अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश

अपठित गद्यांश/अवतरण

Total Questions: 51

31. 'अपव्यय' का क्या अर्थ होता है? [UPP, 23 अगस्त 2024-I]

प्र.सं. 1 से 5 गद्यांश प्रश्न

ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर सबसे पहले वह व उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरम्भ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि, अगर वे निन्दा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनक स्थान कहाँ होता।

Correct Answer: (d) अधिक खर्च
Solution:'अपव्यय' का अर्थ अधिक खर्च करना होता है। अपव्यय का ठीक विपरीतार्थक शब्द मितव्यय होता है।

32. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा? [UPP, 23 अगस्त 2024-I]

प्र.सं. 1 से 5 गद्यांश प्रश्न

ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर सबसे पहले वह व उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरम्भ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि, अगर वे निन्दा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनक स्थान कहाँ होता।

Correct Answer: (a) निन्दा
Solution:उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'निन्दा' होगा; क्योंकि सम्पूर्ण # गद्यांश में इसी की व्याप्ति है। गद्यांश की अन्तिम पंक्ति में इसे स्पष्ट भी किया गया है।

33. ईर्ष्या का काम है- [UPP, 23 अगस्त 2024-I]

प्र.सं. 1 से 5 गद्यांश प्रश्न

ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर सबसे पहले वह व उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरम्भ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि, अगर वे निन्दा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनक स्थान कहाँ होता।

Correct Answer: (a) जलाना
Solution:उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, ईर्ष्या का काम जलाना है। गद्यांश की प्रथम पंक्ति में इसे स्पष्ट भी किया गया है।

34. गद्यांश में ईर्ष्यालु व्यक्तियों की - [UPP, 23 अगस्त 2024-I]

प्र.सं. 1 से 5 गद्यांश प्रश्न

ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर सबसे पहले वह व उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरम्भ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि, अगर वे निन्दा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनक स्थान कहाँ होता।

Correct Answer: (c) खिल्ली उड़ाई गई है।
Solution:उपर्युक्त गद्यांश में ईर्ष्यालु व्यक्तियों की खिल्ली उड़ाई गई है।

35. गद्यांश में प्रयुक्त 'ध्येय' का क्या अर्थ है? [UPP, 23 अगस्त 2024-I]

प्र.सं. 1 से 5 गद्यांश प्रश्न

ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर सबसे पहले वह व उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरम्भ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं। यह भी कि, अगर वे निन्दा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनक स्थान कहाँ होता।

Correct Answer: (c) लक्ष्य
Solution:उपर्युक्त गद्यांश में प्रयुक्त 'ध्येय' शब्द का अर्थ लक्ष्य है। गद्यांश में वर्णित है कि "मानो विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो।

36. लोग आश्चर्यविमूढ़ क्यों होते हैं? [BPSC स्कूल टीचर परीक्षा, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

आदर्श व्यक्ति सद्कर्मों में आस्था रखता है। इसी में वह अपने जीवन की सार्थकता समझता है। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सङ्कर्म में ही व्यतीत होता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित् समय रहता है। वह शेष समय समाज के उत्थान में लगाता है। उसके जीवन में आलस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। विपत्तियों में भी वह अपने चरित्र का सच्चा परिचय देता है। धैर्यरूपी कुदाल से वह बड़े-बड़े संकटरूपी पर्वतों को निर्मूल कर देता है। उसकी कार्यकुशलता देखकर लोग आश्चर्यविमूढ़ हो जाते हैं। वह परिस्थितियों का दास नहीं होता, परिस्थितियाँ उसकी दासी होती हैं। इस अर्थ में उसका चरित्र प्रशंसनीय होता है कि वह धैर्य से अपने सारे संकट दूर करता है।

Correct Answer: (a) आदर्श व्यक्ति की कार्यकुशलता देखकर
Solution:दिए गए गद्यांश के आधार पर लोग आदर्श व्यक्ति की कार्यकुशलता देखकर आश्चर्यविमूढ़ होते हैं। आदर्श व्यक्ति धैर्यरूपी कुदाल से बड़े-बड़े संकटरूपी पर्वतों को निर्मूल कर देता है।

37. किस अर्थ में आदर्श व्यक्ति का चरित्र प्रशंसनीय होता है? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

