उत्तर वैदिक काल

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31. उत्तर वैदिक देवमंडल में सर्वोच्च स्थान किस देवता को प्राप्त हुआ था?

Correct Answer: (d) प्रजापति
Solution:देवताओं में दो सबसे बड़े देवता इंद्र और अग्नि अब उतने प्रमुख नहीं रहे, जितने की ऋग्वैदिक काल में थे। उत्तर वैदिक देवमंडल में सृजन के देवता प्रजापति को सर्वोच्च स्थान मिला हुआ था।

32. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें-

(1) उत्तर वैदिक काल में शूद्रों का देवता पूषन् को माना जाता था।

(2) उत्तर वैदिक काल में कुछ वर्णों के अपने देवता भी हो गए थे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं।

Correct Answer: (c) 1 और 2
Solution:उत्तर वैदिक समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों में विभक्त हो गया था, इसलिए कुछ वर्णों के अपने देवता भी हो गए। पूषन् जो पशुओं की रक्षा करने वाला माना जाता था, शूद्रों का देवता हो गया था। अतः दोनों कथन सत्य हैं।

33. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें-

(1) निजी यज्ञ राजा अपने ही कबीले के लोगों के साथ करता था।

(2) सार्वजनिक यज्ञ अलग-अलग व्यक्ति अपने-अपने घर में करते थे।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं।

Correct Answer: (d) न तो 1 न ही 2 (d)
Solution:उत्तर वैदिक काल में सार्वजनिक यज्ञ, राजा अपनी सारी प्रजा के साथ करता था।' प्रजा में अक्सर एक ही कबीले के लोग होते थे। निजी यज्ञ, अलग-अलग व्यक्ति अपने-अपने घर में करते थे, क्योंकि इस काल में लोग स्थायी निवासों में रहते थे और उनके नियमित कुटुंब होते थे।

34. राजसूय यज्ञ कराने वाले पुरोहित को दक्षिणा में कितनी गायें मिलती थी ?

Correct Answer: (d) 2 लाख 40 हजार
Solution:उत्तर वैदिक काल में राजसूय यज्ञ करने वाले पुरोहित को दक्षिणा में 2 लाख 40000 गायें मिलती थीं। सामान्यतः गायें और दासियां तो दी ही जाती थीं, और साथ ही, कपड़ा तथा घोड़े भी दिए जाते थे।

35. 'इस दार्शनिक साहित्य के प्रारंभिक ग्रंथों को किसी भी युग तथा किसी भी देश में मानव मस्तिष्क से उत्पन्न अत्यंत विस्मयकारी कृतियों के बीच विश्व साहित्य में सदैव स्थान मिलता रहेगा।'

उपनिषदों के संदर्भ में यह कथन किस इतिहासकार का है।

Correct Answer: (a) मैक्समूलर
Solution:उपनिषदों को विश्व के समस्त आध्यात्मिक चिंतन में भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान माना गया है और इस संदर्भ में दिया गया कथन मैक्समूलर का है।

36. उत्तर वैदिक काल में निम्नलिखित में से किसे विद्या का लक्ष्य माना जाता था ?

(1) धर्मनिष्ठा

(2) अर्जित ज्ञान की रक्षा

(3) अमरत्व प्राप्त करना

(4) ज्ञानार्जन

उपर्युक्त में से कौन-सा/से सत्य हैं/ है।

Correct Answer: (d) उपर्युक्त सभी
Solution:उत्तर वैदिक काल में विद्या का लक्ष्य धर्मनिष्ठा, ज्ञानार्जन, अर्जित ज्ञान की रक्षा करना, संतति, धन तथा दीर्घायु, और अमरत्व प्राप्त करना था। इस प्रकार विद्यार्थी, जीवन के सांसारिक तथा आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने का प्रयत्न करते थे।

37. निम्नलिखित में से किस संस्कार के द्वारा शिक्षा का आरंभ माना जाता था ?

Correct Answer: (b) उपनयन
Solution:शिक्षा का आरंभ उपनयन संस्कार से होता था, जो बच्चे का दूसरा जन्म समझा जाता था। इसलिए इस संस्कार के बाद बच्चे को द्विज की संज्ञा दी जाती थी। निष्क्रमण संस्कार में बालक को सूर्य व इंद्र की ज्योति के दर्शन कराए जाते थे। यज्ञोपवीत संस्कार बालक की आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता था। चूड़ाकर्म संस्कार को मुंडन संस्कार के नाम से भी जाना जाता है।

38. निम्न में किसकी पहचान काशी नरेश के रूप में होती है?

Correct Answer: (a) अश्वपति कैकेय
Solution:उत्तर वैदिक काल में काशी नरेश के रूप में अश्वपति कैकेय की पहचान होती है। अश्वपति को सुप्रसिद्ध क्षत्रिय विद्वान राजाओं की श्रेणी में रखा जाता था, जिनके पास सुशिक्षित ब्राह्मण भी आगे की शिक्षा प्राप्त करने आते थे।

39. उत्तर वैदिक काल के संदर्भ में असत्य विकल्प का चयन करें?

Correct Answer: (c) चिकित्सा में लोग सफल अंग प्रत्यारोपण की तकनीक प्रयोग में लाने लगे थे।
Solution:उत्तर वैदिक काल में चिकित्सा से संबंधित सफल अंग प्रत्यारोपण की तकनीक संबंधित साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं। अतः विकल्प (c) असत्य है। अन्य सभी विकल्प सत्य हैं।

40. विदेह के राजा जनक द्वारा आयोजित महान विद्वत्य सम्मेलन की जानकारी किस उपनिषद से प्राप्त होती है?

Correct Answer: (b) बृहदारण्यक उपनिषद
Solution:उत्तर वैदिक काल में विशाल सभा व परिषदों में से एक विशिष्ट उदाहरण-विदेह के राजा जनक द्वारा आयोजित महान विद्वत्सम्मेलन का आयोजन है जिसका उल्लेख बृहदारण्यक उपनिषद में मिलता है।