अपठित गद्यांश (अवतरण)/पद्यांश

अपठित गद्यांश/अवतरण

Total Questions: 51

41. स्वास्थ्य का सहोदर है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक): निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

स्वास्थ्य और चरित्र एक-दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े होते हैं। वही व्यक्ति स्वस्थ होता है, जिसके चरित्र में आत्मसंयम हो। चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। आत्मसंयम को चरित्र की सीढ़ी कहा गया है। इसी सीढ़ी के माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास की यात्रा तय करता है। व्यायाम को स्वास्थ्य का सहोदर कहा गया है। यही किसी व्यक्ति की काया और चित्त को निर्मल और नीरुज (रोगरहित) बनाता है। चरित्र की रक्षा का अर्थ है- काया और चित्त को विभिन्न दूषणों से मुक्त करना।

 

Correct Answer: (a) व्यायाम
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, व्यायाम स्वास्थ्य का सहोदर है। वस्तुतः व्यायाम किसी व्यक्ति की काया और चित्त को निर्मल और रोगरहित बनाता है।

42. स्वस्थ व्यक्ति का लक्षण है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक): निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

स्वास्थ्य और चरित्र एक-दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े होते हैं। वही व्यक्ति स्वस्थ होता है, जिसके चरित्र में आत्मसंयम हो। चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। आत्मसंयम को चरित्र की सीढ़ी कहा गया है। इसी सीढ़ी के माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास की यात्रा तय करता है। व्यायाम को स्वास्थ्य का सहोदर कहा गया है। यही किसी व्यक्ति की काया और चित्त को निर्मल और नीरुज (रोगरहित) बनाता है। चरित्र की रक्षा का अर्थ है- काया और चित्त को विभिन्न दूषणों से मुक्त करना।

 

Correct Answer: (c) आत्मसंयम
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, वही व्यक्ति स्वस्थ होता है, जिसके चरित्र में आत्मसंयम हो। चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। अतः आत्मसंयम को चरित्र की सीढ़ी कहा गया है।

43. किसी व्यक्ति का विकास किस पर आश्रित है? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक): निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

स्वास्थ्य और चरित्र एक-दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े होते हैं। वही व्यक्ति स्वस्थ होता है, जिसके चरित्र में आत्मसंयम हो। चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। आत्मसंयम को चरित्र की सीढ़ी कहा गया है। इसी सीढ़ी के माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास की यात्रा तय करता है। व्यायाम को स्वास्थ्य का सहोदर कहा गया है। यही किसी व्यक्ति की काया और चित्त को निर्मल और नीरुज (रोगरहित) बनाता है। चरित्र की रक्षा का अर्थ है- काया और चित्त को विभिन्न दूषणों से मुक्त करना।

 

Correct Answer: (a) आत्मसंयम
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, किसी व्यक्ति का विकास आत्मसंयम पर आश्रित है। आत्मसंयम चरित्र की सीढ़ी है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास की यात्रा तय करता है।

44. व्यक्ति के पतन का कारण है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक): निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

स्वास्थ्य और चरित्र एक-दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े होते हैं। वही व्यक्ति स्वस्थ होता है, जिसके चरित्र में आत्मसंयम हो। चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। आत्मसंयम को चरित्र की सीढ़ी कहा गया है। इसी सीढ़ी के माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास की यात्रा तय करता है। व्यायाम को स्वास्थ्य का सहोदर कहा गया है। यही किसी व्यक्ति की काया और चित्त को निर्मल और नीरुज (रोगरहित) बनाता है। चरित्र की रक्षा का अर्थ है- काया और चित्त को विभिन्न दूषणों से मुक्त करना।

 

Correct Answer: (b) चारित्रिक दोष
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। आत्मसंयम चरित्र की सीढ़ी है, इसी के माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास करता है। इस प्रकार व्यक्ति के पतन का कारण 'चारित्रिक दोष' है।

45. विभिन्न दूषणों से मुक्त होने का अर्थ है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- (प्रश्न संख्या 1 से 5 तक): निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर चिह्नित कीजिए।

स्वास्थ्य और चरित्र एक-दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े होते हैं। वही व्यक्ति स्वस्थ होता है, जिसके चरित्र में आत्मसंयम हो। चारित्रिक दूषण व्यक्ति के पतन का कारण होता है। आत्मसंयम को चरित्र की सीढ़ी कहा गया है। इसी सीढ़ी के माध्यम से कोई व्यक्ति उत्तरोत्तर विकास की यात्रा तय करता है। व्यायाम को स्वास्थ्य का सहोदर कहा गया है। यही किसी व्यक्ति की काया और चित्त को निर्मल और नीरुज (रोगरहित) बनाता है। चरित्र की रक्षा का अर्थ है- काया और चित्त को विभिन्न दूषणों से मुक्त करना।

 