आदर्श व्यक्ति सद्कर्मों में आस्था रखता है। इसी में वह अपने जीवन की सार्थकता समझता है। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सङ्कर्म में ही व्यतीत होता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित् समय रहता है। वह शेष समय समाज के उत्थान में लगाता है। उसके जीवन में आलस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। विपत्तियों में भी वह अपने चरित्र का सच्चा परिचय देता है। धैर्यरूपी कुदाल से वह बड़े-बड़े संकटरूपी पर्वतों को निर्मूल कर देता है। उसकी कार्यकुशलता देखकर लोग आश्चर्यविमूढ़ हो जाते हैं। वह परिस्थितियों का दास नहीं होता, परिस्थितियाँ उसकी दासी होती हैं। इस अर्थ में उसका चरित्र प्रशंसनीय होता है कि वह धैर्य से अपने सारे संकट दूर करता है।

Correct Answer: (b) वह धैर्य से संकट को दूर करता है
Solution:दिए गए गद्यांश के आधार पर आदर्श व्यक्ति की कार्यकुशलता देखकर लोग आश्चर्यविमूढ़ हो जाते हैं। वह परिस्थितियों का दास नहीं होता, परिस्थितियाँ उसकी दासी होती हैं। इस प्रकार आदर्श व्यक्ति धैर्य से संकट को दूर करता है। अतः उसका चरित्र प्रशंसनीय होता है।

38. प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

आदर्श व्यक्ति सद्कर्मों में आस्था रखता है। इसी में वह अपने जीवन की सार्थकता समझता है। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सङ्कर्म में ही व्यतीत होता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित् समय रहता है। वह शेष समय समाज के उत्थान में लगाता है। उसके जीवन में आलस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। विपत्तियों में भी वह अपने चरित्र का सच्चा परिचय देता है। धैर्यरूपी कुदाल से वह बड़े-बड़े संकटरूपी पर्वतों को निर्मूल कर देता है। उसकी कार्यकुशलता देखकर लोग आश्चर्यविमूढ़ हो जाते हैं। वह परिस्थितियों का दास नहीं होता, परिस्थितियाँ उसकी दासी होती हैं। इस अर्थ में उसका चरित्र प्रशंसनीय होता है कि वह धैर्य से अपने सारे संकट दूर करता है।

Correct Answer: (a) आदर्श व्यक्ति
Solution:प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'आदर्श व्यक्ति' है। वस्तुतः गद्यांश के प्रारम्भ, मध्य तथा अन्त में एक आदर्श व्यक्ति के गुणों का परिचय दिया गया है।

39. आदर्श व्यक्ति के जीवन में किसके लिए स्थान नहीं होता? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

आदर्श व्यक्ति सद्कर्मों में आस्था रखता है। इसी में वह अपने जीवन की सार्थकता समझता है। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सङ्कर्म में ही व्यतीत होता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित् समय रहता है। वह शेष समय समाज के उत्थान में लगाता है। उसके जीवन में आलस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। विपत्तियों में भी वह अपने चरित्र का सच्चा परिचय देता है। धैर्यरूपी कुदाल से वह बड़े-बड़े संकटरूपी पर्वतों को निर्मूल कर देता है। उसकी कार्यकुशलता देखकर लोग आश्चर्यविमूढ़ हो जाते हैं। वह परिस्थितियों का दास नहीं होता, परिस्थितियाँ उसकी दासी होती हैं। इस अर्थ में उसका चरित्र प्रशंसनीय होता है कि वह धैर्य से अपने सारे संकट दूर करता है।

Correct Answer: (a) आलस्य के लिए
Solution:दिए गए गद्यांश के आधार पर आदर्श व्यक्ति के जीवन का प्रत्येक क्षण सद्कर्म में ही व्यतीत होता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित् समय होता है, जबकि उसके जीवन में आलस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता है।

40. आदर्श व्यक्ति किसमें आस्था रखता है? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

आदर्श व्यक्ति सद्कर्मों में आस्था रखता है। इसी में वह अपने जीवन की सार्थकता समझता है। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सङ्कर्म में ही व्यतीत होता है। विश्राम और विनोद के लिए उसके पास निश्चित् समय रहता है। वह शेष समय समाज के उत्थान में लगाता है। उसके जीवन में आलस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। विपत्तियों में भी वह अपने चरित्र का सच्चा परिचय देता है। धैर्यरूपी कुदाल से वह बड़े-बड़े संकटरूपी पर्वतों को निर्मूल कर देता है। उसकी कार्यकुशलता देखकर लोग आश्चर्यविमूढ़ हो जाते हैं। वह परिस्थितियों का दास नहीं होता, परिस्थितियाँ उसकी दासी होती हैं। इस अर्थ में उसका चरित्र प्रशंसनीय होता है कि वह धैर्य से अपने सारे संकट दूर करता है।

Correct Answer: (b) सङ्कर्म में
Solution:आदर्श व्यक्ति सद्‌कर्मों में आस्था रखता है। इसी में वह अपने जीवन की सार्थकता समझता है तथा उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सङ्कर्म में ही व्यतीत होता है।