उत्तराखण्ड समीक्षा अधिकारी (मुख्य) परीक्षा, 2016 सामान्य अध्ययन (Part-II)

Total Questions: 50

31. उत्तराखण्ड में 'अट्ठा-बट्ठा क्या था?

Correct Answer: (b) विवाह व्यवस्था
Solution:व्याख्या-उत्तराखण्ड में अट्टा-बट्टा प्राचीनकालीन विवाह व्यवस्था थी।

32. उत्तराखण्ड के किस मेले में मछली मारने की परम्परा है?

Correct Answer: (a) मौण मेला
Solution:व्याख्या-उत्तराखण्ड के मौण मेले में मछली मारने की परम्परा है। मछली मारने का यह उत्सव विशेष रूप से जौनसार एवं खांई जौनसार के क्षेत्रों में मनाया जाता है। इसको मनाये जाने की तिथि जून महीने की 27 व 28 तारीख को पड़ती है। मौण का अर्थ है तिमूर के छिलकों को कूटकर तैयार किया गया वह पदार्थ जिसके मादक प्रभाव से मछलियाँ बेहोश हो जाती है। जौनसार (जौनपुर) में इसका आयोजन मसूरी-जमुनोत्री मार्ग पर अलगाड़ नदी के पुल के पास बंदरकोट के पास पटालूताल में किया जाता है।

33. 'चौफुला' क्या है?

Correct Answer: (c) नृत्य
Solution:व्याख्या-चौफुला एक प्रकार का नृत्य है जिसमें राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्त्री-पुरुषों द्वारा एक साथ या अलग-अलग टोली बनाकर किया जाने वाला यह श्रृंगार भाव प्रधान नृत्य है। ऐसी मान्यता है कि इस नृत्य को पार्वती ने शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था। इसमें किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि हाथों की ताली, पैरों की थाप, झांझ की झंकार, कंगन व पाजेब की सुमधुर ध्वनियाँ ही मादकता प्रदान करती हैं। इस नृत्य में पुरुष नर्तकों को चौफुला तथा स्त्री नर्तकों को चौफलों कहते हैं।

34. 'उत्तरकाशी' का प्राचीन नाम था-

Correct Answer: (b) बाराहाट
Solution:व्याख्या-उत्तरकाशी, धरासू से 18 मील दूर गंगोत्री के मार्ग पर स्थित प्राचीन तीर्थ है। विश्वनाथ के मंदिर के कारण ही इसका नाम उत्तरकाशी हुआ है। इस सुरम्य एवं मनोरम स्थल को देवाधिदेव भगवान शंकर का निवास स्थान माना जाता है। उत्तरकाशी को प्राचीन समय में विश्वनाथ की नगरी कहा जाता था। कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा। केदारखंड एवं पुराणों में उत्तरकाशी के लिए 'बाराहाट' शब्द का प्रयोग किया जाता है। पुराणों में इसे सौम्य काशी भी कहा गया है।

35. 'गढ़वाल-रेजिमेण्ट' का मुख्यालय कहाँ स्थित है?

Correct Answer: (d) लैन्सडाउन
Solution:व्याख्या-गढ़वाल रेजिमेण्ट का मुख्यालय लैंसडाउन में है। लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य (भारत) के पौढ़ी गढ़वाल में स्थित बेहद खूबसूरत पहाड़ी है। खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने वर्ष 1887 में बसाया था। उस समय के वायसराय ऑफ इण्डिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढवाल राइफल्स का गढ़ भी है।

36. कार्तिकेयपुर वंश का संस्थापक था?

Correct Answer: (c) बसन्तन
Solution:व्याख्या-कार्तिकेयपुर राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य का मध्ययुगीन राजवंश था जिसके बारे में माना जाता है कि वे अयोध्या के शातिवाहन शासक के वंशज थे और इसलिए वे सूर्यवंशी हैं। इस वंश का संस्थापक बसन्तन (बसंतदेव) था।

37. 1869 ई. में स्थापित कुमाऊँ गवर्नमेंट गार्डन का प्रथम अधीक्षक था।

Correct Answer: (b) नॉर्मन गिल
Solution:व्याख्या-1869 ई. में स्थापित कुमाऊँ गवर्नमेंट गार्डन का प्रथम अध्यक्ष नार्मन गिल थे। कुमाऊ गवर्नमेंट गार्डन की स्थापना 1906 ई. में हुई थी जबकि चोबटिया उद्यान की स्थापना 1869 ई. में हुई थी।

38. उत्तराखण्ड के पर्वतीय भाग में ग्रामीण जनसंख्या की आजीविका का प्रमुख स्रोत क्या है?

Correct Answer: (c) कृषि व पशुपालन
Solution:व्याख्या-उत्तराखण्ड के पर्वतीय भाग में ग्रामीण जनसंख्या की आजीविका का स्रोत कृषि एवं पशुपालन है।

39. बजाज आटो ने एक भारतीय नौ-सैनिक पोत की धातु से मोटरसाइकिल बनायी है। उस पोत का नाम हैः

Correct Answer: (b) आई.एन.एस. विक्रांत
Solution:व्याख्या-भारतीय नौ सेना पोत विक्रांत भारतीय नौ-सेना का एक सेवानिवृत्त युद्ध पोत है। यह भारतीय नौसेना का प्रथम वायुयान वाहक पोत है। इस पोत को 1957 में ब्रिटेन से खरीदा गया था, तब तक इसे एचएमएस हर्क्युलिस के नाम से जाना जाता था। 1961 में इसे भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया तथा 31 जनवरी 1997 को काम से हटा लिया गया। सन् 2002 से 2012 तक इसे म्यूजियम में रखा गया, तथा 2014-15 में इसे विखण्डित कर दिया गया। इस पोत के मेटल से बजाज आटो ने INS विक्रांत नाम की एक बाइक लांच की यह पहली बाइक है जो किसी एयरक्राफ्ट कैरियर के मेटल से बनी है।

40. चाबहार बंदरगाह किन देशों द्वारा संयुक्त रूप से बनाया जाएगा?

Correct Answer: (a) ईरान, अफगानिस्तान, भारत
Solution:व्याख्या-दक्षिण पूर्व ईरान में स्थित चाबहार से भारत के लिए अफगानिस्तान जाने का एक रास्ता मिलेगा जिसके माध्यम से पाकिस्तान से होकर जाने की जरूरत नहीं होगी। चाबहार परियोजना के लिए वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर के साथ भारत- अफगानिस्तान एवं ईरान के बीच परिवहन एवं पारगमन गलियारे पर त्रिपक्षीय समझौता भी किया गया। समझौता तीन देशों के साथ-साथ पूरे इलाके के लोगों और सामानों की ज्यादा आवाजाही के लिए सामरिक बाँध के रूप में कार्य करेगा।