Correct Answer: (c) चरित्र की रक्षा
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, चरित्र की रक्षा का अर्थ है- काया और चित्त को विभिन्न दूषणों से मुक्त करना। इस प्रकार विभिन्न दूषणों से मुक्त होने का अर्थ चरित्र की रक्षा करना है।

46. मनुष्य का जीवन श्रेष्ठ क्यों माना जाता है? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों (1-6) के उत्तर दीजिए।

मनुष्य का जीवन संसार के छोटे-बड़े प्राणियों और पदार्थों में श्रेष्ठ माना गया है। वह इसलिए कि मनुष्य बड़ा बुद्धिमान और कल्पनाशील प्राणी है। अपने विचारों के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता है और बहुत ऊँचा उठ सकता है। परन्तु विचार सच्चे, सादे और पवित्र होने के साथ-साथ मनुष्य के व्यावहारिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाले होने चाहिए। इन्हीं बातों को आधार बनाकर 'सादा जीवन उच्च विचार' को मानव-जीवन की सफलता की सीढ़ी माना गया है। सादगी मनुष्य के पहनावे से नहीं, बल्कि उसके प्रत्येक हाव-भाव, विचार तथा जीवन के ढंग से टपकनी चाहिए। यही वास्तविक सादगी है, जो विचारों को भी उच्च बनाकर सब प्रकार की उन्नति और विकास का कारण बनती है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि आरम्भ से ही सादगी पसन्द व्यक्ति ही जनता को उच्च विचार देकर उन्नति और विकास की राह प्रशस्त करते आ रहे हैं। महात्मा बुद्ध, सन्त कबीर, गुरु नानक, महात्मा गाँधी, डॉ. राधाकृष्णन, विनोबा भावे आदि इस तथ्य के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

Correct Answer: (b) क्योंकि वह बुद्धिमान और कल्पनाशील है
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, मनुष्य का जीवन संसार के छोटे-बड़े प्राणियों और पदार्थों में श्रेष्ठ माना गया है। वह इसलिए कि मनुष्य बड़ा बुद्धिमान और कल्पनाशील प्राणी है।

47. उन्नति करने के लिए मनुष्य के विचार कैसे होने चाहिए? [School BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों (1-6) के उत्तर दीजिए।

मनुष्य का जीवन संसार के छोटे-बड़े प्राणियों और पदार्थों में श्रेष्ठ माना गया है। वह इसलिए कि मनुष्य बड़ा बुद्धिमान और कल्पनाशील प्राणी है। अपने विचारों के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता है और बहुत ऊँचा उठ सकता है। परन्तु विचार सच्चे, सादे और पवित्र होने के साथ-साथ मनुष्य के व्यावहारिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाले होने चाहिए। इन्हीं बातों को आधार बनाकर 'सादा जीवन उच्च विचार' को मानव-जीवन की सफलता की सीढ़ी माना गया है। सादगी मनुष्य के पहनावे से नहीं, बल्कि उसके प्रत्येक हाव-भाव, विचार तथा जीवन के ढंग से टपकनी चाहिए। यही वास्तविक सादगी है, जो विचारों को भी उच्च बनाकर सब प्रकार की उन्नति और विकास का कारण बनती है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि आरम्भ से ही सादगी पसन्द व्यक्ति ही जनता को उच्च विचार देकर उन्नति और विकास की राह प्रशस्त करते आ रहे हैं। महात्मा बुद्ध, सन्त कबीर, गुरु नानक, महात्मा गाँधी, डॉ. राधाकृष्णन, विनोबा भावे आदि इस तथ्य के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

Correct Answer: (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, उन्नति करने के लिए मनुष्य के विचार सादगीयुक्त होने चाहिए। यही वास्तविक सादगी है, जो विचारों को भी उच्च बनाकर सब प्रकार की उन्नति का कारण बनती है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि आरम्भसे ही सादगी पसन्द व्यक्ति ही जनता को उच्च विचार देकर उन्नति और विकास की राह प्रशस्त करते आ रहे हैं।

48. वास्तविक सादगी क्या है? [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों (1-6) के उत्तर दीजिए।

मनुष्य का जीवन संसार के छोटे-बड़े प्राणियों और पदार्थों में श्रेष्ठ माना गया है। वह इसलिए कि मनुष्य बड़ा बुद्धिमान और कल्पनाशील प्राणी है। अपने विचारों के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता है और बहुत ऊँचा उठ सकता है। परन्तु विचार सच्चे, सादे और पवित्र होने के साथ-साथ मनुष्य के व्यावहारिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाले होने चाहिए। इन्हीं बातों को आधार बनाकर 'सादा जीवन उच्च विचार' को मानव-जीवन की सफलता की सीढ़ी माना गया है। सादगी मनुष्य के पहनावे से नहीं, बल्कि उसके प्रत्येक हाव-भाव, विचार तथा जीवन के ढंग से टपकनी चाहिए। यही वास्तविक सादगी है, जो विचारों को भी उच्च बनाकर सब प्रकार की उन्नति और विकास का कारण बनती है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि आरम्भ से ही सादगी पसन्द व्यक्ति ही जनता को उच्च विचार देकर उन्नति और विकास की राह प्रशस्त करते आ रहे हैं। महात्मा बुद्ध, सन्त कबीर, गुरु नानक, महात्मा गाँधी, डॉ. राधाकृष्णन, विनोबा भावे आदि इस तथ्य के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

