प्र.सं. 1 से 5 गद्यांश प्रश्न
ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर सबसे पहले वह व उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरम्भ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि, अगर वे निन्दा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनक स्थान कहाँ होता।
Correct Answer: (d) अधिक खर्च
Solution:'अपव्यय' का अर्थ अधिक खर्च करना होता है। अपव्यय का ठीक विपरीतार्थक शब्द मितव्यय होता है।