अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-5)

Total Questions: 48

41. "नारी तू नारायणी" की सही व्याख्या क्या है? [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (II)]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश (प्रश्न संख्या 1-4) को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

प्राचीन काल में नारी का स्थान समाज में अग्रगण्य था। ऐसा कहा जाता था कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है। मध्य भारत के काल से नारी का पतन शुरू हुआ। मध्यकाल तक तो नारी दासी या गुलाम बन गई। चारदीवार में कैद हो गई। किन्तु 19वीं शताब्दी में राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती आदि समाज-सुधारकों ने नारी जगत की काया पलट दी। नारी, उत्थान की ओर बढ़ती गई। आज आधुनिक नारी ने जमीन से लेकर आसमान में अपना कब्जा जमाया है, 'नारी तू नारायणी' उक्ति को सिद्ध कर दिया है। वास्तव में देखा जाए तो नर और नारी एक रथ के दो पहिए हैं। रथ को सुयोग्य ढंग से  चलाने के लिए दोनों में सन्तुलन चाहिए। शिक्षित नारी परिवार की उद्धारक है। प्रत्येक घर में नारी का सम्मान होना चाहिए। समाज में प्रचलित कुप्रथाओं से लड़ना अनिवार्य है। नारी ने अपना स्थान जो प्राप्त किया है, उसे मजबूत बनाने के लिए नर और नारी दोनों को तत्पर रहना चाहिए।

Correct Answer: (a) नारी, नारायणी की तरह पूजनीय है।
Solution:"नारी तू नारायणी" की सही व्याख्या है कि नारी, नारायणी की तरह पूजनीय है।

42. देश का उद्धार कैसे होगा? [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (II)]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश (प्रश्न संख्या 1-4) को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

प्राचीन काल में नारी का स्थान समाज में अग्रगण्य था। ऐसा कहा जाता था कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है। मध्य भारत के काल से नारी का पतन शुरू हुआ। मध्यकाल तक तो नारी दासी या गुलाम बन गई। चारदीवार में कैद हो गई। किन्तु 19वीं शताब्दी में राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती आदि समाज-सुधारकों ने नारी जगत की काया पलट दी। नारी, उत्थान की ओर बढ़ती गई। आज आधुनिक नारी ने जमीन से लेकर आसमान में अपना कब्जा जमाया है,'नारी तू नारायणी' उक्ति को सिद्ध कर दिया है। वास्तव में देखा जाए तो नर और नारी एक रथ के दो पहिए हैं। रथ को सुयोग्य ढंग से  चलाने के लिए दोनों में सन्तुलन चाहिए। शिक्षित नारी परिवार की उद्धारक है। प्रत्येक घर में नारी का सम्मान होना चाहिए। समाज में प्रचलित कुप्रथाओं से लड़ना अनिवार्य है। नारी ने अपना स्थान जो प्राप्त किया है, उसे मजबूत बनाने के लिए नर और नारी दोनों को तत्पर रहना चाहिए।

Correct Answer: (c) नारी को समान स्थान देने से
Solution:नारी को समान स्थान देने से देश का उद्धार होगा।

43. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा- [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (II)]

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश (प्रश्न संख्या 1-4) को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।

प्राचीन काल में नारी का स्थान समाज में अग्रगण्य था। ऐसा कहा जाता था कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है। मध्य भारत के काल से नारी का पतन शुरू हुआ। मध्यकाल तक तो नारी दासी या गुलाम बन गई। चारदीवार में कैद हो गई। किन्तु 19वीं शताब्दी में राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती आदि समाज-सुधारकों ने नारी जगत की काया पलट दी। नारी, उत्थान की ओर बढ़ती गई। आज आधुनिक नारी ने जमीन से लेकर आसमान में अपना कब्जा जमाया है, 'नारी तू नारायणी' उक्ति को सिद्ध कर दिया है। वास्तव में देखा जाए तो नर और नारी एक रथ के दो पहिए हैं। रथ को सुयोग्य ढंग से  चलाने के लिए दोनों में सन्तुलन चाहिए। शिक्षित नारी परिवार की उद्धारक है। प्रत्येक घर में नारी का सम्मान होना चाहिए। समाज में प्रचलित कुप्रथाओं से लड़ना अनिवार्य है। नारी ने अपना स्थान जो प्राप्त किया है, उसे मजबूत बनाने के लिए नर और नारी दोनों को तत्पर रहना चाहिए।

