अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश

अपठित गद्यांश/अवतरण

Total Questions: 51

21. 'कार्यप्रणाली में पारदर्शिता' का तात्पर्य है- [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं- सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर-निगम का सफाईकर्मी, बस कंडक्टर, स्कूल-अध्यापक, हमारा सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग। शिक्षा, वेतन, परम्परागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग निम्न स्तर पर कार्य करते हैं, तो कुछ उच्च स्तर पर। एक माली के कार्य को सरकारी कार्यालय के किसी सचिव के कार्य से अति निम्न स्तर का माना जाता है, किन्तु यदि वही अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करता है, तो उसका कार्य सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है, जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह नहीं करता। क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता।

 

Correct Answer: (b) काम करने के ढंग में बरती गई कुशलता
Solution:दिए गए गद्यांश के आधार पर कार्यप्रणाली में पारदर्शिता का तात्पर्य है- काम या कार्य करने के ढंग में बरती गई कुशलता।

22. एक माली का कार्य सरकारी सचिव के कार्य से भी बेहतर है, यदि- [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं- सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर-निगम का सफाईकर्मी, बस कंडक्टर, स्कूल-अध्यापक, हमारा सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग। शिक्षा, वेतन, परम्परागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग निम्न स्तर पर कार्य करते हैं, तो कुछ उच्च स्तर पर। एक माली के कार्य को सरकारी कार्यालय के किसी सचिव के कार्य से अति निम्न स्तर का माना जाता है, किन्तु यदि वही अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करता है, तो उसका कार्य सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है, जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह नहीं करता। क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता।

 

Correct Answer: (c) माली अपने काम को कुशलता से करे, किन्तु सचिव ढिलाई बरते।
Solution:एक माली का कार्य सरकारी सचिव के कार्य से भी बेहतर है, यदि माली अपने काम या कार्य को कुशलता से करे, किन्तु सचिव ढिलाई बरते।

23. उपयुक्त शीर्षक छाँटिए। [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं- सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर-निगम का सफाईकर्मी, बस कंडक्टर, स्कूल-अध्यापक, हमारा सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग। शिक्षा, वेतन, परम्परागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग निम्न स्तर पर कार्य करते हैं, तो कुछ उच्च स्तर पर। एक माली के कार्य को सरकारी कार्यालय के किसी सचिव के कार्य से अति निम्न स्तर का माना जाता है, किन्तु यदि वही अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करता है, तो उसका कार्य सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है, जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह नहीं करता। क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता।

 

Correct Answer: (a) कर्मनिष्ठा की महिमा
Solution:ऊपर्युक्त गद्यांश का सही शीर्षक है- कर्मनिष्ठा की महिमा। वस्तुतः सम्पूर्ण गद्यांश में कार्य में निष्ठा की व्याख्या की गई है।

24. सरल वाक्य बनाइए। "दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं।" [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं- सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर-निगम का सफाईकर्मी, बस कंडक्टर, स्कूल-अध्यापक, हमारा सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग। शिक्षा, वेतन, परम्परागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग निम्न स्तर पर कार्य करते हैं, तो कुछ उच्च स्तर पर। एक माली के कार्य को सरकारी कार्यालय के किसी सचिव के कार्य से अति निम्न स्तर का माना जाता है, किन्तु यदि वही अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करता है, तो उसका कार्य सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है, जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह नहीं करता। क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता।

 

Correct Answer: (c) दैनिक जीवन में हम विभिन्न प्रकार के काम करने वाले लोगों से मिलते हैं।
Solution:"दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं, जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं।" इस वाक्य से बनाया जाने वाला सरल वाक्य इस प्रकार होगा- "दैनिक जीवन में हम विभिन्न प्रकार के काम करने वाले लोगों से मिलते हैं।"

