आधुनिक भारतीय इतिहास (Part-I)

Total Questions: 52

1. वास्कोडिगामा भारत कब आया था? [M.P.P.C.S. (Pre) 1995]

Correct Answer: (c) 1498
Solution:मध्यकाल में सर्वप्रथम भारत से संबंध स्थापित करने वाले पुर्तगीज थे। प्रथम पुर्तगीज वास्कोडिगामा भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बंदरगाह कालीकट पर 20 मई, 1498 को पहुंचा। उसने यहां पहुंचकर भारत के नए समुद्री मार्ग की खोज की। कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन (जमोरिन कालीकट के शासकों की पैतृक उपाधि) ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया। पुर्तगाली व्यापारियों ने भारत में कालीकट, गोवा, दमन, दीव एवं हुगली के बंदरगाहों में अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित कीं। 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अल्मीडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया। व्यापारिक हितों के परिप्रेक्ष्य में हिंद महासागर में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अल्मीडा ने 'ब्लू वाटर पॉलिसी' (Blue water Policy) 'अर्थात 'नीला जल की नीति' का प्रतिपादन किया था।

2. ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रारंभिक दौर में वेस्टर्न प्रेसीडेंसी कहां: [M.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (a) सूरत
Solution:ईस्ट इंडिया कंपनी ने आरंभ में सूरत को अपनी वेस्टर्न प्रेसीडेंसी बनाया था, बाद में यह बॉम्बे स्थानांतरित कर दी गई।

3. ईस्ट इंडिया कंपनी के किस अंग्रेज गवर्नर को औरंगजेब द्वारा भारत से निष्कासित किया गया? [M.P.P.C.S. (Pre) 2008]

Correct Answer: (b) सर जॉन चाइल्ड
Solution:बंबई के अंग्रेज गवर्नर जॉन चाइल्ड ने 1688 ई. में बंबई और पश्चिमी समुद्र तट के मुगल बंदरगाहों का घेरा डाला तथा मक्का जाने वाले हज यात्रियों को बंदी बनाने का प्रयास किया। फलस्वरूप उसे औरंगजेब ने भारत से निष्कासित करने का आदेश दिया था। मुगल शासक औरंगजेब के सामने उसे विवश होना पड़ा और अंततः उसे माफी मांगनी पड़ी |

4. निम्नलिखित में से कौन-सा युद्ध था, जिसने भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व को प्रारंभ किया? [M.P.P.C.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (b) प्लासी का युद्ध
Solution:भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व का प्रारंभ प्लासी के युद्ध से हुआ। प्लासी के युद्ध (23 जून, 1757) में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित किया। नवाब की सेना तीन राजद्रोहियों मीरजाफर, यार लतीफ और राय दुर्लभ के सेना नायकत्व में थी। नवाब की एक अग्रगामी टुकड़ी के नेता मीर मदन तथा मोहनलाल थे। सहसा एक गोली से रणभूमि में ही मीर मदन मारा गया। नवाब सिराजुद्दौला द्वारा अपने प्रमुख अधिकारियों से मंत्रणा के दौरान मीरजाफर ने उसे पीछे हटने को कहा तथा यह भी कहा कि नवाब को सेना का नेतृत्व सेनाध्यक्षों के हाथों में छोड़ युद्ध क्षेत्र से चले जाना चाहिए। सिराजुद्दौला वापस मुर्शिदाबाद लौट गया। यही उसकी हार का कारण बना। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणिज्यिक लाभ प्रदान किए। इसने कृषि उत्पादन और दस्तकारियों के क्षेत्र में अग्रणी तीन राज्यों-बिहार, बंगाल और उड़ीसा में राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए पृष्ठभूमि तैयार की। इस युद्ध ने वस्तुतः भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डाली तथा इसे भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली निर्णायक सफलता माना जाता है, जबकि सर्वाधिक निर्णायक युद्ध बक्सर का युद्ध (1764 ई.) था, जिसने भारत में वास्तविक रूप से ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की।

5. इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत में प्रथम निर्णायक सैन्य सफलता मानी जाती है- [M.P.P.C.S. (Pre) 2008]

Correct Answer: (b) प्लासी का युद्ध
Solution:भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व का प्रारंभ प्लासी के युद्ध से हुआ। प्लासी के युद्ध (23 जून, 1757) में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित किया। नवाब की सेना तीन राजद्रोहियों मीरजाफर, यार लतीफ और राय दुर्लभ के सेना नायकत्व में थी। नवाब की एक अग्रगामी टुकड़ी के नेता मीर मदन तथा मोहनलाल थे। सहसा एक गोली से रणभूमि में ही मीर मदन मारा गया। नवाब सिराजुद्दौला द्वारा अपने प्रमुख अधिकारियों से मंत्रणा के दौरान मीरजाफर ने उसे पीछे हटने को कहा तथा यह भी कहा कि नवाब को सेना का नेतृत्व सेनाध्यक्षों के हाथों में छोड़ युद्ध क्षेत्र से चले जाना चाहिए। सिराजुद्दौला वापस मुर्शिदाबाद लौट गया। यही उसकी हार का कारण बना। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणिज्यिक लाभ प्रदान किए। इसने कृषि उत्पादन और दस्तकारियों के क्षेत्र में अग्रणी तीन राज्यों-बिहार, बंगाल और उड़ीसा में राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए पृष्ठभूमि तैयार की। इस युद्ध ने वस्तुतः भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डाली तथा इसे भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली निर्णायक सफलता माना जाता है, जबकि सर्वाधिक निर्णायक युद्ध बक्सर का युद्ध (1764 ई.) था, जिसने भारत में वास्तविक रूप से ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की।

6. प्लासी का युद्ध लड़ा गया था, वर्ष- [M.P.P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (b) 1757 में
Solution:भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व का प्रारंभ प्लासी के युद्ध से हुआ। प्लासी के युद्ध (23 जून, 1757) में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित किया। नवाब की सेना तीन राजद्रोहियों मीरजाफर, यार लतीफ और राय दुर्लभ के सेना नायकत्व में थी। नवाब की एक अग्रगामी टुकड़ी के नेता मीर मदन तथा मोहनलाल थे। सहसा एक गोली से रणभूमि में ही मीर मदन मारा गया। नवाब सिराजुद्दौला द्वारा अपने प्रमुख अधिकारियों से मंत्रणा के दौरान मीरजाफर ने उसे पीछे हटने को कहा तथा यह भी कहा कि नवाब को सेना का नेतृत्व सेनाध्यक्षों के हाथों में छोड़ युद्ध क्षेत्र से चले जाना चाहिए। सिराजुद्दौला वापस मुर्शिदाबाद लौट गया। यही उसकी हार का कारण बना। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणिज्यिक लाभ प्रदान किए। इसने कृषि उत्पादन और दस्तकारियों के क्षेत्र में अग्रणी तीन राज्यों-बिहार, बंगाल और उड़ीसा में राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए पृष्ठभूमि तैयार की। इस युद्ध ने वस्तुतः भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डाली तथा इसे भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली निर्णायक सफलता माना जाता है, जबकि सर्वाधिक निर्णायक युद्ध बक्सर का युद्ध (1764 ई.) था, जिसने भारत में वास्तविक रूप से ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की।

7. भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व का प्रारंभ प्लासी के युद्ध से हुआ। प्लासी के युद्ध (23 जून, 1757) में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित किया। नवाब की सेना तीन राजद्रोहियों मीरजाफर, यार लतीफ और राय दुर्लभ के सेना नायकत्व में थी। नवाब की एक अग्रगामी टुकड़ी के नेता मीर मदन तथा मोहनलाल थे। सहसा एक गोली से रणभूमि में ही मीर मदन मारा गया। नवाब सिराजुद्दौला द्वारा अपने प्रमुख अधिकारियों से मंत्रणा के दौरान मीरजाफर ने उसे पीछे हटने को कहा तथा यह भी कहा कि नवाब को सेना का नेतृत्व सेनाध्यक्षों के हाथों में छोड़ युद्ध क्षेत्र से चले जाना चाहिए। सिराजुद्दौला वापस मुर्शिदाबाद लौट गया। यही उसकी हार का कारण बना। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणिज्यिक लाभ प्रदान किए। इसने कृषि उत्पादन और दस्तकारियों के क्षेत्र में अग्रणी तीन राज्यों-बिहार, बंगाल और उड़ीसा में राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए पृष्ठभूमि तैयार की। इस युद्ध ने वस्तुतः भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डाली तथा इसे भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली निर्णायक सफलता माना जाता है, जबकि सर्वाधिक निर्णायक युद्ध बक्सर का युद्ध (1764 ई.) था, जिसने भारत में वास्तविक रूप से ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की। [M.P.P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (d) शाहआलम द्वितीय
Solution:22/23 अक्टूबर, 1764 को अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में परास्त किया। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। इस युद्ध के परिणाम ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी, भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। इलाहाबाद तक का प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया तथा दिल्ली विजय का मार्ग खुल गया। बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुआ। पी.ई. रॉबर्ट्स ने बक्सर के युद्ध के बारे में कहा है कि "प्लासी की अपेक्षा बक्सर को भारत में अंग्रेजी प्रभुता की जन्मभूमि मानना कहीं अधिक उपयुक्त है।" यदि बक्सर के युद्ध के परिणाम को देखा जाए, तो कहा जा सकता है कि जहां प्लासी की विजय अंग्रेजों की कूटनीति

का परिणाम थी, वहीं बक्सर की विजय को इतिहासकारों ने पूर्णतः सैनिक विजय बताया। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों की प्रभुता बंगाल में स्थापित की, परंतु बक्सर के युद्ध ने कंपनी को एक अखिल भारतीय शक्ति का रूप दे दिया।

8. टीपू सुल्तान अंग्रेजों के साथ युद्ध में कब मारे गए?

Correct Answer: (b) 1799
Solution:टीपू सुल्तान चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. के दौरान अंग्रेजों से लड़ते हुए मारा गया।

9. रणजीत सिंह का संबंध किस मिसल से था? [M.P.P.C.S. (Pre), 2021]

Correct Answer: (d) शुकरचकिया
Solution:रणजीत सिंह का संबंध सुकरचकिया/शुकरचकिया मिसल से था। आधुनिक पंजाब के निर्माण का श्रेय शुकरचकिया मिसल को दिया जाता है।

10. किस गवर्नर जनरल पर महाभियोग का मुकदमा चलाया गया? [M.P.P.C.S. (Pre) 1992]

Correct Answer: (a) वॉरेन हेस्टिंग्स
Solution:वॉरेन हेस्टिंग्स के अन्यायपूर्ण तथा निरंकुश कार्यों के कारण उस पर महाभियोग का मुकदमा चलाया गया, किंतु ब्रिटिश संसद ने उसकी सेवाओं को देखते हुए उसे सभी दोषों से मुक्त कर दिया। यह भी कहा गया कि वॉरेन हेस्टिंग्स ने यह सब कुछ साम्राज्य के हित के लिए किया न कि अपने लिए। वॉरेन हेस्टिंग्स पर लगे महाभियोग के बारे में विद्वानों के मत भिन्न हैं, किंतु वी.ए. स्मिथ का निर्णय अधिक मान्य है। वह लिखते हैं कि "उसके थोड़े से दोष जहां तक वे वास्तव में दोष थे, उस राजनीतिज्ञ के दोष थे जिस पर सहसा ही संकट आ पड़ा हो तथा जिस पर इतनी कठिन उलझनें आ पड़ी हों कि कभी-कभी मानवीय समझ में भूल-चूक हो जानी आवश्यक ही थी।"