आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास (UPPCS)

Total Questions: 37

1. भारत में अंग्रेजों ने प्रथम मदरसा कहां स्थापित किया था? [U.P.P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (d) कलकत्ता में
Solution:1780 ई. में वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) ने कलकत्ता में मदरसा की स्थापना की थी।

2. 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल' के संस्थापक थे- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999 & U.P. P.C.S. (Mains) 2006 & Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003 & U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]

Correct Answer: (a) सर विलियम जोंस
Solution:1784 ई. में हेस्टिंग्स के सहयोगी सर विलियम जोंस ने 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल' की स्थापना की, ताकि एशिया के सामाजिक तथा प्राकृतिक इतिहास, पुरातत्व संबंधी कला, विज्ञान तथा साहित्य का अध्ययन किया जा सके। 1791 ई. में बनारस के ब्रिटिश रेजिडेंट जोनाथन डंकन के प्रयत्नों के फलस्वरूप बनारस में एक (प्रथम) संस्कृत कॉलेज खोला गया।

3. वाराणसी में प्रथम संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना किसने की थी? [Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006]

Correct Answer: (a) जोनाथन डंकन
Solution:1784 ई. में हेस्टिंग्स के सहयोगी सर विलियम जोंस ने 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल' की स्थापना की, ताकि एशिया के सामाजिक तथा प्राकृतिक इतिहास, पुरातत्व संबंधी कला, विज्ञान तथा साहित्य का अध्ययन किया जा सके। 1791 ई. में बनारस के ब्रिटिश रेजिडेंट जोनाथन डंकन के प्रयत्नों के फलस्वरूप बनारस में एक (प्रथम) संस्कृत कॉलेज खोला गया।

4. कथन (A) : बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना वॉरेन हेस्टिंग्स के काल में हुई थी और उसने सर विलियम जोंस के पक्ष में उक्त विद्वत संस्था की अध्यक्षता का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था। [U.P.P.C.S. (Pre) 2019]

कारण (R) : वॉरेन हेस्टिंग्स स्वयं एक उद्भट विद्वान तथा प्राच्य विद्या का प्रखर समर्थक था जो संस्कृत, फारसी व अरबी के अध्ययन को प्रोत्साहित करता था।

नीचे दिए कूटों में से सही उत्तर चुनिए -

कूट :

Correct Answer: (a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
Solution:वॉरेन हेस्टिंग्स 1774-85 ई. के दौरान बंगाल का गवर्नर जनरल था। वह स्वयं एक उद्भट विद्वान तथा प्राच्य विद्या का प्रखर समर्थक था, जो संस्कृत, फारसी और अरबी के अध्ययन को प्रोत्साहित करता था। उसके सहयोग और समर्थन से ही 1784 ई. में बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना हुई थी, तथापि उसने सर विलियम जोंस के पक्ष में इस संस्था की अध्यक्षता का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था। चार्ल्स विल्किंस, नथानियल हैल्हेड, जोनाथन डंकन आदि ने वॉरेन हेस्टिंग्स के प्रश्रय और समर्थन के तहत ही प्राच्य विद्या के अध्ययन में योगदान दिया था। चार्ल्स विल्किंस द्वारा किए गए 'भगवद्गीता' के अंग्रेजी अनुवाद की प्रस्तावना वॉरेन हेस्टिंग्स ने ही लिखी थी। प्रश्नानुसार कथन में दो बातों का जिक्र है- (1) एशियाटिक सोसायटी की स्थापना और (2) वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा विलियम जोंस के पक्ष में इसकी अध्यक्षता स्वीकार न करना। वहीं कारण में उसका स्वयं विद्वान होना तथा प्राच्य विद्या के अध्ययन को प्रोत्साहित करना वर्णित है। यहां प्राच्य विद्या के अध्ययन को प्रोत्साहन कथन की दोनों बातों का कारण होना पुष्ट करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रश्नगत कथन और कारण दोनों सही हैं तथा कारण, कथन की सही व्याख्या है। आयोग ने इस प्रश्न का उत्तर (b) दिया है, जो उचित नहीं है। इसका सही उत्तर (a) होना चाहिए।

5. निम्नलिखित में से किसे पेरिस की रॉयल एशियाटिक सोसाइटी की सदस्यता प्रदान की गई थी? [U.P. P.C.S. (Mains) 2007]

Correct Answer: (b) माइकल मधुसूदन दत्त
Solution:पेरिस की रॉयल एशियाटिक सोसाइटी की सदस्यता माइकल मधुसूदन दत्त को प्रदान की गई थी। La Societe Asiatique (द एशियन सोसाइटी) की स्थापना 1822 ई. में की गई थी, 1829 ई. शाही फरमान द्वारा इसकी स्थापना की पुष्टि कर दी गई थी।

