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चलि रघुवीर सिली-मुख धारी।'
सिली-मुख में अलंकार है-
रनित भृंग-घण्टावली झरित दान-मधुनीरू। मन्द-मन्द आवतु चल्यौ कुंजरु-कुंज-समीरू ।।