Correct Answer: (a) वैचारिक और व्यावहारिक
Solution:दिए गए गद्यांश के अनुसार, वास्तविक सादगी वैचारिक और व्यावहारिक होती है। सादगी मनुष्य के पहनावे से नहीं, बल्कि उसके हाव-भाव, विचार तथा जीवन के ढंग से टपकनी चाहिए।

49. 'उन्नति' शब्द का उचित विलोम शब्द है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों (1-6) के उत्तर दीजिए।

मनुष्य का जीवन संसार के छोटे-बड़े प्राणियों और पदार्थों में श्रेष्ठ माना गया है। वह इसलिए कि मनुष्य बड़ा बुद्धिमान और कल्पनाशील प्राणी है। अपने विचारों के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता है और बहुत ऊँचा उठ सकता है। परन्तु विचार सच्चे, सादे और पवित्र होने के साथ-साथ मनुष्य के व्यावहारिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाले होने चाहिए। इन्हीं बातों को आधार बनाकर 'सादा जीवन उच्च विचार' को मानव-जीवन की सफलता की सीढ़ी माना गया है। सादगी मनुष्य के पहनावे से नहीं, बल्कि उसके प्रत्येक हाव-भाव, विचार तथा जीवन के ढंग से टपकनी चाहिए। यही वास्तविक सादगी है, जो विचारों को भी उच्च बनाकर सब प्रकार की उन्नति और विकास का कारण बनती है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि आरम्भ से ही सादगी पसन्द व्यक्ति ही जनता को उच्च विचार देकर उन्नति और विकास की राह प्रशस्त करते आ रहे हैं। महात्मा बुद्ध, सन्त कबीर, गुरु नानक, महात्मा गाँधी, डॉ. राधाकृष्णन, विनोबा भावे आदि इस तथ्य के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

Correct Answer: (c) अवनति
Solution:उन्नति शब्द का उचित विलोम दिए गए विकल्पों के आधार पर अवनति है। प्रोन्नति तथा पदोन्नति प्रायः समानार्थी शब्द हैं।

50. 'महान् है जो आत्मा' का समास है- [BPSC School Teacher Exam, 2024]

निर्देशः- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों (1-6) के उत्तर दीजिए।

मनुष्य का जीवन संसार के छोटे-बड़े प्राणियों और पदार्थों में श्रेष्ठ माना गया है। वह इसलिए कि मनुष्य बड़ा बुद्धिमान और कल्पनाशील प्राणी है। अपने विचारों के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता है और बहुत ऊँचा उठ सकता है। परन्तु विचार सच्चे, सादे और पवित्र होने के साथ-साथ मनुष्य के व्यावहारिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाले होने चाहिए। इन्हीं बातों को आधार बनाकर 'सादा जीवन उच्च विचार' को मानव-जीवन की सफलता की सीढ़ी माना गया है। सादगी मनुष्य के पहनावे से नहीं, बल्कि उसके प्रत्येक हाव-भाव, विचार तथा जीवन के ढंग से टपकनी चाहिए। यही वास्तविक सादगी है, जो विचारों को भी उच्च बनाकर सब प्रकार की उन्नति और विकास का कारण बनती है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि आरम्भ से ही सादगी पसन्द व्यक्ति ही जनता को उच्च विचार देकर उन्नति और विकास की राह प्रशस्त करते आ रहे हैं। महात्मा बुद्ध, सन्त कबीर, गुरु नानक, महात्मा गाँधी, डॉ. राधाकृष्णन, विनोबा भावे आदि इस तथ्य के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

Correct Answer: (a) कर्मधारय समास
Solution:'महान् है जो आत्मा' हेतु सामासिक शब्द है- महात्मा। यह कर्मधारय समास का उदाहरण है। महान् (विशेषण) आत्मा (विशेष्य) = महात्मा होता है। वस्तुतः कर्मधारय समास में-

विशेषण + विशेष्य सम्बन्ध (काली मिर्च काली + मिर्च),

विशेष्य + विशेषण सम्बन्ध (देशान्तर- देश अन्तर),

विशेष्य + विशेष्य सम्बन्ध (विद्याधन विद्या धन) तथा विशेष्य + विशेष्य अथवा उपमान + उपमेय सम्बन्ध (चन्द्रमुख चन्द्र + मुख) पाए जाते हैं।