Correct Answer: (b) नारी तू नारायणी
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा' नारी तू नारायणी'।

44. प्रेम की भाषा है- [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (1-5) के उत्तर दीजिए।

प्रेम की भाषा शब्द-रहित है। नेत्रों की, कपालों की, मस्तक की भाषा भी शब्द-रहित है। जीवन का तत्त्व भी शब्द से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अचल-स्थिति-संयुक्त आचरण न तो साहित्य के लम्बे व्याख्यानों से गठा जा सकता है या न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से या न अंजील से या न कुरान से या न धर्मचर्चा से या न केवल सत्संग से। जीवन के अरण्य में घुसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनुष्य के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से सुनार के छोटे हथौड़े की मन्द-मन्द चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।

Correct Answer: (d) शब्द - रहित
Solution:गद्यांश की प्रथम पंक्ति में उल्लिखित है कि प्रेम की भाषा शब्द-रहित है।

45. 'अरण्य' का शाब्दिक अर्थ होता है- [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (1-5) के उत्तर दीजिए।

प्रेम की भाषा शब्द-रहित है। नेत्रों की, कपालों की, मस्तक की भाषा भी शब्द-रहित है। जीवन का तत्त्व भी शब्द से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अचल-स्थिति-संयुक्त आचरण न तो साहित्य के लम्बे व्याख्यानों से गठा जा सकता है या न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से या न अंजील से या न कुरान से या न धर्मचर्चा से या न केवल सत्संग से। जीवन के अरण्य में घुसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनुष्य के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से सुनार के छोटे हथौड़े की मन्द-मन्द चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।

Correct Answer: (b) जंगल
Solution:'अरण्य' का शाब्दिक अर्थ 'जंगल' होता है।

46. 'यत्न' से आशय है- [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (1-5) के उत्तर दीजिए।

प्रेम की भाषा शब्द-रहित है। नेत्रों की, कपालों की, मस्तक की भाषा भी शब्द-रहित है। जीवन का तत्त्व भी शब्द से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अचल-स्थिति-संयुक्त आचरण न तो साहित्य के लम्बे व्याख्यानों से गठा जा सकता है या न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से या न अंजील से या न कुरान से या न धर्मचर्चा से या न केवल सत्संग से। जीवन के अरण्य में घुसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनुष्य के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से सुनार के छोटे हथौड़े की मन्द-मन्द चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।

Correct Answer: (c) प्रयास
Solution:'यत्न' का आशय 'प्रयास' है।

47. गद्यांश में किसकी महिमा का वर्णन है? [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (1-5) के उत्तर दीजिए।

प्रेम की भाषा शब्द-रहित है। नेत्रों की, कपालों की, मस्तक की भाषा भी शब्द-रहित है। जीवन का तत्त्व भी शब्द से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अचल-स्थिति-संयुक्त आचरण न तो साहित्य के लम्बे व्याख्यानों से गठा जा सकता है या न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से या न अंजील से या न कुरान से या न धर्मचर्चा से या न केवल सत्संग से। जीवन के अरण्य में घुसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनुष्य के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से सुनार के छोटे हथौड़े की मन्द-मन्द चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।

Correct Answer: (a) आचरण
Solution:गद्यांश में आचरण की महिमा का वर्णन है।

48. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा- [UPSSSC युवा कल्याण एवं विकास दल अधिकारी परीक्षा, 2018 (I)]

निर्देश :- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (1-5) के उत्तर दीजिए।

प्रेम की भाषा शब्द-रहित है। नेत्रों की, कपालों की, मस्तक की भाषा भी शब्द-रहित है। जीवन का तत्त्व भी शब्द से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अचल-स्थिति-संयुक्त आचरण न तो साहित्य के लम्बे व्याख्यानों से गठा जा सकता है या न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से या न अंजील से या न कुरान से या न धर्मचर्चा से या न केवल सत्संग से। जीवन के अरण्य में घुसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनुष्य के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से सुनार के छोटे हथौड़े की मन्द-मन्द चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।

Correct Answer: (c) सच्चा आचरण
Solution:गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'सच्चा आचरण' होगा।