Solution:'श्लेष' अलंकार के दो भेद होते हैं- सभंग श्लेष तथा अभंग श्लेष ।'सभंग श्लेष' में शब्द को भंग कर अर्थात् शब्द के टुकड़े करते हुए अर्थ ज्ञात किए जाते हैं। जैसे-
'को घटि ये वृषभानुषा, ये हलधर के बीर'
यहाँ वृषभानुषा का अर्थ वृषभानु जा राधा
वृषभ + अनुजा = बैल की बहन गाय है।
'अभंग श्लेष' में शब्दों के बिना टुकड़े के ही अन्य अर्थ प्राप्त किए जाते हैं। जैसे- 'पानी गये न ऊबरे मोती मानुष चून' यहाँ पानी का तीन अर्थ है- चमक, प्रतिष्ठा, तथा जल।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
श्लेष का अर्थ चिपकना, मिलना, या संयोग होना है। वस्तुतः जहाँ एक शब्द के साथ अनेक अर्थ चिपके रहते हैं, वहाँ 'श्लेष अलंकार' होता है।
'श्लेष' अलंकार 'शब्दालंकार' के अन्तर्गत आता है।