ऊष्मा एवं ऊष्मा गतिकी भाग-II

Total Questions: 41

31. साफ मेघरहित रातों की तुलना में मेघाछन्न रातें अपेक्षाकृत गर्म होती हैं, क्योंकि बादल- [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (b) पृथ्वी से छोड़ी गई ऊष्मा को परावर्तित करते हैं।
Solution:

साफ मेघरहित रातें: जब आकाश साफ होता है, तो पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित यह ऊष्मा सीधे अंतरिक्ष में चली जाती है, जिससे पृथ्वी की सतह और निचला वायुमंडल तेजी से ठंडा हो जाता है।

मेघाछन्न रातें (बादलों वाली रातें): बादल जलवाष्प और जल कणिकाओं से बने होते हैं। ये बादल पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित अवरक्त विकिरण को अवशोषित (absorb) करते हैं और फिर इसे वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित (reflect back) करते हैं। यह एक कंबल की तरह कार्य करता है, जो ऊष्मा को अंतरिक्ष में भागने से रोकता है और उसे वायुमंडल में फंसा लेता है, जिससे रातें अपेक्षाकृत गर्म महसूस होती हैं। यह "ग्रीनहाउस प्रभाव" के समान है।

32. बादल आच्छादित रातें स्वच्छ आकाश वाली रातों से अधिक गर्म होती हैं, क्योंकि- [U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2008]

Correct Answer: (a) बादल पृथ्वी तथा हवा से ऊष्मा का विकिरण रोकते हैं।
Solution:

साफ मेघरहित रातें: जब आकाश साफ होता है, तो पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित यह ऊष्मा सीधे अंतरिक्ष में चली जाती है, जिससे पृथ्वी की सतह और निचला वायुमंडल तेजी से ठंडा हो जाता है।

मेघाछन्न रातें (बादलों वाली रातें): बादल जलवाष्प और जल कणिकाओं से बने होते हैं। ये बादल पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित अवरक्त विकिरण को अवशोषित (absorb) करते हैं और फिर इसे वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित (reflect back) करते हैं। यह एक कंबल की तरह कार्य करता है, जो ऊष्मा को अंतरिक्ष में भागने से रोकता है और उसे वायुमंडल में फंसा लेता है, जिससे रातें अपेक्षाकृत गर्म महसूस होती हैं। यह "ग्रीनहाउस प्रभाव" के समान है।

33. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - [I.A.S. (Pre) 2022]

1. उच्च मेघ मुख्यतः सौर विकिरण को परावर्तित कर भूपृष्ठ को ठंडा करते हैं।

2. भूपृष्ठ से उत्सर्जित होने वाली अवरक्त विकिरणों का निम्न मेघ में उच्च अवशोषण होता है और इससे तापन प्रभाव होता है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (d) न तो 1, न ही 2
Solution:निम्न ऊंचाई पर स्थित एवं घने बादल मुख्यतः सौर विकिरण को परावर्तित करते हैं एवं पृथ्वी की सतह को शीतल रखते हैं। जबकि ऊंचाई पर स्थित एवं पतले मेघ मुख्यतः आने वाले सौर विकिरण को संचारित (Transmit) करते हैं। इसके अतिरिक्त वे पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित अवरक्त विकिरणों (Infrared radiation) को रोककर पृथ्वी की तरफ वापस लौटा देते हैं, जिससे पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है।

34. शीत प्रकोष्ठ में भंडारित फल अधिक समय तक चलते हैं, क्योंकि - [I.A.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (c) श्वसन की दर घटा दी जाती है।
Solution:यह सर्वविदित है कि फसल कटाई के बाद भी फल श्वसन करते हैं और ऑक्सीजन का उपभोग करते हैं। श्वसन की दर जितनी अधिक होगी, फलों के पकने एवं उनके क्षय होने की दर भी उतनी ही अधिक होगी। शीत प्रकोष्ठ में कम ऑक्सीजन एवं कम श्वसन दर वाली परिस्थितियों में फलों को अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है।

35. कथन (A) : ऊनी वस्त्र हमें गर्म रखते हैं। [U.P. P.C.S. (Pre) 2001]

कारण (R) : ऊनी रेशे (Woolen fibers) एक विशेष प्रकार के प्रोटीन के बने होते हैं, जो ऊष्मा के कुचालक होते हैं।

सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कूट की सहायता से कीजिए-

Correct Answer: (b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
Solution:

कथन (A) की जाँच: "ऊनी वस्त्र हमें गर्म रखते हैं।" सही है। ऊनी कपड़े सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के लिए पहने जाते हैं।

कारण (R) की जाँच: "ऊनी रेशे (Woolen fibers) एक विशेष प्रकार के प्रोटीन के बने होते हैं, जो ऊष्मा के कुचालक होते हैं।" सही है। ऊन मुख्य रूप से प्रोटीन फाइबर (केराटिन) से बनी होती है। प्रोटीन वास्तव में ऊष्मा के अच्छे कुचालक होते हैं।

स्पष्टीकरण की जाँच:नहीं, यह सही स्पष्टीकरण नहीं है। जबकि ऊनी रेशे खुद ऊष्मा के कुचालक होते हैं, ऊनी वस्त्रों के गर्म रखने का मुख्य कारण केवल रेशों की प्रकृति नहीं है। ऊनी वस्त्रों की संरचना ऐसी होती है कि वे अपने रेशों के बीच बहुत अधिक हवा को फंसा लेते हैं (trap a lot of air)। फंसी हुई हवा ऊष्मा की बहुत खराब चालक होती है। यह फंसी हुई हवा शरीर से बाहर निकलने वाली ऊष्मा को बाहर जाने से रोकती है और बाहर की ठंडी हवा को अंदर आने से रोकती है। यह "इन्सुलेशन" का काम करती है।इसलिए, ऊनी रेशों की कुचालक प्रकृति एक कारक है, लेकिन मुख्य कारण उनके द्वारा फंसी हुई हवा है। कारण (R) इस प्राथमिक स्पष्टीकरण को नहीं देता है।

