आर्थिक महत्व

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1. 'कंचन' एक उन्नत किस्म है- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) आंवला का
Solution:आंवला (Indian Gooseberry) के फल ओषधीय गुणों से युक्त होते हैं। इसमें विटामिन C प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कंचन (Kanchan), कृष्णा (Krishna), बनारसी (Banarasi) आदि इसकी उन्नत किस्में हैं।

2. आम की नीलम एवं अल्फांसों के मध्य क्रास से किस संकर किस्म के फल का विकास होता है? [M.P.P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (c) रत्ना
Solution:

आम का वानस्पतिक नाम मैंजीफेरा इंडिका (Mangifera indica) है। इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल्स, विटामिन एवं एंटीआक्सिडेंट पाया जाता है। हापुस, दशहरी, लंगड़ा, चौसा, केसर, बादामी आदि इसकी प्रमुख किस्में हैं। 'रत्ना' नीलम और अल्फांसों के क्रॉस से बनी आम की संकर प्रजाति है, जबकि 'आम्रपाली' दशहरी और नीलम के क्रॉस से बनी संकर प्रजाति है। आम की संकर किस्म के पौधे शीघ्र ही फल देना शुरू कर देते हैं और इनका फैलाव भी कम होता है, जिसके कारण इन्हें सघन बागवानी में भी लगाया जा सकता है।

3. 'काशी लालिमा' निम्नलिखित में से किस फसल की प्रजाति है? [U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) भिण्डी
Solution:'काशी लालिमा' भिण्डी के फसल की प्रजाति है। इस प्रजाति का इजाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि शिक्षा संस्था ने किया है। इसमें कैल्शियम और आयरन के अलावा एंटी ऑक्सीडेंट जैसे तत्व पाए जाते हैं।

4. Co. 1148 एक महत्वपूर्ण प्रजाति है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2017]

Correct Answer: (d) गन्ना की
Solution:Co.1148 गन्ने की एक महत्वपूर्ण प्रजाति है। यह प्रजाति पूर्वी-उत्तर प्रदेश में मुख्यतया पाई जाती है।

5. मैक्रोनी गेहूं का वानस्पतिक नाम है: [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (b) ट्रिटिकम ड्यूरम
Solution:

मैक्रोनी गेहूं का वानस्पतिक नाम ट्रिटिकम ड्यूरम (Triticum durum) है। मैक्रोनी गेहूं, गेहूं की एक टेट्राप्लोइड प्रजाति है। सामान्य गेहूं के बाद यह प्रजाति गेहूं की दूसरी सबसे अधिक खेती की जाने वाली प्रजाति है।

6. निम्न में से कौन-सा बायो-डीजल पौधा है? [U.P.P.C.S. (Mains) 2004 U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2021]

Correct Answer: (c) रतनजोत
Solution:

बायो-डीजल (Bio-Diesel) बनाने में रतनजोत या जैट्रोफा (Jatropha curcas) नामक वनस्पति का उपयोग किया जाता है। इस पौधों के बीज से बायो-डीजल प्राप्त करते हैं, जो कि ऊर्जा के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं। ईंधन का महत्वपूर्ण स्रोत होने के कारण इसकी कृषि की तरफ अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है। यह एक आवृत्तबीजी पादप (Angiospermic Plants) है, जिसके जीवन-काल में अन्य नकदी फसलों की अपेक्षा कम जल की आवश्यकता पड़ती है।

7. जैविक रूप से संश्लेषित नैनो कणों का उपयोग एक नई पारिस्थितिकी मित्र तकनीक है, जिसकी कैंसर उपचार में बड़ी संभावनाएं हैं। इस तकनीक में एक पौधे के निचोड़ का उपयोग करते हैं। यह पौधा है: [U.P.P.C.S. (Mains) 2004]

Correct Answer: (b) पार्थीनियम
Solution:

पार्थीनियम पौधे की पत्ती के निचोड़ का उपयोग नैनो कणों के जैव संश्लेषण में किया जाता है। यह कैंसर उपचार में लाभकारी है।

8. लिटमस-अम्ल क्षार सूचक प्राप्त होता है- [U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

Correct Answer: (b) लाइकेन से
Solution:लिटमस जल में घुलनशील विभिन्न रंजकों का एक मिश्रण होता है, जो थैलोफाइटा समूह के 'लाइकेन' (कवक एवं शैवाल का साहचर्य) से निकाला जाता है।

9. नीम के पेड़ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए [I.A.S. (Pre) 2014]

1. कुछ जाति के कीटों और बरुथियों के प्रचुरोद्भवन को नियंत्रित करने के लिए नीम के तेल का प्रयोग कीटनाशक के रूप में किया जा सकता है।

2. नीम के बीजों का प्रयोग जैव-ईंधन और अस्पताल अपमार्जकों का निर्माण करने में होता है।

3. नीम के तेल का अनुप्रयोग ओषधि उद्योग में होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (d) 1,2 और 3
Solution:नीम में 'एजाडिरैक्टीन' (Azadirachtin) नामक रसायन पाया जाता है। इस रसायन में कीटनाशक एवं कवकनाशक गुण होता है। फसल सुरक्षा के दृष्टिकोण से कीटों में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए नीम का प्रयोग किया जाता है। नीम के कारण हानिकारक कीटों में प्रजनन क्षमता अवरुद्ध हो जाती है। नीम के प्रभाव से कीटों के लार्वा एवं वयस्क प्रतिकर्षित होकर भाग जाते हैं। नीम के प्रभाव से ही वयस्क कीट बंध्य यानी नपुंसक हो जाते हैं। अतः उनमें वंशवृद्धि की क्षमता में कमी आ जाती है। नीम के विभिन्न भागों से चर्म रोग, परजीवी रोग, गर्भ निरोधक, मलेरिया, चेचक, दमा आदि की दवा तथा सर्प, बिच्छू आदि के विषैले प्रभाव को कम करने की दवा भी बनाई जाती है। प्रमुख वनस्पति प्रजातियां जिनसे बायो-डीजल का उत्पादन किया जाता है, वे हैं-जैट्रोफा, करंजा, नागचंपा, नीम आदि।

10. पाइन, फर, स्प्रुस, सेडार, लॉर्च एवं साइप्रस आदि मशहूर लकड़ी उत्पादक पौधों में से, बहुत से भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं। ये सभी क्या कहलाते हैं? [67th B.P.S.C. (Pre) (Re-Exam) 2022]

Correct Answer: (b) अनावृतबीजी
Solution:पाइन, फर, स्पुस, सेडार, लार्च एवं साइप्रस आदि मशहूर लकड़ी उत्पादक पौधे हैं। ये पर्वतीय वन के अंतर्गत पाए जाने वाले 'कोणधारी वृक्ष' है। ये सभी अनावृतबीजी (Gymnosperm) कहलाते हैं।