निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश (प्रश्न संख्या 1-4) को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिए।
प्राचीन काल में नारी का स्थान समाज में अग्रगण्य था। ऐसा कहा जाता था कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है। मध्य भारत के काल से नारी का पतन शुरू हुआ। मध्यकाल तक तो नारी दासी या गुलाम बन गई। चारदीवार में कैद हो गई। किन्तु 19वीं शताब्दी में राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती आदि समाज-सुधारकों ने नारी जगत की काया पलट दी। नारी, उत्थान की ओर बढ़ती गई। आज आधुनिक नारी ने जमीन से लेकर आसमान में अपना कब्जा जमाया है, 'नारी तू नारायणी' उक्ति को सिद्ध कर दिया है। वास्तव में देखा जाए तो नर और नारी एक रथ के दो पहिए हैं। रथ को सुयोग्य ढंग से चलाने के लिए दोनों में सन्तुलन चाहिए। शिक्षित नारी परिवार की उद्धारक है। प्रत्येक घर में नारी का सम्मान होना चाहिए। समाज में प्रचलित कुप्रथाओं से लड़ना अनिवार्य है। नारी ने अपना स्थान जो प्राप्त किया है, उसे मजबूत बनाने के लिए नर और नारी दोनों को तत्पर रहना चाहिए।
Correct Answer: (a) नारी, नारायणी की तरह पूजनीय है।
Solution:"नारी तू नारायणी" की सही व्याख्या है कि नारी, नारायणी की तरह पूजनीय है।