ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब (UPPCS)

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11. सबसे अधिक निर्णायक युद्ध, जिसने अंग्रेजों के भारत में प्रभुत्व को संस्थापित किया, था- [U.P. P.C.S. (Pre) 1990, 2003 & U.P. P.C.S. (Pre) 2003 & U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002]

Correct Answer: (a) बक्सर का युद्ध
Solution:22/23 अक्टूबर, 1764 को अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में परास्त किया। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। इस युद्ध के परिणाम ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी, भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। इलाहाबाद तक का प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया तथा दिल्ली विजय का मार्ग खुल गया। बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुआ। पी.ई. रॉबर्ट्स ने बक्सर के युद्ध के बारे में कहा है कि "प्लासी की अपेक्षा बक्सर को भारत में अंग्रेजी प्रभुता की जन्मभूमि मानना कहीं अधिक उपयुक्त है।" यदि बक्सर के युद्ध के परिणाम को देखा जाए, तो कहा जा सकता है कि जहां प्लासी की विजय अंग्रेजों की कूटनीति का परिणाम थी, वहीं

बक्सर की विजय को इतिहासकारों ने पूर्णतः सैनिक विजय बताया। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों की प्रभुता बंगाल में स्थापित की; परंतु बक्सर के युद्ध ने कंपनी को एक अखिल भारतीय शक्ति का रूप दे दिया।

12. अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लड़े गए निम्नलिखित युद्धों में से कौन-सा सर्वाधिक निर्णायक था? [U.P.P.C.S (Mains) 2016]

Correct Answer: (a) बक्सर की लड़ाई
Solution:22/23 अक्टूबर, 1764 को अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में परास्त किया। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। इस युद्ध के परिणाम ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी, भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। इलाहाबाद तक का प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया तथा दिल्ली विजय का मार्ग खुल गया। बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुआ। पी.ई. रॉबर्ट्स ने बक्सर के युद्ध के बारे में कहा है कि "प्लासी की अपेक्षा बक्सर को भारत में अंग्रेजी प्रभुता की जन्मभूमि मानना कहीं अधिक उपयुक्त है।" यदि बक्सर के युद्ध के परिणाम को देखा जाए, तो कहा जा सकता है कि जहां प्लासी की विजय अंग्रेजों की कूटनीति का परिणाम थी, वहीं

बक्सर की विजय को इतिहासकारों ने पूर्णतः सैनिक विजय बताया। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों की प्रभुता बंगाल में स्थापित की; परंतु बक्सर के युद्ध ने कंपनी को एक अखिल भारतीय शक्ति का रूप दे दिया।

13. निम्नलिखित में से कौन-सा युद्ध भारत में अंग्रेजों के आधिपत्य की स्थापना की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण समझा जाता है? [U.P. P.C.S. (Mains) 2012]

Correct Answer: (a) बक्सर
Solution:22/23 अक्टूबर, 1764 को अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में परास्त किया। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। इस युद्ध के परिणाम ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी, भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। इलाहाबाद तक का प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया तथा दिल्ली विजय का मार्ग खुल गया। बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुआ। पी.ई. रॉबर्ट्स ने बक्सर के युद्ध के बारे में कहा है कि "प्लासी की अपेक्षा बक्सर को भारत में अंग्रेजी प्रभुता की जन्मभूमि मानना कहीं अधिक उपयुक्त है।" यदि बक्सर के युद्ध के परिणाम को देखा जाए, तो कहा जा सकता है कि जहां प्लासी की विजय अंग्रेजों की कूटनीति का परिणाम थी, वहीं

बक्सर की विजय को इतिहासकारों ने पूर्णतः सैनिक विजय बताया। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों की प्रभुता बंगाल में स्थापित की; परंतु बक्सर के युद्ध ने कंपनी को एक अखिल भारतीय शक्ति का रूप दे दिया।

14. बक्सर के युद्ध के समय दिल्ली का शासक कौन था? [M.P. P.C.S. (Pre) 2005]

Correct Answer: (d) शाह आलम द्वितीय
Solution:22/23 अक्टूबर, 1764 को अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में परास्त किया। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। इस युद्ध के परिणाम ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी, भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। इलाहाबाद तक का प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया तथा दिल्ली विजय का मार्ग खुल गया। बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुआ। पी.ई. रॉबर्ट्स ने बक्सर के युद्ध के बारे में कहा है कि "प्लासी की अपेक्षा बक्सर को भारत में अंग्रेजी प्रभुता की जन्मभूमि मानना कहीं अधिक उपयुक्त है।" यदि बक्सर के युद्ध के परिणाम को देखा जाए, तो कहा जा सकता है कि जहां प्लासी की विजय अंग्रेजों की कूटनीति का परिणाम थी, वहीं

बक्सर की विजय को इतिहासकारों ने पूर्णतः सैनिक विजय बताया। प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों की प्रभुता बंगाल में स्थापित की; परंतु बक्सर के युद्ध ने कंपनी को एक अखिल भारतीय शक्ति का रूप दे दिया।

15. बक्सर की लड़ाई के समय बंगाल का नवाब कौन था? [U.P.P.C.S (Mains) 2016]

Correct Answer: (b) मीर जाफर
Solution:बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर जाफर था।

16. बक्सर की लड़ाई के बाद किस संधि पर हस्ताक्षर किए गए? [69th B.P.S.C. (Pre) 2023]