25. 'बेहतर' शब्द के लिए पर्यायवाची शब्द क्या होगा ? [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल निरस्त परीक्षा, 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं- सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर-निगम का सफाईकर्मी, बस कंडक्टर, स्कूल-अध्यापक, हमारा सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग। शिक्षा, वेतन, परम्परागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग निम्न स्तर पर कार्य करते हैं, तो कुछ उच्च स्तर पर। एक माली के कार्य को सरकारी कार्यालय के किसी सचिव के कार्य से अति निम्न स्तर का माना जाता है, किन्तु यदि वही अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करता है, तो उसका कार्य सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है, जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह नहीं करता। क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता।

 

Correct Answer: (b) ज्यादा अच्छा
Solution:'बेहतर' शब्द का सही पर्यायवाची शब्द दिए गए विकल्पों में से 'ज्यादा अच्छा' शब्द है। शेष विकल्प इस सन्दर्भ में सही नहीं हैं।

26. भारतीय लेखकों की किस्मत खराब है, क्योंकि- [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल (निरस्त परीक्षा), 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

भारत भयंकर अँग्रेज़ी-मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है। इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती, जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तन्त्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं है, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इण्डोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है, क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यन्त सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती। हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अँग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अँग्रे. जी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

 

Correct Answer: (b) वे अपनी बात भारतीय शिक्षित पाठकों तक पहुँचा नहीं पाते।
Solution:दिए गए गद्यांश के आधार पर भारतीय लेखकों की किस्मत खराब है, क्योंकि वे अपनी बात भारतीय शिक्षित पाठकों तक पहुँचा नहीं पाते हैं।

27. उपयुक्त शीर्षक दीजिए - [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल (निरस्त परीक्षा), 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

भारत भयंकर अँग्रेज़ी-मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है। इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती, जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तन्त्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं है, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इण्डोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है, क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यन्त सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती। हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अँग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अँग्रे. जी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

 

Correct Answer: (b) भारतीय शिक्षितों का अँग्रेज़ी-मोह
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है- भारतीय शिक्षितों का अँग्रेजी मोह जो, इसी गद्यांश की प्रथम पंक्ति में ही स्पष्ट कर दिया गया है।

28. भारत का सुशिक्षित समाज कौन-सा साहित्य पढ़कर सन्तुष्ट हो जाता है? [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल (निरस्त परीक्षा), 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

भारत भयंकर अँग्रेज़ी-मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है। इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती, जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तन्त्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं है, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इण्डोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है, क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यन्त सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती। हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अँग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अँग्रे. जी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

 

Correct Answer: (c) अँग्रेज़ी
Solution:भारत का सुशिक्षित समाज अँग्रेजी साहित्य पढ़कर सन्तुष्ट हो जाता है। गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि भारत भयंकर अँग्रे. जी-मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है।

29. भारतीय भाषाओं के साहित्य के प्रति समाज के किस वर्ग में अरुचि की भावना है? [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल (निरस्त परीक्षा), 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

भारत भयंकर अँग्रेज़ी-मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है। इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती, जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तन्त्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं है, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इण्डोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है, क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यन्त सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती। हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अँग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अँग्रे. जी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

 

Correct Answer: (c) सुशिक्षित
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर भारतीय भाषाओं के साहित्य के प्रति समाज के सुशिक्षित वर्ग में अरुचि की भावना है, क्योंकि यह वर्ग अँग्रेज़ी साहित्य के मोह में लिप्त है।

30. भारतीय भाषाओं के लेखक अमेरिकी, यूरोपीय तथा चीन, बर्मा, जापान के लेखकों से भी हीन हैं, क्योंकि - [उ.प्र. पुलिस कांस्टेबिल (निरस्त परीक्षा), 2024]

निर्देशः- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र.सं. 1-5)

भारत भयंकर अँग्रेज़ी-मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है। इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती, जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तन्त्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं है, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इण्डोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है, क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यन्त सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती। हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अँग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अँग्रे. जी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

 

Correct Answer: (a) उनके साहित्य को भारत के सुशिक्षित लोग नहीं पढ़ते।
Solution:भारतीय भाषाओं के लेखक अमेरिकी, यूरोपीय तथा चीन, बर्मा, जापान के लेखकों से भी हीन हैं, क्योंकि उनके साहित्य को भारत के सुशिक्षित लोग नहीं पढ़ते हैं।