6. निम्नलिखित अंग्रेजों में से कौन था, जिसने सर्वप्रथम 'भगवद्गीता' का अंग्रेजी में अनुवाद किया था? [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (b) चार्ल्स विल्किंस
Solution:वॉरेन हेस्टिंग्स के काल में चार्ल्स विल्किंस ने 'भगवद्गीता' का प्रथम आंग्ल अनुवाद किया, जिसकी प्रस्तावना स्वयं वॉरेन हेस्टिंग्स ने लिखी।

7. निम्नलिखित में से किसने कालिदास की प्रसिद्ध रचना 'शकुंतला' का पहली बार अंग्रेजी में अनुवाद किया था? [U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]

Correct Answer: (d) सर विलियम जोंस ने
Solution:सर विलियम जोंस वॉरेन हेस्टिंग्स के समय कलकत्ता उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। इनकी प्रेरणा पर 1784 ई. में एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना हुई एवं ये स्वयं इसके सभापति नियुक्त हुए। इस संस्था ने 'एशियाटिक रिसर्चेज' नामक पत्रिका के माध्यम से भारत के अतीत को प्रकाश में लाने का कार्य किया। इसी क्रम में इन्होंने 1789 ई. में कालिदास रचित 'अभिज्ञानशाकुंतलम' का अंग्ग्रेजी में अनुवाद किया एवं इसके पांच संस्करण प्रकाशित किए।

8. स्वतंत्रता-पूर्व अवधि में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में आधुनिक शिक्षा के प्रसार का मुख्य उद्देश्य था- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (a) छोटे प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति हेतु शिक्षित भारतीयों की आवश्यकता
Solution:ब्रिटिश राज द्वारा भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार करवाने के पीछे मुख्य कारण था, प्रशासन का खर्च कम करने की चिंता। इसके लिए सरकार शिक्षित भारतीयों की संख्या बढ़ाना चाहती थी, जिससे प्रशासन और ब्रिटिश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की छोटे कर्मचारियों की और बढ़ती हुई जरूरतों को पूरा किया जा सके।

9. ब्रिटिश सरकार के किस अधिनियम ने सबसे पहली बार भारत में शिक्षा के लिए एक लाख रुपये दिए थे? [U.P. P.C.S. (Mains) 2009]

Correct Answer: (b) चार्टर अधिनियम, 1813
Solution:1813 के चार्टर अधिनियम के तहत कंपनी ने पहली बार शिक्षा के प्रति सरकारी उत्तरदायित्व उठाया। प्रतिवर्ष शिक्षा के लिए एक लाख रुपये खर्च करने की व्यवस्था इस अधिनियम ने की थी।

10. वुड डिस्पैच के बारे में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सत्य हैं? [I.A.S. (Pre) 2018]

1. सहायता अनुदान व्यवस्था (ग्रांट्स-इन-एड) शुरू की गई।

2. विश्वविद्यालयों की स्थापना की सिफारिश की गई।

3. शिक्षा के सभी स्तरों पर शिक्षण माध्यम के रूप में अंग्रेजी की सिफारिश की गई।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (a) केवल 1 और 2
Solution:'वुड डिस्पैच या वुड घोषणा-पत्र' (Wood's Dispatch) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अध्यक्ष चार्ल्स वुड द्वारा 1854 ई. में जारी किया गया था। इस घोषणा-पत्र में भारतीय शिक्षा पर एक व्यापक योजना प्रस्तुत की गई थी। इस घोषणा-पत्र में शिक्षा के उद्देश्य, माध्यम, सुधारों आदि पर विचार किया गया था। इस घोषणा-पत्र को 'भारत में अंग्रेजी शिक्षा का मैग्नाकार्टा' भी कहा जाता है। प्रस्ताव में सरकार ने पाश्चात्य शिक्षा के प्रसार को अपना उद्देश्य बनाया। उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा के माध्यम से दिए जाने पर बल दिया गया; परंतु साथ ही देशी भाषा के विकास को भी महत्व दिया गया। इस घोषणा-पत्र के अनुसार, 'लंदन विश्वविद्यालय' के आधार पर कलकत्ता, बंबई एवं मद्रास प्रेसीडेंसी में एक - एक विश्वविद्यालय की स्थापना की व्यवस्था की जाए। इसमें इस बात पर बल दिया गया कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में दी जाने वाली शिक्षा धर्मनिरपेक्ष हो। शिक्षा के क्षेत्र में निजी प्रयत्नों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान सहायता (Grant- in-aid) की पद्धति चलाने की सिफारिश भी इसमें की गई।