन्तुष्टि, विश्वास, आनन्द आदि भाव रचनात्मक होते हैं और लम्बे समय तक इनके अभ्यास द्वारा नीरोगता, समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। कई वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा इन तथ्यों की पुष्टि की है। आज हम यदि इन विचारों पर ध्यान देना शुरू कर दें, तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। वेदों में परमात्मा से यही प्रार्थना की गई है "आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।" सभी दिशाओं से नेक विचार मेरी ओर आएँ।

Correct Answer: (c) अपने मस्तिष्क के विचारों पर ध्यान देकर लगातार रचनात्मक विचारों द्वारा।
Solution:आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, शान्ति, सन्तुष्टि, विश्वास, आनन्द आदि भाव रचनात्मक होते हैं और लम्बे समय तक इनके अभ्यास द्वारा नीरोगता, समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। कई वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा इन तथ्यों की पुष्टि की है। अपने मस्तिष्क के विचारों पर ध्यान देकर लगातार रचनात्मक विचारों द्वारा दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। हिन्E PRE DESPLE

50. निम्नलिखित में किस वर्ग के सभी भाव रचनात्मक हैं? [PET (Exam) 2022]

निर्देश :- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न 1 से 5) के उत्तर दीजिए।

विचारों का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व होता है। हम जैसे विचार करते हैं, उसी प्रकार की घटनाओं को अपने जीवन में आकर्षित करते हैं। यदि हम उत्साह और आनन्द के विचारों में रहते हैं, तो जीवन में अच्छी घटनाओं को आकर्षित करने लगते हैं और - इसके विपरीत निराशा और चिन्ता के विचार जीवन में दुर्घटनाओं को अपनी ओर खींचते हैं। दूसरी बात विश्वास करने की है। यदि ] हम स्वयं पर या अपने बनाने वाले पर सच्चा सच्चा विश्वास करते हैं, तो स्थिति अलग होती है और यदि हम इस जीवन में नकारात्मक सोच भरते रहते हैं, तो हमारा जीवन निराशा के अन्धकार से भर जाएगा। क्या आपने कभी जीवन में घटने वाली घटनाओं और अपने अन्दर की उस समय की मानसिक विचारात्मक स्थिति का अध्ययन किया है? यदि आप आशा, उत्फुल्लता और आत्मविश्वास की ऊर्जा से ओतप्रोत हैं, तो कार्य-सिद्धि और सफलता के बहुत पास हैं। इसके विपरीत निराशा, कुण्ठा, भय और सन्देह के साथ लिए गए निर्णय सदैव गलत और सफलता के विपरीत होंगे। हमारे अन्दर मनोवेग सर्वदा ही विद्यमान रहते हैं और उन्हीं के कारण हमारी मानसिक स्थिति बदलती रहती है। कुछ मनोवेग; जैसे क्रोध, शोक, चिरकालीन ईर्ष्या, गहरी चिन्ता, भय, निराशा आदि के भाव सदा घातक होते हैं और लम्बे समय तक इनकी तीव्रता हमें शारीरिक, मानसिक ओर भावनात्मक रूप से पंगु बना सकती है। आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, शान्ति, सन्तुष्टि, विश्वास, आनन्द आदि भाव रचनात्मक होते हैं और लम्बे समय तक इनके अभ्यास द्वारा नीरोगता, समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। कई वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा इन तथ्यों की पुष्टि की है। आज हम यदि इन विचारों पर ध्यान देना शुरू कर दें, तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। वेदों में परमात्मा से यही प्रार्थना की गई है "आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।" सभी दिशाओं से नेक विचार मेरी ओर आएँ।

Correct Answer: (d) आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, सन्तुष्टि, आत्मविश्वास
Solution:आशा, उत्फुल्लता, प्रसन्नता, मुस्कान, निश्चिन्तता, सन्तुष्टि, आत्मविश्वास आदि भाव रचनात्मक हैं।