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योजना आयोग के स्थान पर स्थापित नीति (NITI) आयोग का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। वर्तमान में नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
सातवीं पंचवर्षीय योजना के बाद वर्ष 1990-91 और 1991- 92 को वार्षिक योजना के रूप में लागू किया गया था, जिसे द्विवार्षिक योजना कहा जाता है। इसका कारण काफी हद तक आर्थिक स्थिरता थी। आठवीं पंचवर्षीय योजना वर्ष 1992 में शुरू की गई थी।
तीसरी पंचवर्षीय योजना - गाडगिल योजना
चौथी पंचवर्षीय योजना - सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लक्ष्य
प्रथम पंचवर्षीय योजना - कृषि विकास
दूसरी पंचवर्षीय योजना - नेहरू-महालनोबिस मॉडल
योजना आयोग 2011-12 के अनुसार, राज्यवार गरीबी अनुपात छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 39.93% है, जिसके बाद झारखंड में 36.96%, मणिपुर 36.89% का स्थान था।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85) को दो बार लांच किया गया था। पहली बार जनता पार्टी सरकार द्वारा और दूसरी बार कांग्रेस पार्टी की सरकार द्वारा। इसका उद्देश्य तीव्र औद्योगिक विकास, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास करना था।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में समावेशी विकास की अवधारणा को शामिल करते हुए 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का लक्ष्य तथा गरीबी को 10 प्रतिशत अंक कम करने का लक्ष्य रखा गया था। साथ ही साक्षरता में लैंगिक अंतर को 10 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया था।
चौथी पंचवर्षीय योजना वर्ष 1969 से 1974 तक लागू थी। इस योजना के शैक्षिक उद्देश्य बहुआयामी थे और उसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना था। स्थिरता और आत्मनिर्भरता की प्रगतिशील उपलब्धि के साथ विकास पर जोर दिया गया। यह योजना असफल रही और 5.7% के लक्ष्य की तुलना में केवल 3.3% की वृद्धि दर हासिल कर पाई।
भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के लक्ष्य थे-विकास, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता तथा समानता।
भारत से पहले, 'सोवियत संघ' ने नीति निर्माण उद्देश्यों के लिए पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की थी।
भारत में अधिकांश पंचवर्षीय योजनाओं में निजी क्षेत्र उद्यमिता का व्यापक संवर्धन करने में वरीयता दी गई। पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार करने का कार्य योजना आयोग नामक संस्था द्वारा किया जाता था।