Correct Answer: (a) इलाहाबाद संधि
Solution:बक्सर की लड़ाई (अक्टूबर, 1764) मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम II की संयुक्त सेना तथा अंग्रेजों के मध्य हुआ। युद्ध में अंग्रेज विजयी रहे। अंग्रेज ब्रिटिश सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो ने किया था। इस युद्ध की समाप्ति पर इलाहाबाद की दो संधियां (1765 ई.) हुई। इलाहाबाद की प्रथम संधि क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाह आलम II के मध्य हुई थी, जबकि इलाहाबाद की द्वितीय संघि क्लाइव तथा अवध के नवाब शुजाउद्दौला के मध्य हुइ थी।

17. निम्नलिखित में से जिस एक शासक ने ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी प्रदान की थी, वह था- [U.P. Lower Sub. (Pre) 2003 & U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2006]

Correct Answer: (c) शाह आलम द्वितीय
Solution:इलाहाबाद की प्रथम संधि (12 अगस्त, 1765) के तहत मुगल बादशाह शाह आलम II ने कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी तथा इलाहाबाद की द्वितीय संधि (16) अगस्त, 1765) के तहत अवध के नवाब (शुजाउद्दौला) ने इलाहाबाद और कड़ा के जिले मुगल बादशाह शाहआलम II को देने का वादा किया। इस समय रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से बंगाल का गवर्नर था। शाह आलम द्वितीय का संपूर्ण जीवन आपदाओं से ग्रस्त रहा। उसे 1788 ई. में अंधा कर दिया गया। शाह आलम द्वितीय के समय में 1803 ई. में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। शाह आलम द्वितीय तथा उसके दो उत्तराधिकारी अकबर द्वितीय (1806-37 ई.) और बहादुर शाह द्वितीय (1837-57 ई.) ईस्ट इंडिया कंपनी के पेंशनभोगी मात्र बनकर रहे।

18. 1765 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी किसने प्रदान की? [U.P. P.S.C. (GIC) 2010]

Correct Answer: (b) मुगल सम्राट ने
Solution:इलाहाबाद की प्रथम संधि (12 अगस्त, 1765) के तहत मुगल बादशाह शाह आलम II ने कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी तथा इलाहाबाद की द्वितीय संधि (16) अगस्त, 1765) के तहत अवध के नवाब (शुजाउद्दौला) ने इलाहाबाद और कड़ा के जिले मुगल बादशाह शाहआलम II को देने का वादा किया। इस समय रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से बंगाल का गवर्नर था। शाह आलम द्वितीय का संपूर्ण जीवन आपदाओं से ग्रस्त रहा। उसे 1788 ई. में अंधा कर दिया गया। शाह आलम द्वितीय के समय में 1803 ई. में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। शाह आलम द्वितीय तथा उसके दो उत्तराधिकारी अकबर द्वितीय (1806-37 ई.) और बहादुर शाह द्वितीय (1837-57 ई.) ईस्ट इंडिया कंपनी के पेंशनभोगी मात्र बनकर रहे।

19. किस गवर्नर के कार्यकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी को शहंशाह शाह आलम द्वारा बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में दीवानी अधिकार दिए गए? [U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]

Correct Answer: (a) लॉर्ड क्लाइव
Solution:इलाहाबाद की प्रथम संधि (12 अगस्त, 1765) के तहत मुगल बादशाह शाह आलम II ने कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी तथा इलाहाबाद की द्वितीय संधि (16) अगस्त, 1765) के तहत अवध के नवाब (शुजाउद्दौला) ने इलाहाबाद और कड़ा के जिले मुगल बादशाह शाहआलम II को देने का वादा किया। इस समय रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से बंगाल का गवर्नर था। शाह आलम द्वितीय का संपूर्ण जीवन आपदाओं से ग्रस्त रहा। उसे 1788 ई. में अंधा कर दिया गया। शाह आलम द्वितीय के समय में 1803 ई. में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। शाह आलम द्वितीय तथा उसके दो उत्तराधिकारी अकबर द्वितीय (1806-37 ई.) और बहादुर शाह द्वितीय (1837-57 ई.) ईस्ट इंडिया कंपनी के पेंशनभोगी मात्र बनकर रहे।

20. सम्राट शाह आलम द्वितीय ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्रदान की- [48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) 12 अगस्त, 1765
Solution:इलाहाबाद की प्रथम संधि (12 अगस्त, 1765) के तहत मुगल बादशाह शाह आलम II ने कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी तथा इलाहाबाद की द्वितीय संधि (16) अगस्त, 1765) के तहत अवध के नवाब (शुजाउद्दौला) ने इलाहाबाद और कड़ा के जिले मुगल बादशाह शाहआलम II को देने का वादा किया। इस समय रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से बंगाल का गवर्नर था। शाह आलम द्वितीय का संपूर्ण जीवन आपदाओं से ग्रस्त रहा। उसे 1788 ई. में अंधा कर दिया गया। शाह आलम द्वितीय के समय में 1803 ई. में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। शाह आलम द्वितीय तथा उसके दो उत्तराधिकारी अकबर द्वितीय (1806-37 ई.) और बहादुर शाह द्वितीय (1837-57 ई.) ईस्ट इंडिया कंपनी के पेंशनभोगी मात्र बनकर रहे।