अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश (Part-6)

Total Questions: 41

31. 'सूखे पत्ते' प्रतीक हैं.. [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2016]

निर्देशः- काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

आज बरसों बाद उठी है इच्छा

हम कुछ कर दिखाएँ

एक अनोखा जश्न मनाएँ

अपना कोरा अस्तित्व जमाएँ

आज बरसों बाद सूखे पत्तों पर

बसन्त ऋतु आई है

विचार रूपी कलियों पर

बहार खिल आई है

गहनता की फसल लहलहाई है

शायद इसी कारण

आज बरसों बाद

उठी है इच्छा हम कुछ कर दिखाएँ

अपना कोरा अस्तित्व जमाएँ।

Correct Answer: (c) मन के सूनेपन के
Solution:'सूखे पत्ते' मन के सूनेपन के प्रतीक हैं।

32. 'गहनता की फसल' से कवि का क्या आशय है? [UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा, 2016]

निर्देशः- काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

आज बरसों बाद उठी है इच्छा

हम कुछ कर दिखाएँ

एक अनोखा जश्न मनाएँ

अपना कोरा अस्तित्व जमाएँ

आज बरसों बाद सूखे पत्तों पर

बसन्त ऋतु आई है

विचार रूपी कलियों पर

बहार खिल आई है

गहनता की फसल लहलहाई है

शायद इसी कारण

आज बरसों बाद

उठी है इच्छा हम कुछ कर दिखाएँ

अपना कोरा अस्तित्व जमाएँ।

Correct Answer: (a) विचारों में परिपक्वता
Solution:'गहनता की फसल\' से कवि का आशय है- 'विचारों में परिपक्वता ।

33. कवि किसका महत्त्व नहीं समझ पाया था? [UPSSSC आबकारी सिपाही (प्रथम पाली) परीक्षा, 2016]

निर्देशः- काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

ओह, समय पर उसमें कितनी फलियाँ फूटी !

कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,

यह, धरती कितना देती है! धरती माता

कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को !

न समझ पाया था मैं उसके महत्त्व को,

बचपन में निःस्वार्थ लोभ वश पैसे बोकर !

रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ!

इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं,

इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं,

जिससे उगल सके फिर धूल सुनहली फसलें

मानवता की जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ।

हम जैसा बोएँगे वैसा ही पाएँगे।

Correct Answer: (b) धरती माँ का
Solution:कवि धरती माँ का महत्त्व नहीं समझ पाया था।

34. कवि ने बचपन में किस भाव से पैसे बोए थे? [UPSSSC आबकारी सिपाही (प्रथम पाली) परीक्षा, 2016]

निर्देशः- काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

ओह, समय पर उसमें कितनी फलियाँ फूटी !

कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,

यह, धरती कितना देती है! धरती माता

कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को !

न समझ पाया था मैं उसके महत्त्व को,

बचपन में निःस्वार्थ लोभ वश पैसे बोकर !

रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ!

इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं,

इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं,

जिससे उगल सके फिर धूल सुनहली फसलें

मानवता की जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ।

हम जैसा बोएँगे वैसा ही पाएँगे।

Correct Answer: (c) स्वार्थ एवं लोभ से
Solution:कवि ने बचपन में स्वार्थ एवं लोभ भाव से पैसे बोए थे।

35. मानवता की सुनहली फसलें कब उगेंगी? [UPSSSC आबकारी सिपाही (प्रथम पाली) परीक्षा, 2016]

निर्देशः- काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

ओह, समय पर उसमें कितनी फलियाँ फूटी !

कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,

यह, धरती कितना देती है! धरती माता

कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को !

न समझ पाया था मैं उसके महत्त्व को,

बचपन में निःस्वार्थ लोभ वश पैसे बोकर !

रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ!

इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं,

इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं,

जिससे उगल सके फिर धूल सुनहली फसलें

मानवता की जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ।

हम जैसा बोएँगे वैसा ही पाएँगे।

Correct Answer: (b) जब समता और क्षमता के बीज बोए जाएँगे
Solution:जब समता और क्षमता के बीज बोए जाएँगे तब मानवता की सुनहली फसलें उगेंगी।

36. 'धरती कितना देती है' का आशय है- [UPSSSC आबकारी सिपाही (प्रथम पाली) परीक्षा, 2016]

निर्देशः- काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (1-4) के उत्तर दीजिए।

ओह, समय पर उसमें कितनी फलियाँ फूटी !

कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,

यह, धरती कितना देती है! धरती माता

कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को !

न समझ पाया था मैं उसके महत्त्व को,

बचपन में निःस्वार्थ लोभ वश पैसे बोकर !

रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ!

इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं,

इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं,

जिससे उगल सके फिर धूल सुनहली फसलें

मानवता की जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ।

हम जैसा बोएँगे वैसा ही पाएँगे।

Correct Answer: (c) बहुत अधिक देती है।
Solution:'धरती कितना देती है' का आशय है- बहुत अधिक देती है।

37. कवि क्या करने की प्रेरणा दे रहा है? [UPSSSC ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा, 2016]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-5) - काव्यांश को पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ठोकर मार, पटक मत माथा

तेरी राह रोकते पाहन

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ले-देकर जीना, क्या जीना ?

कब तक गम के आँसू पीना ?

मानवता ने तुझको सींचा

बहा युगों तक खून पसीना !

Correct Answer: (c) रुकावटों को ठोकर मारने की
Solution:प्रस्तुत काव्यांश में कवि रुकावटों को ठोकर मारकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है।

38. कवि के अनुसार, किस प्रकार का जीवन व्यर्थ है? [UPSSSC ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा, 2016]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-5) - काव्यांश को पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ठोकर मार, पटक मत माथा

तेरी राह रोकते पाहन

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ले-देकर जीना, क्या जीना ?

कब तक गम के आँसू पीना ?

मानवता ने तुझको सींचा

बहा युगों तक खून पसीना !

Correct Answer: (b) समझौतावादी
Solution:प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने 'ले-देकर जीना, क्या जीना ?' कहा है जिसका अर्थ है- समझौतावादी जीवन व्यर्थ है।

39. इन पंक्तियों में कायर का अर्थ है- [UPSSSC ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा, 2016]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-5) - काव्यांश को पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ठोकर मार, पटक मत माथा

तेरी राह रोकते पाहन

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ले-देकर जीना, क्या जीना ?

कब तक गम के आँसू पीना ?

मानवता ने तुझको सींचा

बहा युगों तक खून पसीना !

Correct Answer: (b) समझौतावादी
Solution:प्रस्तुत पंक्तियों में कायर का अर्थ समझौतावादी है।

40. पाहून शब्द का पर्यायवाची है [UPSSSC ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा, 2016]

निर्देश :- (प्रश्न संख्या 1-5) - काव्यांश को पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ठोकर मार, पटक मत माथा

तेरी राह रोकते पाहन

कुछ भी बन, बस कायर मत बन

ले-देकर जीना, क्या जीना ?

कब तक गम के आँसू पीना ?

मानवता ने तुझको सींचा

बहा युगों तक खून पसीना !

Correct Answer: (c) पत्थर
Solution:पत्थर, प्रस्तर, पाषाण इत्यादि पाहन के पर्यायवाची हैं। पैर का पर्यायवाची चरण तथा पाद और पर्वत के पर्यायवाची गिरि तथा शैल हैं।