अतः, दोनों कथन सही हैं, लेकिन कारण कथन का सही स्पष्टीकरण नहीं है।

36. निम्न में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है ? [I.A.S. (Pre) 2003]

Correct Answer: (c) आर्द्रता के बढ़ने पर वायु में ध्वनि वेग कम हो जाता है।
Solution:आर्द्रता के बढ़ने पर वायु में ध्वनि का वेग बढ़ जाता है, क्योंकि आर्द्रता बढ़ने के साथ वायु के घनत्व में कमी आती है। अतः कथन (c) सही नहीं है जबकि अन्य प्रश्नगत विकल्प सही हैं।

37. कमरे में रखे रेफ्रिजरेटर का दरवाजा खोलकर- [39th B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (c) आप अंततः कमरे को थोड़ा गर्म कर सकते हैं।
Solution:रेफ्रिजरेटर का दरवाजा खुला रखने पर उसमें से अनेक प्रकार की गैसें निकलती हैं, जो कमरे के तापमान को बढ़ा देती हैं।

38. यदि रेफ्रिजरेटर के दरवाजे कुछ घंटों के लिए खुले छोड़ दें, तो कमरे का तापमान [67th B.P.S.C. (Pre) 2022]

Correct Answer: (b) बढ़ जाएगा
Solution:रेफ्रिजरेटर का दरवाजा खुला रखने पर उसमें से अनेक प्रकार की गैसें निकलती हैं, जो कमरे के तापमान को बढ़ा देती हैं। रेफ्रिजरेटर कमरे से ऊष्मा को बाहर निकालने के बजाय उसे कमरे में ही पुनर्चक्रित करता है, साथ ही अपनी आंतरिक कार्यप्रणाली (कंप्रेसर, मोटर) से उत्पन्न ऊष्मा को भी कमरे में छोड़ता है। विद्युत ऊर्जा का उपभोग करके, रेफ्रिजरेटर अनिवार्य रूप से ऊष्मा का उत्पादन करता है और उसे कमरे में छोड़ता है, जिससे कमरे का तापमान अंततः बढ़ जाता है।

39. पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह निम्न से अधिक पोषण (ट्रॉफिक) स्तर पर जाने से कम होता है। इसे निम्नलिखित द्वारा समझा जा सकता है - [M.P.P.C.S. (Pre) 2023 ]

Correct Answer: (b) ऊष्मागतिकी (थर्मोडायनेमिक्स) के द्वितीय नियम द्वारा
Solution:

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics): इसे ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहते हैं। यह कहता है कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। यह ऊर्जा के कुल प्रवाह को नियंत्रित करता है।

ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second Law of Thermodynamics): यह नियम एन्ट्रापी (entropy) में वृद्धि से संबंधित है। इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि जब ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है, तो कुछ ऊर्जा हमेशा अनुपयोगी ऊष्मा के रूप में बर्बाद हो जाती है (बढ़ती एन्ट्रापी के कारण)। यह ऊर्जा पूरी तरह से उपयोगी कार्य में परिवर्तित नहीं हो सकती।

पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा प्रवाह: पारिस्थितिकी तंत्र में, जब ऊर्जा एक पोषण स्तर (जैसे उत्पादक) से अगले पोषण स्तर (जैसे प्राथमिक उपभोक्ता) में स्थानांतरित होती है, तो ऊर्जा का केवल एक छोटा सा हिस्सा (लगभग 10%) ही अगले स्तर तक पहुंच पाता है। शेष ऊर्जा (लगभग 90%) जीव की चयापचय गतिविधियों (श्वसन, गति, आदि) और ऊष्मा के रूप में पर्यावरण में विसर्जित हो जाती है। यह ऊष्मा पर्यावरण में अव्यवस्थित हो जाती है और इसे पुनर्चक्रित नहीं किया जा सकता है।

यही कारण है कि उच्च पोषण स्तरों पर जाने से ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है, क्योंकि ऊर्जा के प्रत्येक स्थानांतरण पर उसका एक बड़ा हिस्सा ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाता है। यह द्वितीय नियम का सीधा अनुप्रयोग है।

40. 'हीट वेव' के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : [69th B.P.S.C. (Pre) 2023 ]

1. यदि किसी मैदानी इलाके का अधिकतम तापमान कम-से-कम 30  °C या इससे अधिक तक पहुंच जाता है, तो उसे हीट वेव माना जाता है।

2. यदि किसी पहाड़ी इलाके का अधिकतम तापमान कम-से-कम 40 ° C या इससे अधिक तक पहुंच जाता है, तो उसे हीट वेव माना जाता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

 

Correct Answer: (d) न तो 1 और न ही 2
Solution:गुणात्मक रूप से, हीट वेव (Heat wave) या 'लू' वायु के तापमान की एक स्थिति है, जो मानव शरीर के संपर्क में आने पर उसके लिए घातक सिद्ध हो सकती है। मात्रात्मक रूप से इसे किसी क्षेत्र में वास्तविक तापमान या सामान्य से उसके विचलन के संदर्भ में तापमान सीमा (Temperature thresholds) के आधार पर परिभाषित किया जाता है। यदि किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी क्षेत्रों के लिए कम-से-कम 40 °C या अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कम-से-कम 30 °C या अधिक तक पहुंच जाता है, तो इस स्थिति को हीट वेव माना जाता है।